Move to Jagran APP

अक्षम फैजल मुस्लिम युवतियों को बना रहे हैं सक्षम

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: पढ़ाई के दौरान सड़क हादसे में पिता जख्मी हुए तो मोहम्मद फैजल नवाज के क

By Edited By: Updated: Fri, 12 Aug 2016 10:11 PM (IST)
Hero Image

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

पढ़ाई के दौरान सड़क हादसे में पिता जख्मी हुए तो मोहम्मद फैजल नवाज के कंधों पर पूरे घर की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन, पीसीओ पर काम व टी शर्ट बेचकर पढ़ाई करने वाले फैजल ने हार नहीं मानी। एमटेक, मानव अधिकार में डिप्लोमा की पढ़ाई कर बंगलुरु में नौकरी की। इस दौरान समाज के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत दिल्ली खींच लाई। शारीरिक रूप से अक्षम फैजल जाफराबाद में मुस्लिम युवतियों को न केवल शिक्षित बना रहे हैं बल्कि उनके शोषण के विरूद्ध आवाज भी उठा रहे हैं।

मोहम्मद फैजल नवाज कहते हैं कि उनका बचपन आर्थिक तंगी से जूझते हुए गुजरा। पिता के सड़क हादसे में जख्मी होने के बाद से तो मानों पूरा परिवार बिखर सा गया, लेकिन फैजल ने इस विपत्ति में खुद को संभाला और छोटे- मोटे काम करते हुए परिवार की आर्थिक स्थिति संभाली। पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की लेकिन हर समय समाज के लिए कुछ करने का जज्बा बरकरार रहा। वे कहते हैं कि दिल्ली आया तो आरटीआइ लगा मुस्लिम युवतियों, पुरुषों के विभिन्न नौकरियों में प्रतिशत की जानकारी मांगी। जवाब मिला तो हैरान संग हतप्रभ था। ऐसे में जाफराबाद को कर्मभूमि बनाने का निर्णय कर लिया।

जाफराबाद में एक महिला दोस्त और मां के सहयोग से स्वयं सेवी संगठन की नींव डाली, जिसके जरिये घर-घर जाकर मुस्लिम परिवार को युवतियों को शिक्षित करने के मकसद से अभिभावकों को समझाया। पहले पहल तो लोग सुनते तक को राजी नहीं थे। लड़कियों को शिक्षित करने के सवाल से ही लोग गुस्सा तक हो जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे हमने किसी तरह एकाध लोगों को राजी किया। वर्तमान में 100 से ज्यादा युवतियां उनके मिशन से जुड़ी हैं।

डिप्लोमा साबित हुआ मददगार

फैजल कहते हैं कि शोषण से विरुद्ध अधिकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने में मानवाधिकार में डिप्लोमा मददगार साबित हुआ। अब प्रतिदिन पांच से दस महिलाएं ना केवल शिकायत पत्र लिखवाने आती हैं बल्कि थाने में इंसाफ जल्द मिले, इसको लेकर मदद मांगती हैं। फैजल बिना समय गंवाए लगभग हर समय युवतियों, बच्चों की मदद को तत्पर रहते हैं। वे कहते हैं अशिक्षा व शोषण के विरुद्ध अधिकार की लड़ाई जारी है और जब तक मुस्लिम परिवारों में युवतियों की शिक्षा और उनके मौलिक अधिकारों को लेकर जागरूकता नहीं आएगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।