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खूनी टेस्ट मैच की कहानी, 5 भारतीय प्लेयर्स पहुंचे थे अस्पताल, जान लेने पर उतारू थे वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज

Story of WI vs Ind 1976 Test Series 4th match साल 1976 की बात है। वेस्टइंडीज का वर्ल्ड क्रिकेट में एकतरफा राज था। पहले टेस्ट गंवाने के बाद भारतीय टीम ने जोरदार वापसी करते हुए तीसरे टेस्ट में वेस्टइंडीज को हरा दिया था। हालांकि इसके बाद चौथे टेस्ट में जो हुआ उसको भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे काले दिन के तौर पर याद किया जाता है।

By Shubham MishraEdited By: Shubham MishraUpdated: Tue, 11 Jul 2023 05:20 PM (IST)
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WI vs India Test 1976: भारत बनाम वेस्‍टइंडीज
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। साल 1976 की बात है। वेस्टइंडीज का वर्ल्ड क्रिकेट में एकतरफा राज था। दुनियाभर के बल्लेबाज कैरेबियाई तेज गेंदबाजों से थर-थर कांपते थे। उसी दौर में भारतीय टीम वेस्टइंडीज से भिड़ने उसकी सरजमीं पर पहुंची थी। चार मैचों की टेस्ट सीरीज जारी थी। पहले टेस्ट गंवाने के बाद भारतीय टीम ने जोरदार वापसी करते हुए तीसरे टेस्ट में क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली टीम को हार का स्वाद चखा दिया था।

कप्तान क्लाइव लॉयड इस हार को पचा नहीं सके थे। भारत की इस जीत ने कैरेबियाई गेंदबाजों के अंदर सो रहे शैतान को मानो जगा दिया था। इसके बाद चौथे टेस्ट में वेस्टइंडीज के फास्ट बॉलर्स ने भारतीय बल्लेबाजों को जो हश्र किया, उसे सुनकर आज भी लोग कांप उठते हैं। एक जीत का नुकसान भारत को इस कदर उठाना पड़ा था कि टीम के पांच खिलाड़ियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

भारतीय टीम ने की थी शानदार शुरुआत

तीसरे टेस्ट को जीतने के बाद भारतीय टीम के हौसले बुलंद थे। 406 रन के रिकॉर्ड लक्ष्य को हासिल करते हुए टीम ने यादगार जीत दर्ज की थी। चौथे टेस्ट में भी टीम इंडिया ने धमाकेदार शुरुआत की और सुनील गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़ की सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े। टेस्ट के पहले दिन का खेल भारतीय टीम के नाम रहा और स्कोर बोर्ड पर लगे सिर्फ एक विकेट खोकर 175 रन।

कप्तान क्लाइव लॉयड का जानलेवा प्लान

टेस्ट के पहले दिन भारतीय बल्लेबाजों का दबदबा रहने के बाद वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने तेज गेंदबाजों के साथ मिलकर जानलेवा प्लान तैयार किया। कैरेबियाई गेंदबाजों ने दूसरे दिन भारतीय बल्लेबाजों के स्टंप की जगह उनके शरीर को निशाना बनाना शुरू किया। वेस्टइंडीज के फास्ट बॉलर्स ने एक के बाद गेंद भारतीय बैटर्स की बॉडी पर मारना शुरू कर दिया। बदले की आग कैरेबियाई गेंदबाजों की आंखों में साफतौर पर चमक रही थी और उनकी गेंदबाजी को देखकर ऐसा लगा रहा था कि मानो वह भारतीय बल्लेबाजों को आउट करने नहीं, बल्कि जान से मारने उतरे हैं।

तीन खिलाड़ी पहुंचे अस्पताल

अंशुमन गायकवाड़ वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का पहला शिकार बने और गोली की रफ्तार से आई गेंद उनके कान पर लगी। अंशुमन मैदान पर चित हो गए और उनको अस्पताल लेकर जाना पड़ा। अंशुमन के बाद बृजेश पटेल के चेहरे पर माइकल होल्डिंग की रफ्तार भरी गेंद आकर लगी और अस्पताल पहुंचने पर उनके मुंह पर टांके लगाने पड़े। गुडप्पा विश्वनाथ भी कैरेबियाई गेंदबाजों के कहर से खुद को नहीं बचा सके।

कप्तान बिशन सिंह बेदी ने की पारी घोषित

बल्लेबाजों की यह हालात देख भारतीय ड्रेसिंग रूम में सभी खिलाड़ी खौफ में थे। कप्तान बिशन सिंह बेदी ने टीम के हित में फैसला लेते हुए पारी को घोषित करने का फैसला किया। कहा जाता है कि अगर बेदी पारी घोषित नहीं करते, तो शायद भारत के सभी खिलाड़ी उस दिन अस्पताल पहुंचते। भारत के 306 रन के जवाब में वेस्टइंडीज ने फिर 391 रन बनाए और 85 रन की बढ़त हासिल की। फील्डिंग करते समय कप्तान बेदी और चंद्रशेखर भी इंजर्ड हो गए। यानी भारत की आधी टीम चोटिल।

दूसरी पारी में खेले सिर्फ पांच बल्लेबाज

दूसरी पारी में भारत की ओर से बल्लेबाजी करने सिर्फ पांच बल्लेबाज उतरे। गावस्कर के साथ दिलीप वेंगसरकर ने पारी की शुरुआत की। गावस्कर दूसरी इनिंग में कुछ खास नहीं कर सके। वेंगसरकर ने मोहिंदर अमरनाथ के साथ पारी को संभालने का प्रयास तो किया, लेकिन जल्द ही वह पवेलियन लौट गए।

97 के स्कोर पर मदन लाल, मोहिंदर अमरनाथ और एस वैंकटराघवन एकसाथ पवेलियन लौट गए। इसके बाद भारतीय टीम की ओर से कोई भी बल्लेबाज बैटिंग करने नहीं उतरा। तीन बल्लेबाज अस्पताल में भर्ती थे, तो बेदी और चंद्रशेखर भी चोटिल हो चुके थे। भारत ने वेस्टइंडीज के सामने महज 13 रन का लक्ष्य रखा, जिसको कैरेबियाई टीम ने 1.5 ओवर में ही हासिल कर लिया।