Guyana: भारतीय जड़ों को मजबूती से पकड़े है गयाना, गलियों-सड़कों पर बजते हैं हिंदी और भोजपुरी गाने
गयाना के इतिहास को देखें तो अंग्रेजों ने सालों पहले कई गिरमिटिया मजदूरों को भारत से यहां गन्ना बागानों में काम करने के लिए लाए थे। ये मजदूर अपने साथ अपनी सांस्कृतिक परंपराएं लेकर आए जिनमें उनकी भाषाएं धर्म संगीत नृत्य और कपड़े शामिल थे। आज गयाना में कई जगह हिंदू मंदिर के साथ-साथ हिंदी और भोजपुरी गाने सुनने को मिल जाते हैं।
अभिषेक त्रिपाठी, गयाना। टी-20 वर्ल्ड कप सुपर-8 मुकाबले में जब अफगानिस्तान की टीम बांग्लादेश पर जीत का जश्न मना रही थी, तब मैं गयाना के चेड्डी जगन एयरपोर्ट पर उतरा था। गयाना के प्रोविडेंस स्टेडियम में ही भारत और इंग्लैंड के बीच गुरुवार को सेमीफाइनल मुकाबला खेला जाना है।
गयाना में भारतीय संस्कृति का असर कितना व्यापक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मैं एयरपोर्ट से होटल के लिए टैक्सी में निकला तो रास्ते में श्रीराम और भगवान हनुमान की बड़ी-बड़ी मूर्तियों वाले मंदिर दिखाई दिए। एक बार को लगा कि हम गयाना में नहीं बल्कि भारत के किसी राज्य में ही यात्रा कर रहे हैं।
गयाना में लोग बोलते हैं भोजपुरी
यहां पर अब भी बहुत सारे लोग भोजपुरी बोलते हैं। गयाना में भारतीय संस्कृति की जड़ें मजबूत हैं। सालों पहले अंग्रेज कई गिरमिटिया मजदूरों को भारत से यहां गन्ना बागानों में काम करने के लिए लाए थे। ये मजदूर अपने साथ अपनी सांस्कृतिक परंपराएं लेकर आए, जिनमें उनकी भाषाएं, धर्म, संगीत, नृत्य और कपड़े शामिल थे। समय के साथ, ये परंपराएं विकसित हुईं और स्थानीय संस्कृतियों के साथ मिलकर प्रथाओं और मान्यताओं का एक अनूठा मिश्रण बनाया।गयाना में बसे हैं गिरमिटिया मजदूर
गयाना के इतिहास को देखें तो अंग्रेजों ने अपने मजदूरों को अलग-थलग करके व उनकी आवाजाही को सीमित करके उनके लिए एक एकीकृत समुदाय बनाना मुश्किल बना दिया। हालांकि, इसने भारतीयों को अपने धर्म का पालन करने से नहीं रोका। अपनी मातृभूमि से 9,000 मील से भी अधिक दूर अप्रवासी उपनिवेशवादियों की दमनकारी रणनीति के तहत अपनी हिंदू पहचान स्थापित करने और उसे बनाए रखने के लिए और भी दृढ़ हो गए थे। हालांकि, समय और स्वतंत्रता दोनों की कमी के बावजूद वे डटे रहे और सभी सप्ताह में एक रात को एकत्र होते।
फोटो- जागरण
मिलता है देसी खाना
यहां रहने वाली लीजा ने कहा कि जब हमारे पुरखे आए तो उनके लिए अपनी हिंदू प्रथाओं में शामिल होने के लिए एकमात्र दिन मिलता था। बाद में जब लोगों ने अंग्रेजों का विरोध किया तो उन्हें अपने धर्म के पालन की अधिक स्वतंत्रता मिली। भारतीय व्यंजन भी यहां की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण तत्व है। यहां जगह-जगह भारतीय रेस्तरां हैं, जिसमें देसी खाना मिल रहा है। हम रात को महाराजा पैलेस रेस्तरां में खाना खाने गए जहां बढ़िया दाल तड़का, चना मसाला और अब तक घूमे कैरेबियन देशों की सबसे बढ़िया नान मिली।हिंदी और भोजपुरी गानें को लगाता है तड़का
खास बात थी खाना परोस रहे वेटर ने पूरे समय हिंदी में बात की। टैक्सी में भारतीय गाने बज रहे हैं। नए गाने अब तक यहां नहीं पहुंचे हैं या ये लोग सुनना नहीं चाहते। अब भी सोनू निगम, उदित नारायण, किशोर कुमार, लता मंगेशकर के गाने ही यहां सुने जा रहे हैं। ड्राइवर रमेश सरन ने कहा कि यहां जिनको हिंदी नहीं भी आती वो भी भारतीय गाने सुनते हैं। हालांकि, अब यहां चीनी लोग अपना प्रभुत्व जमा रहे हैं जिससे जनता खासी खुश नहीं है।गयाना में हिंदी और भोजपुरी गानों की धूम...जागरण के वरिष्ठ खेल संवाददाता अभिषेक त्रिपाठी सर की लाइव रिपोर्टिंग गयाना से...
Video- @abhishereporter pic.twitter.com/FvOYV9w1Vo
— Umesh kumar (جوکر) (@umeshjoker) June 26, 2024