तो भारतीय क्रिकेट को नहीं मिलते MS Dhoni!, पढ़ें- गोलकीपर से विकेटकीपर बनने तक का सफर
सात जुलाई 1981 को रांची में जन्में महेंद्र सिंह धौनी बचपन में फुटबॉल टीम में गोलकीपर थे। इसके अलावा वह कभी-कभार बैडमिंटन खेल लेते थे। क्रिकेट से उनका कोई नाता नहीं था।
By TaniskEdited By: Updated: Sun, 16 Aug 2020 07:54 AM (IST)
नई दिल्ली,जेएनएन। एक क्रिकेटर के तौर पर महेंद्र सिंह धौनी को आप सफल कप्तान, बेहतरीन विकेटकीपर और शानदार फीनिशर के तौर पर याद कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धौनी की जब इंट्री हुई तो उन्होंने भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी को दूर किया। उन्होंने टीम को परफेक्ट बैलेंस दिया। धौनी के चयन से पहले विकेटकीपिंग टीम की सबसे बड़ी समस्या थी। उनसे पहले कई क्रिकेटर्स को आजमाया गया, पर समस्या दूर नहीं हुई। इसका नतीजा ये हुआ कि राहुल द्रविड़ को विकेटकीपिंग करनी पड़ी। धौनी के आने के बाद भारतीय टीम की सबसे कमजोर कड़ी मजबूती में बदल गई। टीम को नए मुकाम पर पहुंचाने वाले माही को शुरुआत में क्रिकेटर नहींं बनना चाहते थे। उन्हें फुटबॉल पसंद था। अब जरा सोचिए अगर धौनी भारतीय क्रिकेट को नहीं मिलते तो क्या होता?
सात जुलाई 1981 को रांची में जन्में महेंद्र सिंह धौनी बचपन में फुटबॉल टीम में थे। इसके अलावा वह कभी-कभार बैडमिंटन खेल लेते थे। क्रिकेट से उनका कोई नाता नहीं था और वह खेलना भी नहीं चाहते थे। रांची के जवाहर विद्यालय मंदिर, श्यामली से स्कूली पढ़ाई करने वाले धौनी फुटबॉल टीम में गोलकीपर थे। साल 1992 की बात है, वह छठी कक्षा में थे तब स्कूल क्रिकेट टीम को विकेटकीपर की जरूरत थी। धौनी के बचपन के खेल गुरु केशव बनर्जी को धौनी का ध्यान आया। उन्होंने सोचा कि जब यह लड़का फुटबॉल को रोक ही लेता है तो क्रिकेट बॉल भी पकड़ ही लेगा यानी विकेट कीपिंग भी कर लेगा। इलके बाद उन्होंने धौनी को मना कर क्रिकेट के मैदान पर उतार दिया। उसके बाद तो फिर धौनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विकेटकीपर के तौर पर प्रदर्शन
अंतरराष्ट्रीट क्रिकेट में जब धौनी आए तो उनकी विकेटकीपिंग को लेकर कई सवाल उठे। धौनी के पास गोलकीपिंग की तकनीक थी। इस कारण से कई लोग मानते थे कि वह इस कारण से काफी संघर्ष करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने सवाल उठाने वाले लोगों को गलत साबित किया। उन्होंने विकेटकीपिंग पर काफी काम किया और विश्व के शीर्ष विकेटकीपरों में शामिल हो गए। विकेटकीपर के तौर पर उन्होंने टेस्ट में 256 कैच लिए और 38 स्टंप किए। वनडे में उन्होंने 321 कैच लिए और 123 स्टंप किए। टी-20 में उन्होंने 57 कैच और 34 स्टंप किए।