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रघु 140-150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से थ्रोडाउन करके टीम इंडिया को कराते हैं अभ्यास

सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और महेंद्र सिंह धौनी से लेकर कप्तान विराट कोहली तक रघु के मुरीद हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Updated: Sun, 28 Jan 2018 06:52 PM (IST)
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रघु 140-150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से थ्रोडाउन करके टीम इंडिया को कराते हैं अभ्यास
अभिषेक त्रिपाठी, जोहानिसबर्ग। इंदौर, कानुपर, दिल्ली, मुंबई, ओवल, केपटाउन, सेंचुरियन, जोहानिसबर्ग.. टीम इंडिया किसी भी मैदान में मैच खेलने से पहले जब भी अभ्यास करती है तो एक दुबला-पतला पांच फुट का लड़का माथे पर टीका लगाए, चेहरे पर मुस्कान के साथ हाथ में रोबो आर्म (एक स्टिक जिसमें गेंद फंसाकर फेंकी जाती है) लेकर 140-150 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से लगातार दो से तीन घंटे तक भारतीय बल्लेबाजों को अभ्यास कराता दिखता है। सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और महेंद्र सिंह धौनी से लेकर कप्तान विराट कोहली तक इसके मुरीद हैं। पिछले कई वर्षो में भारतीय टीम के खिलाड़ी, कप्तान, कोच और सहयोगी स्टाफ बदलते रहे, लेकिन यह इंसानी गेंदबाजी मशीन अपनी काबिलियत से लगातार टिकी हुई है। इस इंसानी गेंदबाजी मशीन का नाम है राघवेंद्र उर्फ रघु।

भारत की जीत में बड़ा हाथ : भारतीय टीम जब दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने आई तो इस बात का डर सबको सता रहा था कि उसके बल्लेबाज तेजी और बाउंसर का सामना कैसे करेंगे। केपटाउन टेस्ट से पहले कोच रवि शास्त्री, बल्लेबाजी कोच संजय बांगर, गेंदबाजी कोच भरत अरुण, फील्डिंग कोच आर श्रीधर के साथ थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट रघु टीम इंडिया को अभ्यास कराने में जुट गए। केपटाउन टेस्ट से पहले अभ्यास में रघु लगातार विराट को बाउंसर फेंक रहे थे, कप्तान एक गेंद मिस कर गए तो रघु ने उनसे पूछा कि और फेंकूं क्या तो उन्होंने कहा कि तू बिंदास फेंकते जा। विराट अगर वर्तमान सीरीज में सबसे ज्यादा 286 रन बना सके तो उसमें इस इंसानी गेंदबाजी मशीन का भी बड़ा योगदान रहा। टीम इंडिया के बाकी बल्लेबाजों को भी केपटाउन और जोहानिसबर्ग की तेज और बाउंसी पिचों पर दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों वर्नोन फिलेंडर, मोर्नी मोर्केल, कैगिसो रबादा, लुंगी नगीदी और डेल स्टेन को खेलने में रघु के थ्रोडाउन अभ्यास ने काफी मदद की। विराट ने एक बार कहा था कि अगर मेरी बल्लेबाजी मजबूत हुई तो उसमें बल्लेबाजी कोच संजय बांगर और थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट रघु का बड़ा हाथ है। उनका कहना था कि बल्लेबाजी सुधारने के लिए पर्दे के पीछे से बहुत लोग काम करते हैं, लेकिन लोगों को यह पता नहीं होता है। मुझे लगता है कि 140 किमी प्रति घंटे की स्पीड से अभ्यास कराकर रघु ने मुझे बहुत मजबूत बनाया है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने रघु को लेकर कहा था कि भारतीय टीम में एकमात्र विदेशी गेंदबाज यही है।

घर से भाग गए थे रघु : उत्तर कर्नाटक के कुमता गांव के रहने वाले रघु 1990 में पढ़ाई और घर छोड़कर क्रिकेट को करियर बनाने के लिए मुंबई चले आए। वह नेट्स पर गेंदबाजी का अभ्यास करते थे। बीच में उन्होंने बेंगलुरुमें सहयोगी स्टाफ का काम भी किया। 2000 में उन्हें बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में स्थित बीसीसीआइ की नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में नौकरी मिल गई। यहां वह खाली नेट पर तीन से चार घंटे तक हाथ से चकिंग (बिना पूरा हाथ घुमाए) करते हुए गेंद फेंकते थे। ऐसे करते हुए उन्होंने इस थ्रोडाउन की कला को अपने अंदर विकसित किया।

शॉर्ट गेंद के मास्टर : रघु टीम इंडिया के बल्लेबाजों को लगातार शॉर्ट गेंदों का अभ्यास कराते हैं। पहले वह बिना हाथ घुमाए ही चकिंग के जरिये टीम को अभ्यास कराते थे, लेकिन गैरी क‌र्स्टन जब टीम इंडिया के कोच बने तो उन्होंने रघु को रोबो आर्म दी। इसके जरिये आप ज्यादा लंबाई से गेंद को पटकते हैं तो बाउंस ज्यादा मिलता है। रोबो आर्म मिलने के बाद तो रघु के थ्रोडाउन में और चार चांद लग गए। वह एक ही एक्शन से इनस्विंग, आउट स्विंग और बाउंसर फेंक लेते हैं जिससे भारतीय बल्लेबाजों को नेट पर ही मिशेल स्टार्क, स्टुअर्ट ब्रॉड, डेल स्टेन, ट्रेंट बोल्ट जैसे विदेशी गेंदबाजों की गेंदें खेलने जैसा अभ्यास हो जाता है। वह नेट पर ही बल्लेबाजों को ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड जैसी बाउंसी पिचों जैसा अभ्यास कराने का माद्दा रखते हैं। जब वह अभ्यास कराते हैं तो कई बार खिलाड़ी चोटिल भी हो जाते हैं। पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ वानखेड़े में चौथे टेस्ट से पहले अजिंक्य रहाणे रघु के सामने अभ्यास करते हुए चोटिल हो गए थे। जब कोई खिलाड़ी अभ्यास करते हुए चोटिल होता है तो रघु के चेहरे पर निराशा का भाव स्वत: देखा जाता है, लेकिन टीम इंडिया के खिलाड़ी इसे खेल भावना से ही लेते हैं।

द्रविड़ और सचिन की पड़ी नजर : स्कूल अध्यापक के पुत्र रघु का परिवार उनके क्रिकेट खेलने के खिलाफ था। राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर ने बांद्रा में उन्हें पहली बार व्यक्तिगत स्तर पर थ्रोडाउन करते हुए देखा। इसके बाद उन्हें टीम इंडिया में अभ्यास कराने के लिए लाया गया। रवि शास्त्री के कोच बनने के बाद वह टीम इंडिया के सहयोगी स्टाफ के परमानेंट सदस्य हो गए हैं। रघु जब भी मुंबई जाते हैं तो सचिन उन्हें अपने घर में ही रुकने के लिए कहते हैं। रघु मीडिया के सदस्यों से बहुत हंसकर बात करते हैं, लेकिन जब भी उनसे उनके बारे में छापने के लिए कुछ पूछो तो वह मुस्कुरा के मना कर देते हैं।

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