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पॉक्सो कानून के तहत दर्ज किए जाएं मामले : अदालत

By Edited By: Updated: Mon, 07 Jan 2013 10:30 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों के खिलाफ हाल में ही लागू किए गए विशेष कानून प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट (पॉक्सो) के तहत मामला दर्ज किया जाए। यह निर्देश रोहिणी कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ की अदालत ने नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के दो दोषियों को सजा सुनाते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त को दिया है। मामले में दोषी विक्रम सिंह को उम्र कैद व तेजिंदर सिंह को दस साल कैद की सजा सुनाई गई है। दोनों बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फैक्टरी चलाते थे। उनके खिलाफ शाहबाद डेरी थाने में मामला दर्ज किया गया था।

18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन शोषण, अश्लीलता आदि की रोकथाम के लिए बने इस विशेष कानून को 14 नवंबर 2012 को लागू किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में इस विशेष कानून के तहत बच्चों के साथ किए गए यौन अपराधों की जांच करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि दुर्भाग्य से हाल में दर्ज किए गए मामलों में ऐसा नहीं किया गया है। अदालत ने फैसले की एक प्रति पुलिस आयुक्त को भेजने का निर्देश देते हुए उन्हें इस मामले में आवश्यक कदम उठाने को कहा है।

पेश मामले में पीड़ित अपने माता पिता व भाई के साथ उक्त फैक्टरी परिसर में रहती थी। उसका पिता सुरक्षा गार्ड था और वहां एक चाय की दुकान चलाता था। पिता अस्थमा पीड़ित उसकी मां को इलाज कराने के लिए अस्पताल ले जाया करता था। इस दौरान पीड़ित व उसका भाई ही चाय की दुकान चलाते थे। इस मामले का खुलासा जनवरी 12 में तब हुआ, जब लड़की के बीमार पड़ने पर उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां पता चला कि वह आठ महीने की गर्भवती है। इसके बाद पीड़ित ने परिजनों को आपबीती सुनाई। उसने बताया कि फैक्टरी में चाय देने के लिए जब वह गई थी तो दोनों दोषियों ने पहली बार उसके साथ दुष्कर्म किया था। माता पिता की गैर मौजूदगी में दोनों लगातार उसके साथ दुष्कर्म करते थे और मामले की जानकारी किसी को देने पर जान से मारने की धमकी देते थे।

सुनवाई के दौरान पीड़ित ने एक बच्चे को जन्म दिया। डीएनए जांच में यह साबित हो गया बच्चे का जैविक पिता विक्रम सिंह है। अदालत ने दोनों दोषियों पर एक एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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