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14000 किलोमीटर का विश्व विजयी सफर, वर्ल्ड कप जीतने के बाद विशेष विमान से स्वदेश पहुंची भारतीय टीम

बारबाडोस में बेरिल तूफान के चलते तीन तक फंसी टीम इंडिया को भारत वापस लाने के लिए बीसीसीआई ने विशेष विमान भेजा था। गुरुवार की सुबह विश्व चैंपियन टीम दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे। 15 घटें 30 मिनट में 14000 किलोमीटर का सफर दैनिक जागरण के वरिष्ठ खेल संवाददाता अभिषेक त्रिपाठी ने बयां किया है। वह भी टीम इंडिया के साथ उस विमान में मौजूद थे।

By abhishek tripathiEdited By: Umesh Kumar Updated: Fri, 05 Jul 2024 07:00 AM (IST)
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भारतीय टीम को को विशेष विमान से लाया गया भारत। फाइल फोटो

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। मैंने जिंदगी में नहीं सोचा था कि कभी 15 घंटे 30 मिनट में 14000 किलोमीटर का सफर बिना सोए करूंगा। मैं ही नहीं विश्व विजयी कप्तान रोहित शर्मा सहित पूरी भारतीय टीम, मुख्य कोच राहुल द्रविड़ सहित उनका सहयोगी स्टाफ, बीसीसीआई सचिव जय शाह, अध्यक्ष रोजर बिन्नी, स्टार स्पो‌र्ट्स के कुछ क्रू मेंबर और बाकी खेल पत्रकारों ने भी इस लंबे सफर में कुछ ही देर अपनी पलकें झपकाई होंगी। क्योंकि उस फ्लाइट में जो हो रहा था उसका एक भी पल कोई छोड़ना नहीं चाहता था।

सब चाहते थे कि 13 साल बाद विश्व कप ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम के साथ बिताए हर पल को आंखों में कैद कर लिया जाए। शायद वहां हुई हर बात को मैं यहां लिख भी न पाऊं क्योंकि वहां जो हो रहा था, उसे शब्दों में पिरोना शायद आज मेरे बस की भी बात नहीं है। बेरिल तूफान के कारण पहली बार भारतीय टीम ने सीधे किसी कैरेबियाई देश से भारत का सफर किया। इससे पहले टीम लंदन या न्यूयार्क से फ्लाइट बदलकर जाती थी।

जय शाह का बड़ा कदम

भारतीय टीम 29 जून को विश्व कप ट्रॉफी जीतकर हिल्टन होटल पहुंच गई। वह भारत निकलने के लिए तैयार थी, लेकिन बारबाडोस सरकार ने बेरिल तूफान के कारण अगले ही दिन रविवार शाम से ग्रांटली एडम्स हवाई अड्डे को बंद करने का निर्णय लिया। कुछ देर पहले बीसीसीआई सचिव जय शाह ने टीम की जीत को लेकर बातचीत करने के लिए भारतीय पत्रकारों को टीम होटल बुलाया था। ये जय ही थे जिन्होंने रोहित, विराट और हार्दिक पांड्या जैसे सीनियर खिलाड़ियों को टीम में रखने के निर्णय पर मुहर लगाई, जिसका फल भारत को ट्रॉफी के तौर पर मिला।

कई पत्रकारों की भी फ्लाइट रद्द हो चुकी थीं। इसके बाद की फ्लाइट सात जुलाई की मिल रही थीं। जब जय को ये पता चला तो उन्होंने कहा कि हम देखते है। आप सबको यहां से निकालने की पूरी कोशिश करूंगा। जय खुद अपनी फ्लाइट छोड़कर टीम भारत के लिए रुके थे, क्योंकि वह भारतीय टीम को तूफान में अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहते थे। उन्होंने भारतीय कप्तान रोहित शर्मा से भी इस बारे में पूछा और उन्होंने भी इस निर्णय का समर्थन किया।

मुश्किलें कम नहीं हो रही थीं

बीसीसीआई किसी भी तरह भारतीय टीम को बारबाडोस से निकालने के लिए प्रयासरत था। उसने एयर इंडिया के एक चार्टर को बुक किया, लेकिन वह तकनीकी कारण से सैन फ्रांसिस्को से उड़ान नहीं भर सका। फिर दूसरा चार्टर न्यूयार्क से बुलाया गया। यह तय हुआ कि टीम बारबाडोस से दो जुलाई को छह बजे (स्थानीय समयानुसार) निकलेगी और तीन तारीख को शाम 7.45 पर दिल्ली पहुंच जाएगी लेकिन दो बार समय आगे बढ़ा और टीम तीन जुलाई को सुबह 4.30 (स्थानीय समयानुसार) पर बारबाडोस से दिल्ली के लिए रवाना हुई।

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शुरू हुआ अनोखा सफर

करीब 22 खेल पत्रकार, भारतीय टीम और अन्य लोग तीन जुलाई की सुबह बारबाडोस एयरपोर्ट पहुंचे। मैंने सूर्य कुमार से उनकी कैच को लेकर पूछा, उन्होंने कहा कि मेरा ध्यान इस बात पर था कि किसी तरह सिर्फ दो रन जाने दूं लेकिन कैच का प्रयास सफल हो गया। विराट कोहली पीछे इकोनामी में पूछने आए जगह खाली हैं क्या। राहुल द्रविड़ इकोनामी में आकर सो गए। इस पूरे यादगार सफर के बाद गुरुवार सुबह छह भारतीय टीम का विशेष विमान नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरा।

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