Mohammad Siraj: दिन के मिलते थे 100-200 रुपये, रोटियां पलटने में जले हाथ; जन्मदिन पर मुश्किल दिनों को याद कर भावुक हुए मोहम्मद सिराज
टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज आज अपना 30वां जन्मदिन मना रहे हैं। सिराज की गिनती दुनिया के बेस्ट तेज गेंदबाजों में की जाती है। बीसीसीआई ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें सिराज अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए भावुक नजर आ रहे हैं। सिराज ने बताया कि रोटियां पलटने में उनके हाथ जल जाया करते थे।
जन्मदिन पर भावुक हुए सिराज
मोहम्मद सिराज के जन्मदिन पर बीसीसीआई ने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो में सिराज अपने मुश्किल दिनों की कहानी बयां करते हुए दिख रहे हैं। सिराज ने बताया, "मैं जब 18 साल का था, तो केटरिंग की नौकरी पर जाया करता था। मेरी फैमिली मुझसे पढ़ाई पर फोकस करने को कहती थी, लेकिन मैं हमेशा से ही क्रिकेट खेलना चाहता था। हम किराए के मकान पर रहते थे, और पापा हमारे परिवार में कमाने वाले इकलौते इंसान थे। इस वजह से काम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के बावजूद मैं काम करता था।"
🏠 𝙃𝙤𝙢𝙚𝙘𝙤𝙢𝙞𝙣𝙜 𝙨𝙥𝙚𝙘𝙞𝙖𝙡 𝙛𝙩. 𝙈𝙤𝙝𝙖𝙢𝙢𝙚𝙙 𝙎𝙞𝙧𝙖𝙟
As he celebrates his birthday, we head back to Hyderabad where it all began 👏
The pacer's heartwarming success story is filled with struggles, nostalgia and good people 🤗
You've watched him bowl, now… pic.twitter.com/RfElTPrwmJ
— BCCI (@BCCI) March 13, 2024
सिराज को मिलते थे 100 से 200 रुपये
भारतीय तेज गेंदबाज ने आगे कहा, "मुझे 100 से 200 रुपये मिलते थे, जिसमें से मैं 150 रुपये घर पर देता था और 50 रुपये अपने खर्च के लिए रखता था। वो टाइम (बताते हुए सिराज इमोशनल हो जाते हैं) आपने एक बेहद सेंसिटिव टॉपिक छेड़ दिया।"
रोटियां पलटते हुए जल जाते थे हाथ
अश्विन ने बताया कि रोटियां पलटने हुए उनके हाथ जल जाते थे। उन्होंने कहा, "रुमाली रोटियों को पलटने के प्रयास में मेरे हाथ जल जाते थे। मैं अपने हिस्से का संघर्ष किया है और इसी वजह से मैं यहां पर हूं।" सिराज वीडियो में अपने पिता को याद करते हुए भावुक हो गए।
2019 में छोड़ना चाहते थे क्रिकेट
मोहम्मद सिराज ने बताया कि वह साल 2019 में क्रिकेट को छोड़ने का मन बना रहे थे। उन्होंने कहा, "मैंने खुद को साल 2019 में बोला था कि यह मेरा आखिरी साल होगा। इस साल मैं खुद को दूंगा और अगर कुछ नहीं हुआ, तो क्रिकेट को छोड़ दूंगा। अगर मैंने संघर्ष नहीं किया होता, तो मुझे इसकी कद्र पता नहीं चलती। यह खबर कोई भी नहीं जानता है।"