बजट में जीवन देने वाली यमुना को भूली सरकार, नहीं दिया गया फंड
बजट में यमुना को निर्मल बनाने और नदी के तटों को आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने अलग से कोई राशि निर्धारित नहीं की है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। राजधानी में पेयजल व सीवरेज निस्तारण के लिए दिल्ली सरकार ने बजट में भले ही भारी भरकम बजट निर्धारित किया है। इसके बावजूद सरकार जीवनदायिनी यमुना को भूल गई। बजट में यमुना को निर्मल बनाने और नदी के तटों को आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने अलग से कोई राशि निर्धारित नहीं की है।
यमुना को साफ करने का प्लान
उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक जीत के साथ दिल्ली की सत्ता में वापसी करने के बाद पहले बजट में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने घोषणा की थी कि पांच साल में यमुना को निर्मल बनाया जाएगा और उसके किनारों को आकर्षक रूप से विकसित किया जाएगा। जहां लोग पिकनिक मनाने जाया करेंगे। तब बजट में कहा गया था कि यमुना में सबसे ज्यादा प्रदूषण नजफगढ़ और सप्लीमेंट्री नाले से होता है। इसलिए 3656 करोड़ की लागत से इन दोनों नालों के सीवरेज युक्त पानी को शोधित करने की योजना बनाई गई है।
बजट नहीं मिला
एनजीटी ने भी वर्ष 2017 तक यमुना को निर्मल बनाने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था। बहरहाल यमुना निर्मल होना तो दूर अब तक उस यमुना पर अमल भी शुरू नहीं हो पाया है। यमुना को निर्मल बनाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित पांच साल की समय सीमा में से भी तीन साल बीत गए। चौथे साल में भी यमुना की सफाई के लिए बजट में राशि निर्धारित नहीं गई है।
समस्या बड़ी है
वर्तमान समय में दिल्ली में प्रतिदिन करीब 720 एमजीडी सीवरेज उत्पन्न होता है। जबकि जल बोर्ड के मौजूद सीवरेज शोधन संयंत्रों में करीब 609 एमजीडी सीवरेज शोधन की क्षमता है। इसमें भी करीब 450 एमजीडी शोधित हो पाता है। शेष सीवरेज बगैर शोधन के यमुना में गिरता है। हालांकि बजट में छोटे-छोटे सीवरेज शोधन संयंत्र बनाने की बात कही गई है। उनका निर्माण होने पर कॉलोनियों का सीवरेज बड़े नालों में नहीं गिरने पाएगा।
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