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विवि की स्वायत्तता खत्म करने की घोषणा है सीबीसीएस: आदित्य

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में एक बार फिर से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के विर

By Edited By: Updated: Fri, 12 Jun 2015 10:07 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में एक बार फिर से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के विरोध में देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने संवाददाता सम्मेलन कर अपनी बार रखी।

फेडरेशन आफ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज टीचर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का फैसला उच्च शिक्षा को नियंत्रित करने और शिक्षक समुदाय व विश्वविद्यालय प्रणाली की अकादमिक स्वायत्तता को खत्म करने की घोषणा है। एक ही झटके में शिक्षाविद् और विश्वविद्यालयों से पाठ्यक्रम निर्माण का अधिकार छीन रही है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एकरूपता के नाम पर यह नौकरशाहों और राजनीतिक प्रतिनिधियों को 80 फीसद पाठ्यक्रम के निर्माण की निर्विवाद शक्तियां दे रहा है, जिसे पूरे देश में क्रियान्वित किया जायेगा।

पाठ्यक्रम निर्माण में विश्वविद्यालयों की भूमिका केवल 20 फीसद के फेरबदल तक ही सीमित कर दी गई है। यह कदम पाठ्यक्रम में अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और पूर्वाग्रह को लादने वाला भी सिद्ध होगा, जिसके कुछ नमूने हम हाल में देख भी चुके हैं।

फेडरेशन आफ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डा. समीर बेहरा ने कहा कि वर्तमान सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता सरंचना, शैक्षणिक साख एवं देश-समाज की प्रगति में ज्ञान की सृजनात्मकता और प्रसार की महत्वपूर्ण भूमिका को पंगु करना चाहती है।

अभी विभिन्न ऑनर्स पाठ्यक्रमों में पेपरों की संख्या 20 से 22 तक है, जबकि सीबीसीएस के अंतर्गत ऑनर्स पाठ्यक्रमों में कोर पेपर की संख्या को मात्र 14 तक सीमित कर दिया गया है। यह नीति शिक्षकों के कार्यभार में कमी लाएगी। इसके कारण एक ओर जहां हजारों शिक्षक सड़क पर आ जाएंगे, वहीं दूसरी ओर स्थायी नियुक्तियों की संभावनाएं भी समाप्त होगी।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम किशोर शास्त्री ने कह कि वर्तमान सरकार ने इस साल के बजट में शिक्षा पर खर्च में लगभग 20 प्रतिशत की कटौती की है। प्रेसवार्ता में देश के अन्य प्रदेशों के कई लोगों ने हिस्सा लिया।

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