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लखनऊ से देश को मिलेंगी एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं, क्रिकेट के साथ हॉकी, टेनिस और बैडमिंटन का बना हब

इकाना स्पोर्ट्स सिटी बनने से खुली मेजबानी की राह अटल बिहारी वाजपेयी (इकाना) स्टेडियम केवल क्रिकेट के लिए ही नहीं बल्कि फुटबॉल बास्केटबॉल वालीबॉल हैंडबाल बैडमिंटन स्क्वैश टेनिस और टेबल टेनिस जैसे खेलों की हाईटेक ट्रेनिंग के लिए भी तैयार है। यहां बाकायदा एक खेल शहर विकसित किया गया है। यानी प्रदेश के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अब उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिए दिल्ली-मुंबई जाकर धक्के खाने की जरूरत नहीं है।

By Jagran News Edited By: Priyanka Joshi Updated: Fri, 30 Aug 2024 04:08 PM (IST)
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लखनऊ से देश को मिलेंगी एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं
विकास मिश्र, नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम के मुख्य चयनकर्ता और खेल निदेशक डा. आरपी सिंह कहते हैं, राजकुमार पाल बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। पेरिस ओलिंपिक तक सफर तय करने में उनके परिवार का भी अहम रोल है। पहले जूनियर इंडिया और फिर राष्ट्रीय हॉकी टीम में बतौर मिडफील्डर शामिल किए गए।

उन्होंने बताया कि पिछले चार साल से राजकुमार राष्ट्रीय टीम का हिस्सा हैं। उनकी बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए पेरिस ओलिंपिक की हॉकी टीम में जगह दी गई थी, जिसे उन्होंने साबित भी किया। उनमें गजब की तेजी है।

आने वाले समय में वह टीम इंडिया के अहम खिलाड़ी होंगे। राजकुमार ने यह साबित किया है कि अगर आप अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़संकल्पित हों तो कोई सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।

खेल की सुविधाएं बढ़ीं तो निखरीं प्रतिभाएं

इकाना स्पोर्ट्स सिटी बनने से खुली मेजबानी की राह अटल बिहारी वाजपेयी (इकाना) स्टेडियम केवल क्रिकेट के लिए ही नहीं, बल्कि फुटबॉल, बास्केटबॉल, वालीबॉल, हैंडबाल, बैडमिंटन, स्क्वैश, टेनिस और टेबल टेनिस जैसे खेलों की हाईटेक ट्रेनिंग के लिए भी तैयार है। यहां बाकायदा एक खेल शहर विकसित किया गया है। यानी प्रदेश के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अब उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिए दिल्ली-मुंबई जाकर धक्के खाने की जरूरत नहीं है।

इकाना स्पोर्ट्स सिटी परिसर में बालक और बालिकाओं के हॉस्टल, सभी खेलों की अकादमी, फैकल्टी बिल्डिंग और गेस्ट हाउस बनाए गए हैं। पिछले साल यहां आइटीएफ टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन हो चुका है।

इकाना में इस साल दीपावली तक क्रिकेट के साथ अन्य खेलों की भी अकादमी शुरू होने जा रही है। इकाना स्पोर्ट्स सिटी की वजह से लखनऊ पिछले पांच वर्षों में क्रिकेट विश्व कप, आईपीएल और अब यूपी क्रिकेट लीग की मेजबानी कर रहा है।

खिलाड़ियों की किस्मत बदल रहा साई सेंटर साई सेंटर में खिलाड़ियों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण केंद्र के तौर पर जाना जाता है। यहां पर नेशनल सेंटर फार एक्सीलेंस का संचालन होता है, जिसमें कई खेलों की उच्चस्तरीय ट्रेनिंग मुहैया कराई जाती है। सेंटर में प्रशिक्षुओं की संख्या बढ़ाकर 245 कर दी गई है, जो पहले 184 तक सीमित थी।

ताइक्वांडो में 40, हॉकी में 85, वेटलिफ्टिंग में 50, कुश्ती में 50 और पहली बार शामिल पैरा ताइक्वांडो व पैरा पावर लिफ्टिंग में 10-10 प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। एनसीओई में उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय पदक विजेताओं को हाईटेक ट्रेनिंग मिलती है।

साई सेंटर के प्रशिक्षु राजकुमार पाल इस साल पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम इंडिया के अहम सदस्य रहे। राजकुमार ने सेंटर में 2011 में दाखिला लिया था।

इसके अलावा भी सूबे के कई खिलाड़ी अलग-अलग खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सेंटर में देश का दूसरा सबसे बड़ा वेटलिफ्टिंग हाल भी बनाया गया है, जहां ट्रेनिंग के लिए प्लेटफार्म तैयार किए गए हैं।

केडी सिंह बाबू स्टेडियम, साई सेंटर, स्पोर्ट्स कॉलेज, यूपी बैडमिंटन अकादमी और अटल बिहारी वाजपेयी (इकाना) अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम। ये शहर के ऐसे खेल सेंटर हैं, जहां खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण दिया जाता है।

इन सेंटरों से पिछले एक साल में कई खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा के दम पर देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। इनमें हाकी से राजकुमार पाल, शारदानंद तिवारी, आमिर अली, विष्णुकांत, मुमताज खान हैं तो टेबल टेनिस खिलाड़ी दिव्यांश श्रीवास्तव और तनीषा सिंह का नाम भी विशेष रूप से शामिल है। क्रिकेट में भी कई सितारे राष्ट्रीय फलक पर लखनऊ का नाम रोशन कर रहे हैं।

क्रिकेट के साथ हॉकी, टेनिस और बैडमिंटन का उच्चस्तरीय सेंटर बना लखनऊ

विकास मिश्र की रिपोर्ट: बदल रही है ऐतिहासिक केडी सिंह बाबू स्टेडियम की रंगत वालीबाल के खिलाड़ी अब टेराफ्लेक्स निर्मित कोर्ट पर अभ्यास करेंगे। स्मार्ट सिटी योजना के तहत केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर यह वालीबाल कोर्ट तैयार किया गया है। इनमें बालक और बालिकाओं के अभ्यास के लिए अलग-अलग कोर्ट तैयार किए गए हैं। अब तक यहां खिलाड़ी मिट्टी के कोर्ट पर अभ्यास को मजबूर थे।

इससे ट्रेनिंग बेहतर होगी। यहां टेराफ्लेक्स निमित वालीबाल कोर्ट न होने से खिलाड़ियों को दिक्कतें हो रही थी। बारिश के मौसम में अभ्यास प्रभावित होता था। बरसात की वजह से दो-तीन महीने तक मिट्टी वाले कोर्ट में कीचड़ और जलभराव बना रहता है। पानी सूखने के बाद भी कोर्ट को अभ्यास के लायक बनाने में काफी समय खराब होता था।

विजयंत खंड में बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का टेनिस कोर्ट विजयंत खंड मिनी स्टेडियम जूनियर हाकी विश्व कप की मेजबानी कर चुका है। इसके अलावा यहां कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के आयोजन हो चुके हैं। खेल विभाग ने पिछले साल यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का टेनिस कोर्ट बनाया, जिसकी वजह से सूबे को दूसरी बार डेविस कप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की मेजबानी मिली। अब यहां नियमित तौर पर युवा टेनिस खिलाड़ी ट्रेनिंग करते हैं और समय-समय पर उत्तर प्रदेश की टीम का कैंप भी लगता है।

10 वर्ष की उम्र में सिर से उठा पिता का साया, मां ने की मजदूरी

एक खिलाड़ी के लिए कठिनाइयों से जूझना कोई नई बात नहीं है। गाजीपुर के छोटे गांव से निकलकर दुनियाभर में परचम लहराने वाले हॉकी खिलाड़ी राजकुमार पाल का जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है। सिर्फ 10 साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन मां ने हार नहीं मानी और तमाम दुश्वारियों का सामना करने के बाद भी बेटे को उसके लक्ष्य तक पहुंचाया।

वाराणसी से लगभग 40 किलोमीटर दूर करमपुर से पेरिस तक की उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति की एक प्रेरणादायक कहानी रही है। करीब तीन हजार की आबादी वाले करमपुर गांव से हाकी स्टिक थामकर सैकड़ों लड़कों ने ओलंपिक खेलने का सपना देखा, लेकिन इसे पूरा करने का मौका सिर्फ राजकुमार को मिला।

26 वर्षीय खिलाड़ी अपने पहले ओलंपिक में ही छा गए, लेकिन वह सफलता का श्रेय अपनी मां और कोच को देते हैं। राजकुमार ने 2018 में बेल्जियम में पांच देशों के अंडर-23 टूर्नामेंट में खेला और 2020 में भारतीय टीम में पदार्पण किया। अब तक लगभग 58 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके राजकुमार के पिता कल्पनाथ का वर्ष 2011 में एक सड़क हादसे में निधन हो गया था। राजकुमार पाल की मां मनराजी पाल कहती हैं, पति की मौत के बाद तीन लड़कों की परिवरिश के साथ पूरे परिवार का बोझ मेरे कंधों पर था। हमारे पास दो विकल्प था। पहला बच्चों को साधारण शिक्षा दिलाकर नौकरी कराना, दूसरा संघर्ष का रास्ता अपनाकर उन्हें उनका लक्ष्य दिलाना। हमने हिम्मत नहीं हारी।

कांस्य पदक जीतने के बाद राजकुमार

नए कोर्ट पर अभ्यास कर सकेंगे खिलाड़ी। वहीं, टेनिस खिलाडियों के अभ्यास के लिए शानदार सिंथेटिक कोर्ट तैयार किया गया है। लगभग 231.77 लाख की लागत से तीन कोर्ट तैयार बनाए गए हैं। इसका फायदा खिलाड़ियों को मिल रहा है।

साथ ही यहां अब टेनिस की बड़ी प्रतियोगिता का भी आयोजन हो सकेगा। पुराना कोर्ट जर्जर हो जाने की दशा में प्रतियोगिताएं गोमतीनगर में आयोजित की जा रही थीं। यूपी टेनिस एसोसिएशन जल्द यहां बड़ी प्रतियोगिता भी कराने जा रहा है। स्मार्ट सिटी के तहत सबसे बड़ा उपहार उन लोगों को मिलने वाला है जो यहां पर जागिंग के लिए आते हैं। स्टेडियम परिसर में 215.96 लाख की लागत से जागिंग कोर्ट तैयार किया गया है। इसके अलावा स्टेडियम में ओलिंपिक साइज का स्वीमिंग पूल भी इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा।

स्पोर्ट्स कॉलेज में प्रशिक्षु रहे कई खिलाड़ी सुरेश रैना, आरपी सिंह क्रिकेटर और मौजूदा खेल निदेशक डा. आरपी सिंह समेत कई दिगग्ज खिलाड़ी स्पोर्ट्स कॉलेज के प्रशिक्षु रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कालेज के ट्रेनिंग स्तर में गिरावट देखने को मिली है।

इसका मूल कारण यहां पर प्रिंसिपल से लेकर कोच और शिक्षक की वैकल्पिक व्यवस्था माना जाता है। इसका असर युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर भी पड़ रहा है। हालांकि, वैकल्पिक व्यवस्था के तहत संचालित हो रहा है, लेकिन भविष्य में यहां भी साई की नेशनल सेंटर फार एक्सीलेंस स्कीम लागू करने की योजना है।

कॉलेज परिसर में साई का बड़ा सेंटर स्थापित किया जाएगा, जहां हाकी समेत कई खेलों में लखनऊ समेत प्रदेश के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।