Cheteshwar Pujara Retires: जब चेतेश्वर पुजारा बने दीवार और बन गए मिसाल, वो 5 पारियां जिन्होंने दुनिया को हिलाया
Cheteshwar Pujara Announces Retirement चेतेश्वर पुजारा ने भारतीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का एलान कर दिया है। राहुल द्रविड़ के बाद पुजारा को भारतीय क्रिकेट की नई दीवार कहा गया। पुजारा ने कई ऐसी पारियां खेली जिन्होंने उन्हें ये ख्याति दिलाई। पुजारा के संन्यास के बाद उनकी उन पारियों में नजर डालते हैं जिन्होंने पुजारा को द वॉल बनाया
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Cheteshwar Pujara Announces Retirement: राहुल द्रविड़ ने जब संन्यास लिया था तो विश्व क्रिकेट में एक ही चर्चा थी कि टीम इंडिया में उनकी जगह कौन लेगा? राहुल द्रविड़ को 'द वॉल' कहा जाता था। यानी ऐसा खिलाड़ी जो विकेट पर अपने पैर जमा ले तो आउट करना मुश्किल हो जाए। लगा कि अब राहुल जैसा कोई नहीं आएगा। लेकिन आया और उस खिलाड़ी का नाम था चेतेश्वर पुजारा। आज ये दीवार भी ढह गई। टीम इंडिया की वापसी की आस में लगे पुजारा ने रविवार को इंडियन क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का एलान कर दिया।
पुजारा ने सोशल मीडिया पर ये जानकारी दी। द्रविड़ के बाद पुजारा को भारतीय क्रिकेट की नई दीवार कहा गया था। ये ऐसे ही नहीं था। पुजारा ने कई ऐसी पारियां खेली जिन्होंने उन्हें ये ख्याति दिलाई। पुजारा ने फिर कई ऐसी पारियां खेलीं जिनके दम पर वह संन्यास के बाद भी द्रविड़ की तरह द वॉल कहलाए जाएंगे। हम आपको पुजारा की टेस्ट की टॉप-5 पारियों के बारे में बताने जा रहे हैं।
पुजारा के टेस्ट करियर की टॉप-5 पारियां
इंग्लैंड के खिलाफ दिखाया दम
साल 2012 में अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में पुजारा ने नाबाद 206 रन बनाकर सभी का ध्यान खींचा और बताया कि उनमें नंबर-3 पर द्रविड़ की जगह लेने की काबिलियत है। यह उनका टेस्ट में पहला दोहरा शतक था। इस पारी में उन्होंने 389 गेंदों का सामना किया और 21 चौके लगाए। विकेट पर तकरीबन करीब साढ़े आठ घंटे बिताने के बाद पुजारा के शरीर पर तो थकान नहीं आई थी, लेकिन उन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाजों को जरूर थका दिया था। भारत ने इस पारी के दम पर 521/8 का स्कोर बनाया और पारी घोषित की। दूसरी पारी में भी पुजारा ने नाबाद 41 रन बनाए। भारत ने ये मैच 9 विकेट से जीता। इस मैच से पुजारा का नाम टेस्ट विशेषज्ञ के रूप में स्थापित हो गया था।
रांची में किया राज
साल 2017 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर थी। चौथा मैच रांची में खेला गया था। इस टेस्ट में पुजारा ने 525 गेंदों का सामना करते हुए 202 रन बनाए जो भारत के लिए टेस्ट की एक पारी में सबसे ज्यादा गेंदें खेलने का रिकॉर्ड है। इस पारी में 21 चौके और एक छक्का शामिल था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच में भारत दबाव में था क्योंकि उस पर सीरीज हार का खतरा मंडरा रहा था। पुजारा की इस मैराथन पारी ने न केवल मैच ड्रॉ कराया, बल्कि भारत को सीरीज में बनाए रखा। उनकी यह पारी धैर्य और दबाव में प्रदर्शन की मिसाल है। यहां से पुजारा के भारतीय क्रिकेट की नई दीवार बनने की कहानी आगे बढ़ी थी
जोहान्सबर्ग में साउथ अफ्रीका को किया परेशान
साउध अफ्रीका में रन बनाना काफी मुश्किल होता है। वो भी तब जब आपके सामने कगिसो रबाडा, वार्नोन फिलेंडर जैसे गेंदबाद हो। साल 2018 में टीम इंडिया साउथ अफ्रीका के दौरे पर थी और जोहान्सबर्ग में खेले गए टेस्ट मैच में मुश्किल पिच पर पुजारा ने नाबाद 153 रनों की पारी थी जो उनकी सबसे बेहतरीन पारियों में से एक है। भारत ने केवल 7 रन पर दो विकेट गंवा दिए थे और यहां से पुजारा ने खूंटा गाड़ा और 270 गेंदों का सामना करते हुए 21 चौके लगाए। उनकी इस पारी की बदौलत भारत ने पहली पारी में 307 रन बनाए और यह मैच जीत लिया। इस पारी ने पुजारा की मुश्किल परिस्थितियों में रन बनाने की काबिलियत को साबित किया और घरेलू जमीन के शेर के आरोपों को मिटा दिया।
ऑस्ट्रेलिया में रचा इतिहास
साल 2018 में विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। ये सीरीज भारत ने अपने नाम की थी और 71 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती थी। इसमे पुजारा का योगदान कोई नहीं भूल सकता। इस दौरे पर एडिलेड टेस्ट में पुजारा ने 246 गेंदों में 123 रन बनाए। भारत ने शुरुआती दो विकेट जल्दी खो दिए थे, लेकिन पुजारा ने क्रीज पर डटकर बल्लेबाजी की। उन्होंने अपनी पारी में सात चौके और दो छक्के मारे। उनकी इस पारी ने भारत को पहली पारी में 250 रन तक पहुंचाया, जिसके कारण भारत यह मैच 31 रनों से जीता। यह पारी 2018-19 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की ऐतिहासिक जीत की नींव रखने वाली थी।
सिडनी टेस्ट में शरीर पर खाई गेंदें
साल 2021 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। विराट कोहली बच्चे के जन्म के कारण एक टेस्ट मैच खेल वापस लौट चुके थे। टीम इंडिया मुश्किल में थी। सिडनी में खेला गया टेस्ट मैच अगर भारत हार जाता तो सीरीज जीतना मुश्किल हो जाता। इस मैच में चेतेश्वर पुजारा 77 रनों की पारी खेली जिसमें 205 गेंदों का सामना करते हुए 12 चौके मारे। बेशक ये शतक नहीं था लेकिन इसका इसर शतक से ज्यादा था। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 338 रन बनाए थे और भारत दबाव में था।
पुजारा ने हनुमा विहारी के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 148 रनों की साझेदारी की। इस दौरान उन्होंने कई गेंदें अपने शरीर पर खाईं लेकिन उफ्फ तक नहीं की। उनकी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को थकाया और भारत को 407 रनों तक पहुंचाया। इस पारी ने मैच ड्रॉ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे भारत की सीरीज में उम्मीदें बरकरार रहीं। इसके बाद ब्रिस्बेन टेस्ट मैच में भी पुजारा ने अर्धशतक जमा भारत को मैच और सीरीज जीतने में मदद की।
पुजारा की ये पारियां उनकी तकनीकी दक्षता, धैर्य और टीम के लिए योगदान की कहानी बयां करती हैं। 103 टेस्ट में 7195 रन, 19 शतक और 35 अर्धशतक के साथ पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए एक मजबूत स्तंभ की भूमिका निभाई। यही कारण है कि आज जब वह रिटायर हो रहे हैं तो कहा जा रहा है- 'ढह गई भारत की एक और दीवार'
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