अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर होगी भारत की जय-जय, भारतीय क्रिकेट में कई बदलाव करने वाले शाह अब आइसीसी चेयरमैन
भारतीय क्रिकेट में कई बदलाव करके अपनी अलग छवि बनाने वाले बीसीसीआई सचिव अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर धाक जमाने के लिए तैयार हैं। जब जय शाह बीसीसीआई सचिव बने तो भाजपा के विरोधी उनके खिलाफ हो गए लेकिन इस युवा प्रशासक ने शुरुआती कुछ महीनों में मीडिया से दूरी बनाई और चुपचाप एक प्रशासक के तौर पर भारतीय क्रिकेट प्रशासन की बारीकियों को सीखा।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट में कई बदलाव करके अपनी अलग छवि बनाने वाले बीसीसीआई सचिव अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर धाक जमाने के लिए तैयार हैं। जब जय शाह बीसीसीआई सचिव बने तो भाजपा के विरोधी उनके खिलाफ हो गए, लेकिन इस युवा प्रशासक ने शुरुआती कुछ महीनों में मीडिया से दूरी बनाई और चुपचाप एक प्रशासक के तौर पर भारतीय क्रिकेट प्रशासन की बारीकियों को सीखा।
भारतीय क्रिकेट में किए बदलाव
इसके बाद वह ऐसी फार्म में आए कि भारतीय क्रिकेट में वो आमूलचूल बदलाव कर डाले जो बड़े से बड़े क्रिकेट प्रशासक इससे पहले नहीं कर सके। बीसीसीआई उपाध्यक्ष और कांग्रेसी नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि जय के आईसीसी जाने से वहां बहुत अच्छे काम होंगे। उसका कारण यह है कि एक तो वह बहुत मेहनती हैं, दूसरा उनका कोई हित नहीं है, तीसरा वह सिर्फ क्रिकेट की भलाई के बारे में सोचते हैं और चौथा उनके अंदर किसी तरह का लालच नहीं है। ऐसे व्यक्ति के आईसीसी में जाने से वैश्विक क्रिकेट का बहुत भला होगा।
निर्विरोध चुने गए जय शाह
35 वर्षीय जय शाह को मंगलवार को निर्विरोध अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद का अगला चेयरमैन चुन लिया गया। जिन लोगों ने भी जय शाह के सचिव रहते हुए बीसीसीआई की कार्यशैली को देखा है, वे उनके आईसीसी चेयरमैन बनने से बिल्कुल भी अचंभित नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति के जाने के बाद जय ने बीसीसीआई का सचिव पद संभाला।काफी चुनौतीपूर्ण रहा कार्यकाल
अगर शाह के पांच साल के कार्यकाल पर नजर डालें तो 2020 और 2021 ऐसे वर्ष रहे जब बीसीसीआई को काफी चुनौतीपूर्ण समय देखना पड़ा। कोविड-19 ने विश्व को हिलाकर रख दिया और सब कुछ ठप हो गया। आईपीएल के दौरान बायो बबल का निर्माण करना हो या बबल के भीतर मेडिकल टीम बनाकर कोविड पॉजीटिव मामलों को संभालना हो। सब बाधाओं को उन्होंने सफलतापूर्वक पार किया।
जय शाह के कार्यकाल की उपलब्धि
जय शाह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि महिला प्रीमियर लीग की शुरुआत करना रहा। उन्होंने लगातार दो सत्रों का सफलतापूर्वक आयोजन कराया और इस टूर्नामेंट ने महिला क्रिकेटरों को बड़ा अवसर दिया। जय शाह ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को समान मैच फीस (प्रति टेस्ट 15 लाख रुपये, प्रति वनडे 8 लाख रुपये और प्रथम एकादश खिलाडि़यों के लिए प्रति टी-20 चार लाख रुपये) देकर समानता सुनिश्चित करने का उनका निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम था।जय शाह के सफर पर एक नजर
जय शाह का क्रिकेट प्रशासन में औपचारिक प्रवेश 2009 में हुआ, जब उन्होंने अहमदाबाद केंद्रीय क्रिकेट बोर्ड (सीबीसीए) के साथ जिला स्तर पर काम करना शुरू किया। इसके बाद वह कार्यकारी के रूप में गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीए) से जुड़े और 2013 में जीसीए के सचिव चुने गए। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आयु वर्ग की कोचिंग की प्रणाली बनाई, जिसने यह सुनिश्चित किया कि जब गुजरात का खिलाड़ी रणजी स्तर पर पहुंचे तो वह सीनियर क्रिकेट में खेलने के लिए तैयार रहे। इसीका परिणाम था कि गुजरात ने 2016-17 में रणजी ट्रॉफी जीती थी।