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आज 134 साल बीत गए लेकिन क्रिकेट इतिहास का वो सबसे बड़ा रहस्य अब भी नहीं सुलझा

बीतते हुए सालों के साथ एक ऐसा रहस्य भी गहराता चला गया जिसका सही जवाब आज भी किसी के पास नहीं है।

By ShivamEdited By: Updated: Mon, 30 Jan 2017 09:11 PM (IST)
आज 134 साल बीत गए लेकिन क्रिकेट इतिहास का वो सबसे बड़ा रहस्य अब भी नहीं सुलझा

(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। क्रिकेट बेशक जेंटलमेंस गेम (भद्र पुरुषों का खेल) के रूप में जाना जाता रहा है लेकिन 134 साल पहले 1883 में आज के दिन कुछ ऐसा हुआ था जिसने कुछ पल के लिए इस खेल को अजीब स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया था। हालांकि किसी को क्या पता था कि वो अजीब सा लम्हा एक नए अध्याय की शुरुआत थी। क्रिकेट इतिहास में सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता की नींव रख दी गई थी....लेकिन बीतते हुए सालों के साथ एक ऐसा रहस्य भी गहराता चला गया जिसका सही जवाब आज भी किसी के पास नहीं है।

- वो शोक संदेश

1882 मेंं जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया था तब ओवल में हुए टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज करके क्रिकेट के जन्मदाता इंग्लैंड को पहली बार उसके घर में मात दी। इस हार के बाद लंदन के एक चर्चित अखबार के युवा पत्रकार ने शोक संदेश छाप दिया। इस संदेश में लिखा गया कि इंग्लिश क्रिकेट मर चुका है और इसको दफनाकर इसकी राख ऑस्ट्रेलियाई ले जाई गई है।

इंग्लैंड को इससे इतना जोर का धक्का लगा कि उसने अब ठान लिया कि ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में जाकर हराना ही होगा और दिखाना होगा कि हम ऐशेज (यानी शोक संदेश में लिखी गई काल्पनिक राख) को वापस ले आए। तैैयारी की गई और इंग्लिश टीम इवो ब्लिग की कप्तानी में इस मिशन के साथ ऑस्ट्रेलिया रवाना हो गई।

- ....और फिर आया 30 जनवरी 1883 का वो यादगार दिन

इंग्लिश टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंची और पहला टेस्ट मैच हार गई लेकिन दूसरे और तीसरे टेस्ट में उसने जीत दर्ज करके फिर से अपना दम दिखा दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इंग्लैंड की शानदार वापसी को देखते हुए मेलबर्न की कुछ महिलाओं ने एक अर्न (कलश) में विकेट के ऊपर लगने वाली गिल्लियों को जलाकर इसकी राख इंग्लिश कप्तान को भेंट कर दी। ये एक तरह का संकेत था कि इंग्लैंड की टीम जिस 'राख' या 'एशेज' के लिए आई थी वो उसने हासिल कर ली।

ठीक एक साल बाद कप्तान इवो ब्लिग ने अर्न भेंट करने वाली महिलाओं में से एक ऑस्ट्रेलियाई महिला फ्लोरेंस मर्फी से शादी भी कर ली थी। खैर, यहीं से नींव तैयार हो गई एक ऐसी टक्कर की जो 'ऐशेज' सीरीज के रूप में मशहूर हो गई। हर साल दोनों टीमों के बीच पांच मैचों की ऐशेज सीरीज खेली जाती है, एक बार इंग्लैंड में और अगली बार ऑस्ट्रेलिया में। दिलचस्प बात ये है कि अब तक दोनों ही टीमें 32-32 बार इस खिताब को जीत चुकी हैं। नई ट्रॉफी के साथ-साथ विजयी टीम को उस पुरानी अर्न जैसी एक छोटी सी अर्न भी दी जाती है।

- क्या है हकीकत?

वैसे तो मेलबर्न की महिलाओं द्वारा कलश में भेंट की गई गिल्लियों की राख वाली रिपोर्ट हकीकत मानी जाती है लेकिन इसके अलावा भी ऐशेज के पीछे की कई कहानियां रहीं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि आज भी लॉर्ड्स में रखी हुई उस असली अर्न में गिल्लियों की राख नहीं बल्कि क्रिकेट बॉल की राख है। वहीं एक नई रिपोर्ट 1998 में भी आई जब 1882 के ओवल टेस्ट में हारने वाले इंग्लिश कप्तान लॉर्ड डार्नली की 82 वर्षीय बहू ने खुलासा किया कि उस अर्न में गेंद या गिल्लियों की नहीं बल्कि उनकी सास की अस्थियां मौजूद हैं। 1927 में इवो ब्लिग के देहांत के बाद उनकी पत्नी फ्लोरेंस मर्फी ने इस अर्न को मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) को दे दिया था जो आज भी लॉर्ड्स मैदान के म्यूजियम में मौजूद है। क्या है इस राज़ के पीछे का सच, ये आज भी पुख्ता तौर पर किसी को नहीं पता। बस इतना जरूर है कि तब से लेकर आज तक इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी व फैंस इस सीरीज को दिल से लगाए हुए हैं।

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