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मां ने सोने की चेन बेचकर दिलाई थी बेटे को पहली क्रिकेट किट, Team India से कॉल आने पर Dhruv Jurel ने बताई अपने संघर्ष की कहानी

इंग्लैंड के विरुद्ध पहले दो टेस्ट मैचों के लिए यूपी के विकेटकीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरैल को पहली बार भारतीय टीम में चुना गया है। ध्रुव का कहना है कि यह उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। ध्रुव जुरैल से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। उन्होंने इसे सपने जैसा बताया है और कहा है कि वह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं।

By Jagran News Edited By: Geetika SharmaUpdated: Sat, 13 Jan 2024 09:44 AM (IST)
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टीम इंडिया से कॉल आने पर ध्रुव जुरैल ने अपने संघर्ष की कहानी बताई।

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्‍ली Dhruv Jurel received first call from Team India: इंग्लैंड के विरुद्ध पहले दो टेस्ट मैचों के लिए यूपी के विकेटकीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरैल को पहली बार भारतीय टीम में चुना गया है। ध्रुव का कहना है कि यह उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। ध्रुव जुरैल से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-

यूपी से रणजी खेले, उसके बाद भारत 'ए' के लिए खेले और अब पहली बार टेस्ट टीम में आपको अवसर मिला है। इस पर क्या कहेंगे? 

मेरे पिता जी सेना में हवलदार थे। जब मेरे पिता वरिष्ठ अधिकारियों को सैल्यूट मारते थे तो मुझे अच्छा नहीं लगता था। तब मैं उन्हें देखता था तो हमेशा सोचता था कि सेना में अफसर बनूंगा। मैं गली में क्रिकेट खेलता था। मैंने जब पापा से कहा कि मुझे क्रिकेट खेलना है तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि तुम्हें सरकारी नौकरी करनी है।

हमारी घर की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। सरकारी नौकरी से थोड़ी स्थिरता आती है। मैं आर्मी स्कूल में पढ़ता था। स्कूल की जब छुट्टियां हुई तो मैंने कैंप करने का सोचा। आगरा में एकलव्य स्टेडियम में मैं तैराकी सीखने गया था। वहां बच्चे क्रिकेट खेलने आए थे, मुझे भी क्रिकेट खेलने का शौक था। स्वि¨मग पूल के साथ ही मैंने क्रिकेट का भी फार्म भर दिया और यह बात मैंने अपने पापा से छुपाई। बाद में जब पापा को पता चला तो उनसे काफी डांट भी पड़ी, लेकिन बाद में वह मान गए।

उन्होंने किसी से पैसे उधार लेकर मेरे लिए 800 रुपये का बल्ला खरीदा था। दो सप्ताह बाद कोई टूर्नामेंट था तो मैंने पिताजी को बोला कि मुझे क्रिकेट किट चाहिए, तो पापा ने पूछा कि कितने की आएगी। मैंने जब बोला की छह से सात हजार रुपये की आएगी तो वह चौक गए और उन्होंने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए मना किया। ये रकम हमारे लिए बहुत बड़ी थी। तब मैंने मां से किट की जिद की। उनके पास एक ही सोने की चेन थी और उन्होंने उसे बेचकर मेरे लिए पहली क्रिकेट किट खरीदी थी।

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अपनी इस सफलता को कैसे देखते हैं?

इसमें मेरे पिता और माता का सबसे बड़ा योगदान है। उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंच सका हूं। पहले मुझे नहीं एहसास नहीं हुआ, लेकिन बाद में लगा कि मेरी मां ने मेरे लिए कितना बड़ा त्याग दिया था। 2008 में पापा रिटायर हो गए थे और उसके बाद वह पीएसओ की नौकरी करते थे। उन्हें गेट खोलना पड़ता था। मुझे उन्हें देखकर बहुत अजीब लगता था, लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ाया।

मैं अंडर-14 खेला, उसके बाद अंडर 16 खेला। यूपीसीए ने मेरी बहुत सहायता की। राजीव शुक्ला सर ने बहुत मदद की। उसके बाद मैं अंडर-19 विश्व कप खेला। आइपीएल में खेला। मैंने हमेशा ही कोशिश की, जब भी मुझे अवसर मिले, मैं अपना शत-प्रतिशत दूं। ईश्वर की कृपा से अच्छा प्रदर्शन हुआ और भारतीय टीम में मेरा चयन हुआ।

जब भारतीय टीम में चयन की खबर मिली तो मां-पिता की क्या प्रतिक्रिया थी?

मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि मेरा चयन इंग्लैंड IND Vs ENG के विरुद्ध टेस्ट टीम के लिए हुआ है। उनका मेरे पास फोन आया। सुनकर बहुत अच्छा लगा। भारत ए के लिए मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके अलावा अभ्यास मैच में भी अच्छा किया। विकेटकीपिंग भी अच्छी हो रही थी। चयन के बारे में सोचा नहीं था।

मैंने बस प्रदर्शन करने पर फोकस किया। पापा को जब बताया तो बहुत खुश हुए और पूछा कि कौन सी भारतीय टीम में चयन हुआ है। ये मेरे और पूरे परिवार के लिए भावुक करने वाला है।- आजकल के युवाओं के लिए टी-20 या आइपीएल अधिक महत्वपूर्ण है।

आप का चयन टेस्ट के लिए हुआ है। आप इसे कैसे देखते हो?

असली क्रिकेट तो टेस्ट क्रिकेट ही है। इस प्रारूप में आपकी असली परीक्षा होती है। आपका चरित्र, आपकी प्रतिभा सभी की परख होती है। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे टेस्ट क्रिकेट से भारत के लिए पदार्पण करने का अवसर मिलेगा।

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एक विकेटकीपर के रूप में प्रतिस्पर्धा कितनी कड़ी है और भारत में स्पिन के विरुद्ध विकेटकीपिंग करना कितना मुश्किल होता है?

मेरा मानना है कि केवल विकेटकीपिंग ही नहीं, बल्कि हर भूमिका काफी मुश्किल होती है। जो गेंदबाजी करता है उसके लिए भी बड़ी चुनौती होती है। मेरे पापा ने हमेशा ही सिखाया है कि प्रतिस्पर्धा को लेकर ज्यादा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि वह आपके हाथ में नहीं है। आप बस एक-दूसरे की सफलता का आनंद लो।

आप मध्यवर्ग से आते हैं। यहां तक पहुंचने में यूपीसीए से कितनी मदद मिली?

मैंने अभी तक यूपी से ही क्रिकेट खेला है चाहे अंडर-14 हो या अंडर-16 हो। यूपीसीए ने मेरा पूरा साथ दिया है। - विकेटकी¨पग में किसे आदर्श मानते हैं। मैं महेंद्र सिंह धोनी भईया को अपना आदर्श मानता हूं। एक विकेटकीपर और एक क्रिकेटर के रूप में वह मुझे पसंद हैं।

पिछली बार आइपीएल IPL के दौरान उनसे मुलाकात हुई थी। उस दौरान एक साक्षात्कार के दौरान धोनी भईया ने मेरा नाम भी लिया था क्योंकि मैंने अच्छी पारी खेली थी। वो मेरे करियर का सबसे यादगार पल था। एक क्रिकेटर जिसे आप अपना आदर्श मानते हो और जब वह आपकी प्रशंसा करता है तो इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता।

भारतीय कैंप में राहुल द्रविड़, विराट कोहली, रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों के साथ बैठना, सीखना। इस बारे में क्या कहेंगे?

इसे मैं बता नहीं सकता। जिन्हें टीवी पर देखा है उनके साथ ड्रेसिंग रूप साझा करूंगा। ये अलग ही अहसास होगा। कोशिश करूंगा कि इन लोगों से जितना सीख सकूं, सीखूंगा और अपने खेल को बेहतर करूंगा। - टीम में तीन विकेटकीपर हैं।

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अभी आपको धीरे-धीरे मौका मिलेगा तो इस परिश्रम को कैसे देखते हैं?

मैं दूसरों से खुद की प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहा हूं। मुझे बस खुद पर भरोसा रखना है। अपनी मेहनत पर विश्वास रखना है।