Move to Jagran APP

भारतीय टेस्ट टीम में अभिमन्यू ईश्वरन के चयन पर कोहली व चेतन शर्मा के बीच ठनी, पहले भी हो चुका है ऐसा

अभिमन्यू ईश्वरन को लेकर चेतन शर्मा की अगुआई वाली भारतीय सेलेक्शन कमेटी और टीम मैनेजमेंट के बीच ठन गई है जिसमें भारतीय कप्तान विराट कोहली भी शामिल हैं। हालांकि भारतीय क्रिकेट में ये विवाद कोई पहली बार नहीं हुआ है और ऐसा पहले भी हो चुका है

By Sanjay SavernEdited By: Updated: Wed, 07 Jul 2021 06:25 PM (IST)
Hero Image
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (एपी फोटो)
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय क्रिकेट में एक नया विवाद सामने आ रहा है जो इंग्लैंड दौरे के लिए टेस्ट टीम में शामिल किए गए बंगाल के ओपनर बल्लेबाज अभिमन्यू ईश्वरन को लेकर है। ईश्वरन को लेकर चेतन शर्मा की अगुआई वाली भारतीय सेलेक्शन कमेटी और टीम मैनेजमेंट के बीच ठन गई है जिसमें भारतीय कप्तान विराट कोहली भी शामिल हैं। हालांकि भारतीय क्रिकेट में ये विवाद कोई पहली बार नहीं हुआ है और ऐसा पहले भी हो चुका है जब सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट के बीच खिलाड़ी को लेकर टकराव की स्थिति सामने आई है। इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट में ऐसा हुआ है जब कप्तान को उसकी पसंद का खिलाड़ी नहीं मिल पाया और फिर सेलेक्टर्स के साथ मनमुटाव हुआ। 

60 के दशक के अंत में और 70 के दशक की शुरूआत में बंगाल के विकेटकीपर हुआ करते थे ,पारसी समुदाय के रूसी जीजीभाइ, जिन्होंने 46 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे और बल्लेबाजी में उनका औसत 10.46 था। भारत के 1971 के वेस्टइंडीज दौरे के लिये तीसरे विकेटकीपर का स्थान खाली था। अब निगाह दलीप ट्राफी मैच पर टिकी थी जिसमें पूर्वी क्षेत्र की अगुवाई रमेश सक्सेना कर रहे थे और दलजीत सिंह को विकेटकीपिंग करनी थी। इस मैच का हिस्सा रहे एक खिलाड़ी ने पीटीआइ को बताया कि, चयन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष विजय मर्चेंट  ने टॉस से ठीक पहले रमेश भाई को बुलाया तथा दलजीत को बल्लेबाज और रूसी को विकेटकीपर के रूप में खिलाने को कहा। रमेश भाई उनकी बात नहीं टाल सके थे। 

जीजीभाई को वेस्टइंडीज दौरे के लिये चुना गया जो पहला और आखिरी दौरा साबित हुआ। उनका 46 मैचों में उच्चतम स्कोर 39 रन था। नए कप्तान अजित वाडेकर उनके चयन को लेकर मर्चेंट जैसे दिग्गज के साथ बहस नहीं करना चाहते थे। बंगाल के पूर्व कप्तान संबरन बनर्जी ने बताया कि 1979 में सुरिंदर खन्ना के साथ उनका इंग्लैंड दौरे पर जाना तय था लेकिन आखिर में तमिलनाडु के भरत रेड्डी को चुन लिया गया। तत्कालीन कप्तान एस वेंकटराघवन भी तमिलनाडु के थे। इसी तरह से कपिल देव ने 1986 के इंग्लैंड दौरे पर मनोज प्रभाकर की जगह मदन लाल को टीम में शामिल करवा दिया था जो तब इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट खेल रहे थे।

कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन और कोच संदीप पाटिल 1996 में सौरव गांगुली को इंग्लैंड ले जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन संबरन बनर्जी तब चयनकर्ता थे और वह चयनसमिति के तत्कालीन अध्यक्ष गुंडप्पा विश्वनाथ और किशन रूंगटा को मनाने में सफल रहे थे। सहारा कप 1997 के दौरान कप्तान सचिन तेंदुलकर और टीम प्रबंधन मध्यप्रदेश के आलराउंडर जेपी यादव को टीम में चाहते थे लेकिन चयन समिति के संयोजक ज्योति वाजपेई ने अपने राज्य उत्तर प्रदेश के जेपी यादव को भेज दिया और उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला।

इसी तरह से तेंदुलकर को 1997 के वेस्टइंडीज दौरे में अपनी पसंद का आफ स्पिनर नहीं मिला था। तब हैदराबाद के एक चयनकर्ता ने नोएल डेविड का चयन पर जोर दिया था जिनका करियर चार वनडे तक सीमित रहा।आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की ऐतिहासिक सीरीज में चयनकर्ता शरणदीप सिंह को टीम में रखना चाहते थे। गांगुली नहीं माने। उन्होंने हरभजन सिंह को टीम में रखवाया और जो हुआ वो इतिहास है। महेंद्र सिंह धौनी ने 2011 में मियामी में छुट्टियां मना रहे अपने दोस्त आरपी सिंह को टेस्ट टीम में शामिल करवा दिया था। आरपी सिंह कुछ खास नहीं कर पाये और इसके बाद फिर कभी टेस्ट मैच नहीं खेले।