Deodhar Trophy का नाम कैसे पड़ा? भारतीय क्रिकेट में इस टूर्नामेंट का महत्व कितना है? जानें यहां सबकुछ
घरेलू क्रिकेट के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट देवधर ट्रॉफी के मुकाबले इस समय खेले जा रहे है। साल 2019 के बाद साल 2023 में इस ट्रॉफी का आयोजन किया गया। बता दें कि इस ट्रॉफी को शुरू हुए 50 साल पूरे हो चुके है। इस साल 6 टीमों के बीच इस टूर्नामेंट में मुकाबले राउंड रॉबिन फॉर्मेट में खेले जा रहे है।
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। घरेलू क्रिकेट के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट देवधर ट्रॉफी (Deodhar Trophy) के मुकाबले इस समय खेले जा रहे है। साल 2019 के बाद साल 2023 में इस ट्रॉफी का आयोजन किया गया। बता दें कि इस ट्रॉफी को शुरू हुए 50 साल पूरे हो चुके है। इस साल 6 टीमों के बीच इस टूर्नामेंट में मुकाबले राउंड रॉबिन फॉर्मेट में खेले जा रहे है।
ऐसे में सभी टीमें एक-एक बार विरोधी टीम के खिलाफ मुकाबला खेल रही है और अंत में जो दो टीमें प्वाइंट्स टेबल में टॉप-2 पर रहेंगी, उनके बीच फाइनल मुकाबला खेला जाएगा।
बता दें कि साल 1973-74 में देवधर ट्रॉफी में देश का पहला रिकॉर्डेड वनडे मैच खेला गया था। गौरतलब है कि देवधर ट्रॉफी की शुरुआत 1973-74 में हुई थी। पहले यह प्रतियोगिता प्रति पारी 60 ओवर की खेली जाती थी, लेकिन 1980-81 के बाद से इसे घटाकर प्रति पारी 50 ओवर का कर दिया गया।
ऐसे में इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं किसने देवधर ट्रॉफी की शुरुआत का सुझाव दिया था और क्यों देवधर नाम ही रखा गया?
Deodhar Trophy: किसने की थी देवधर ट्रॉफी की शुरुआत?
दरअसल, देवधर ट्रॉफी (Deodhar Trophy) की शुरुआत प्रोफेसर डीवी देवधर ने की थी, जिन्हें 'ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडियन क्रिकेट' भी कहते हैं। उनके नाम पर ही देवधर ट्रॉफी का नाम रखा गया।
देवधर ट्रॉफी भारत का एक प्रतिष्ठिट घरेलू टूर्नामेंट हैं। इसे लिस्ट ए क्रिकेट में गिना जाता है। इसका आयोजन बीसीसीआई हर साल करता है।
भारत ने 1932 में अपना पहला टेस्ट मैच खेला था और उस दौरान 40 साल के एक उम्रदराज खिलाड़ी को टीम में मौका नहीं दिया गया था। लगभग 1910 से क्रिकेट से जुड़े होने के बावजूद देवधर ऐसे भारतीय क्रिकेटर थे, जिन्होंने एक भी टेस्ट नहीं खेला।
1939-41 तक उन्होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र टीम की कप्तानी की थी। उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच में 246 के बेस्ट स्कोर के साथ 4522 रन बनाए। देवधर उन क्रिकेटर्स में से एक है, जिन्होंने पहले वर्ल्ड वॉर से पहले फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने का मौका मिला और दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद भी खेला।
देवधर को महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष और बाद में बीसीसीआई का उपाध्यक्ष और चयनकर्ता बनाया। उन्होंने 1993 में 101 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
देवधर ट्रॉफी का इतिहास
देवधर ट्रॉफी की शुरुआत 1973-74 सीजन में एक अंतर-क्षेत्रीय टूर्नामेंट के रूप में हुई। 1973-74 से 2014-15 तक, दो क्षेत्रीय टीमें क्वार्टर फाइनल में खेलीं, जिसमें विजेता सेमीफाइनल में अन्य तीन क्षेत्रीय टीमों के साथ शामिल हुआ। वहां से, यह एक साधारण नॉकआउट टूर्नामेंट था।
2015-16 से 2017-18 तक, विजय हजारे ट्रॉफी के विजेता , भारत ए और भारत बी राउंड-रॉबिन प्रारूप में एक-दूसरे से खेलते हैं । शीर्ष दो टीमें फाइनल में पहुंचती हैं। 2018-19 से, भारत ए , भारत बी और भारत सी राउंड-रॉबिन प्रारूप में एक-दूसरे से खेलेंगे । शीर्ष दो टीमें फाइनल में पहुंचती हैं।
ये है देवधर ट्रॉफी की सबसे सफल टीमें
बता दें कि नॉर्थ जोन टीम देवधर ट्रॉफी की सबसे सफल टीम में से एक है, जिसने कुल 13 बार खिताब अपने नाम किया है। ईस्ट जोन ने 2014-15 में ये टूर्नामेंट जीता था। 2015-16 सीजन से बीसीसीआई ने टूर्नामेंट को तीन टीम के मुकाबले में बदल दिया गया, जहां विजय हजारे ट्रॉफी के विजेता को दो अलग टीमों का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु देवधर ट्रॉफी जीतने वाली एकमात्र राज्य टीम है।