मां ने सोने की चेन बेचकर दिलाई थी बेटे को पहली क्रिकेट किट, Team India से कॉल आने पर Dhruv Jurel ने बताई अपने संघर्ष की कहानी
इंग्लैंड के विरुद्ध पहले दो टेस्ट मैचों के लिए यूपी के विकेटकीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरैल को पहली बार भारतीय टीम में चुना गया है। ध्रुव का कहना है कि यह उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। ध्रुव जुरैल से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। उन्होंने इसे सपने जैसा बताया है और कहा है कि वह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। Dhruv Jurel received first call from Team India: इंग्लैंड के विरुद्ध पहले दो टेस्ट मैचों के लिए यूपी के विकेटकीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरैल को पहली बार भारतीय टीम में चुना गया है। ध्रुव का कहना है कि यह उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। ध्रुव जुरैल से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-
यूपी से रणजी खेले, उसके बाद भारत 'ए' के लिए खेले और अब पहली बार टेस्ट टीम में आपको अवसर मिला है। इस पर क्या कहेंगे?
मेरे पिता जी सेना में हवलदार थे। जब मेरे पिता वरिष्ठ अधिकारियों को सैल्यूट मारते थे तो मुझे अच्छा नहीं लगता था। तब मैं उन्हें देखता था तो हमेशा सोचता था कि सेना में अफसर बनूंगा। मैं गली में क्रिकेट खेलता था। मैंने जब पापा से कहा कि मुझे क्रिकेट खेलना है तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि तुम्हें सरकारी नौकरी करनी है।
हमारी घर की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। सरकारी नौकरी से थोड़ी स्थिरता आती है। मैं आर्मी स्कूल में पढ़ता था। स्कूल की जब छुट्टियां हुई तो मैंने कैंप करने का सोचा। आगरा में एकलव्य स्टेडियम में मैं तैराकी सीखने गया था। वहां बच्चे क्रिकेट खेलने आए थे, मुझे भी क्रिकेट खेलने का शौक था। स्वि¨मग पूल के साथ ही मैंने क्रिकेट का भी फार्म भर दिया और यह बात मैंने अपने पापा से छुपाई। बाद में जब पापा को पता चला तो उनसे काफी डांट भी पड़ी, लेकिन बाद में वह मान गए।
उन्होंने किसी से पैसे उधार लेकर मेरे लिए 800 रुपये का बल्ला खरीदा था। दो सप्ताह बाद कोई टूर्नामेंट था तो मैंने पिताजी को बोला कि मुझे क्रिकेट किट चाहिए, तो पापा ने पूछा कि कितने की आएगी। मैंने जब बोला की छह से सात हजार रुपये की आएगी तो वह चौक गए और उन्होंने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए मना किया। ये रकम हमारे लिए बहुत बड़ी थी। तब मैंने मां से किट की जिद की। उनके पास एक ही सोने की चेन थी और उन्होंने उसे बेचकर मेरे लिए पहली क्रिकेट किट खरीदी थी।
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अपनी इस सफलता को कैसे देखते हैं?
इसमें मेरे पिता और माता का सबसे बड़ा योगदान है। उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंच सका हूं। पहले मुझे नहीं एहसास नहीं हुआ, लेकिन बाद में लगा कि मेरी मां ने मेरे लिए कितना बड़ा त्याग दिया था। 2008 में पापा रिटायर हो गए थे और उसके बाद वह पीएसओ की नौकरी करते थे। उन्हें गेट खोलना पड़ता था। मुझे उन्हें देखकर बहुत अजीब लगता था, लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ाया।
मैं अंडर-14 खेला, उसके बाद अंडर 16 खेला। यूपीसीए ने मेरी बहुत सहायता की। राजीव शुक्ला सर ने बहुत मदद की। उसके बाद मैं अंडर-19 विश्व कप खेला। आइपीएल में खेला। मैंने हमेशा ही कोशिश की, जब भी मुझे अवसर मिले, मैं अपना शत-प्रतिशत दूं। ईश्वर की कृपा से अच्छा प्रदर्शन हुआ और भारतीय टीम में मेरा चयन हुआ।