IND vs SA: सेंचुरियन टेस्ट के साथ ही भारत ने गवांई सीरीज, जानिए हार के प्रमुख कारण
फ्रीडम सीरीज में सेंचुरियन टेस्ट हारने के बाद भारत का द.अफ्रीका में सीरीज जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया। भारत की हार की ये थी कमजोर कड़ियां।
नई दिल्ली, [रवीन्द्र प्रताप सिंह]। फ्रीडम सीरीज का पहला टेस्ट केपटाउन में गंवाने के बाद ये भारतीय टीम को सेंचुरियन में जीत की काफी उम्मीदें थी। जब दोनों टीमें दूसरे टेस्ट के लिए मैनान पर आयीं तो मीडिया में यह चर्चा थी कि केपटाउन के मुकाबले सेंचुरियन की पिच का मिजाज थोड़ा अलग होगा। धीमी पिच होने की वजह से टीम इंडिया को सीरीज में वापसी की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यहां भी भारतीय टीम को एक और शर्दामनाक पराजय झेलनी पड़ी। इसके साथ ही भारतीय टीम का दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने का सपना भी टूट गया।
सेंचुरियन की पिच पहली पारी में आसान थी जिस पर आसानी से रन बनाए जा सकते थे। ऐसी पिच पर भी भारतीय बल्लेबाज द.अफ्रीकी गेंदबाजों के सामने संघर्ष करते हुए नजर आए। भारतीय टीम बड़ी मुश्किल से 300 के आंकड़ों को छू पाई ऐसे में अगर विराट कोहली की 153 रन की पारी न खेली होती तो टीम इंडिया के हालात शायद हालात और भी बद्तर हो गये होते। दूसरी पारी में तो यह लग ही नहीं रहा था कि ये उसी टीम इंडिया के बल्लेबाज हैं जिनकी बदौलत टीम ने लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीती थी। दूसरा टेस्ट 135 रनों से हारने के बाद 25 साल के सूखे को नहीं मिटा पाई टीम इंडिया।
भारत इन कारणों से हारा सेंचुरियन टेस्ट
दक्षिण अफ्रीका ने भारत को सेंचुरियन टेस्ट में 135 रनों से शिकस्त दे दी है। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका ने फ्रीडम सीरीज में 2-0 की अपराजेय बढ़त ले ली है। इस हार के साथ ही टीम इंडिया का दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने का सपना टूट गया। लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीतने वाली टीम इंडिया ने यह सीरीज अपनी इन खामियों की वजह से गवां दी।
खराब ओपनिंग बल्लेबाजी
फ्रीडम सीरीज में भारतीय टीम के सबसे बड़ी समस्या उसकी ओपनिंग बल्लेबाजी रही है। पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शिखर धवन और मुरली विजय का बल्ला खामोश रहा। जब सेंचुरियन टेस्ट में शिखर की जगह केएल राहुल को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी तो वो भी असफल रहे। राहुल सेंचुरियन टेस्ट की दोनों पारियों में मात्र 14 रन ही बना सके। जबकि अगर मुरली विजय की बात की जाए तो दोनों टेस्ट मैचों में वो एक भी अर्धशतक नहीं लगा सके इस दौरान उनका उच्चतम स्कोर सिर्फ 46 रन रहा है।
फ्लॉप रही भारतीय बल्लेबाजी
भारतीय टीम की मजबूती उसकी गहरी बल्लेबाजी को माना जाता है। अगर देखा जाए तो भारत की बैटिंग लाइन अप दुनिया के किसी भी बेहतरीन आक्रमण को तहस-नहस कर सकता है। लेकिन क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है यहां हर पारी में आपको कर के दिखाना पड़ेगा। फ्रीडम सीरीज के दोनों टेस्ट मैच की चारों पारियों में अगर भारतीय बल्लेबाजी पर नजर डाली जाए तो सिर्फ 2 पारियां ही नजर आती हैं सेंचुरियन में कप्तान कोहली की 153 रन की पारी और केपटाउन टेस्ट में हार्दिक पांड्या की 93 रनों की पारी अब तक इस सीरीज में इन दोनों के अलावा कोई भी बल्लेबाज अर्धशतक भी नहीं लगा पाया है।
खराब विकेट कीपिंग
केपटाउन में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम की ओर से जहां ऋद्धिमान साहा ने एक टेस्ट में विकेट के पीछे सबसे ज्यादा शिकार का रिकॉर्ड बनाया वहीं दूसरे टेस्ट से पहले वो चोटिल हो गये जिसके बाद पार्थिव पटेल को मौका मिला। पार्थिव विकेट कीपिंग के साथ - साथ अच्छी बल्लेबाजी भी कर लेते हैं। लेकिन यहां बल्लेबाजी में तो वो चले नहीं, बल्कि विकेटकीपिंग भी खराब की सेंचुरियन टेस्ट की दोनों पारियों में पार्थिव ने विकेट के पीछे कैच ड्राप किये। जिसके लिए उनकी जमकर आलोचना हुई और तीसरे टेस्ट से पहले ही उन्हें इशारों में बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया। तीसरे टेस्ट के लिये दिनेश कार्तिक को टीम में शामिल किया गया है।