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भारत के चहेते कप्‍तान और लीडर कैसे बने Sourav Ganguly? हर एक फैसले में दिखी बंगाल टाइगर की 'दबंगता'

Sourav Ganguly Contribution in Indian Cricket पूर्व भारतीय कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को क्रिकेट वर्ल्ड में आफ साइड का भगवान’ माना जाता है। फील्ड पर सभी खिलाड़ी और फैंस सौरव गांगुली को दादा कहकर बुलाते हैं। गांगुली के प्रयासों के कारण ही भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट 2019 में ईडन गार्डन में खेला था।

By Jagran NewsEdited By: Geetika SharmaUpdated: Sat, 08 Jul 2023 10:26 AM (IST)
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Sourav Ganguly Contribution in Indian Cricket. Image Twitter
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। Sourav Ganguly Contribution in Indian Cricket पूर्व भारतीय कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को क्रिकेट वर्ल्ड में आफ साइड का भगवान’ माना जाता है। सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट में अपना अहम योगदान दिया है। इस बीच बाएं हाथ के बल्लेबाज आज अपना 51वां जन्मदिन (Sourav Ganguly 50th Birthday) मना रहे हैं। फील्ड पर सभी खिलाड़ी और फैंस सौरव गांगुली को दादा कहकर बुलाते हैं। 

लॉर्ड्स में खेला पहला टेस्ट-

इस मौके पर दादा के दो दशक से लंबे करियर के कईं शानदार पल हैं। गांगुली को अपने अनोखे नेतृत्व के लिए जाना जाता है। दादा ने 20 जून 1996 को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेला था, जिसमें उन्होंने शतक बनाकर दर्शकों के दिलों में अपने लिए जगह बनाई थी।

भारत में डे-नाइट टेस्ट लाने में अहम भूमिका-

भारत में डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट (day-night Test cricket in India) लाने में गांगुली का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गांगुली के प्रयासों के कारण ही भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट 2019 में ईडन गार्डन में खेला था। गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) (Cricket Association of Bengal) के अध्यक्ष भी बने। इसके बाद 23 अक्टूबर 2019 को सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के 39वें अध्यक्ष बने थे, जिससे उन्होंने 2022 में इस्तीफा दे दिया।  

भारतीय क्रिकेट में गांगुली का योगदान-

बतौर कप्तान गांगुली ने 2000 आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी (ICC Knockout Trophy) के फाइनल मैच में भारतीय टीम का नेतृत्व किया। इसके बाद टीम इंडिया ने गांगुली की कैप्टेंसी में शानदार तरीके से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (Border-Gavaskar Trophy) में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया।

हालांकि इस सीरीज में भारत को स्टीव वॉ की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम द्वारा फॉलोऑन करने के लिए कहा गया था, लेकिन वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम के लिए फालोआन खेलने के बाद जीत दर्ज करने का इतिहास रचा।

लॉर्डस में जर्सी लहराना-

इसके बाद जब गांगुली ने लार्ड्स की बालकनी में आलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटाफ को चिढ़ाने के लिए अपनी जर्सी लहराते (Ganguly took off his jersey at Lords balcony) हुए टीम की जीत का जश्न मनाया वो उनके करियर का सबसे यादगार पल था। हालांकि बाद में गांगुली को इस पर काफी अफसोस भी हुआ था और उन्होंने कहा कि वह इसे दोबारा दोहराना नहीं चाहेंगे।

गांगुली का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर-

15 नवंबर 2007 को ग्वालियर में गांगुली ने अपना आखिरी वनडे (Ganguly last one day match) मैच खेला था। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट 6 नवंबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में खेला था। हालांकि इसके बाद कुछ सालों तक इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलते रहे, लेकिन मई 2012 को गांगुली ने घरेलू क्रिकेट से भी संन्यास ले लिया।

दादा ने इंटरनेशन करियर में भारत की (Ganguly international career) ओर से 113 टेस्ट में 7212 रन और 311 एकदिवसीय मैचों में 11363 रन बनाए। इसके अलावा बाएं हाथ के बल्लेबाज ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में सभी फॉर्मेट में कुल 18,575 रन बनाए।

गांगुली ने विकेट भी लिए हैं।

गांगुली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 113 टेस्ट मैचों में 52.53 की औसत के साथ 32 विकेट अपने नाम किए हैं। गांगुली ने 311 वनडे मैचों में 38.49 की औसत के साथ 100 विकेट अपने नाम किए हैं। इसके अलावा बतौर कप्तान गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में 195 मैचों में भारत का नेतृत्व किया और 97 मैचों में जीत हासिल की।