Sourav Ganguly: न पैड.. न ग्लव्स, मासूम हाथों ने थामा था बल्ला, 'क्रिकेट के दादा' ने सुनाई बचपन की कहानी
नई दिल्ली में आयोजित हुए डीपी वर्ल्ड (DP World) के बियॉन्ड बाउंड्रीज पहल के लॉन्च इवेंट में दिल्ली कैपिटल्स के डायरेक्टर सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने अपने पहले बैट को लेकर एक किस्सा शेयर किया। गांगुली ने बताया कि जब वह 13 साल के थे तब उन्हें पहला बैट मिला था और उस बैट को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। सौरव गांगुली (Sourav Ganguly)... एक ऐसा नाम जिनकी पहचान भारत के सबसे सफल कप्तानों में की जाती हैं। गांगुली जब भी मैदान पर बल्ले के साथ उतरते थे तो विरोधी टीम के गेंदबाजों की सिट्टी-पिट्टी गुल हो जाती थी।
उन्होंने अपने करियर की आगाज भी बेहतरीन शतक के साथ की थी और जब उन्हें कप्तानी मिली तो देश को जीतने की उन्होंने आदत-सी डाल दी। आज पूरी दुनिया गांगुली को 'दादा' के नाम से जानाती और पहचानती हैं। 'दादा' की कप्तानी में भारत ने कई ऊंचाइयों को हासिल किया।
उनकी कप्तानी में ही भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने अपना डेब्यू किया था। इतना ही नहीं, गांगुली बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं और मौजूदा समय में वह आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स की टीम के डायरेक्टर हैं।
हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित हुए डीपी वर्ल्ड (DP World) के बियॉन्ड बाउंड्रीज पहल के लॉन्च इवेंट में दिल्ली कैपिटल्स के डायरेक्टर सौरव गांगुली ने अपने पहले बैट को लेकर एक किस्सा शेयर किया।
Sourav Ganguly ने बताया उन्हें किस उम्र में मिला था पहला बैट?
दरअसल, जब भी बात क्रिकेट के खेल की होती है, तो सबसे पहले हर किसी के दिमाग में बैट और बॉल की तस्वीर बन जाती है, क्योंकि बिना इन दोनों के ये खेल बिल्कुल अधूरा है। जैसे-जैसे समय बदल रहा है, चीजों में परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है। पहले बैट साधारण से हुआ करते थे, लेकिन अब काफी एडवांस बैट देखने को मिलते हैं।इस बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने डीपी वर्ल्ड के एक इवेंट में कहा कि सबसे अहम उपकरण ‘बैट’ होता है। गांगुली ने साथ ही बताया कि उन्होंने 13 साल की उम्र में अपना पहला बैट पकड़ा था। उन्होंने आगे कहा कि उनके समय इतने ज्यादा उपकरण जैसे ग्ल्व्स या पैड नहीं हुआ करते थे, लेकिन सबसे जरूरी जो होता है वह बैट होता है। गांगुली ने कहा कि सबसे पहला बैट मिलने के बाद मुझे याद मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
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