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कृषि प्रधान देश में किसान का खुदकुशी करना दुर्भाग्यपूर्ण, ठोस कदम उठाने पड़ेंगे: अन्ना

किसान जो खर्चा करता है, उतनी पैदावार नहीं होती है और न ही किसान को दाम मिलता है। कृषि प्रधान देश में किसान खुदकशी कर रहा है इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या होगा।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sat, 24 Mar 2018 04:20 PM (IST)
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कृषि प्रधान देश में किसान का खुदकुशी करना दुर्भाग्यपूर्ण, ठोस कदम उठाने पड़ेंगे: अन्ना

नई दिल्ली [जेएनएन]। रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार प्रक्रिया और किसानों की मांगों को लेकर अनशन पर बैठे समाजसेवी अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा कि चार वर्ष में केंद्र सरकार को 43 बार किसानों की परेशानियों को लेकर पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। किसान जो खर्चा करता है, उतनी पैदावार नहीं होती है और न ही किसान को दाम मिलता है। कृषि प्रधान देश में किसान खुदकशी कर रहा है इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या होगा।

गोरों की जगह काले आ गए हैं

अन्ना ने कहा कि फसल को लेकर राज्य कृषि मूल्य आयोग जो दाम तय करता है, केंद्र सरकार उसमें कटौती करती है। वहीं, 23 मार्च के दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हंसते-हंसते देश के लिए कुर्बान हो गए थे। अंग्रेज चले गए, लेकिन अब तक लोकतंत्र नहीं आया। गोरों की जगह काले आ गए हैं। बकौल अन्ना, '80 वर्ष की उम्र में हृदयाघात की जगह समाज की भलाई के लिए मृत्यु आ जाए। जब तक शरीर में प्राण हैं, बात करते रहेंगे। अनशन के एलान से सरकार हिल गई है। रात को केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मिलने के लिए आए थे, मैंने उनसे कहा कि आश्वासन से काम नहीं चलेगा। इस बार ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। साथ ही बातचीत के दरवाजे खुले हुए हैं।'

क्या आंदोलनकारियों को रोकना ही लोकतंत्र है

अन्ना ने आंदोलकारियों की बसों को रोकने और ट्रेन रद करने को लेकर नाराजगी व्यक्त की। अन्ना ने कहा, 'क्या आंदोलनकारियों को रोकना ही लोकतंत्र है।' आंदोलनकारियों के लिए रामलीला मैदान में पानी और शौचालय की व्यवस्था न होने को लेकर भी वे खासे नाराज दिखे।

इशारों में केजरीवाल और किरण बेदी पर साधा निशाना

अन्ना हजारे ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित उनके सभी मंत्रियों पर भी इशारों में निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इससे पहले रामलीला मैदान में लोकपाल की लड़ाई के लिए जो टीम बनी थी, उसके लोग आज मंत्री और उपराज्यपाल बन गए हैं, लेकिन पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े अभी भी हमारे साथ जुड़े हैं। यहां से किसी को भी सीढ़ी नहीं चढ़ने दिया जाएगा। वहीं, कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने कहा कि वर्ष 2011 में लोकपाल बनाने को लेकर अनशन हुआ, लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी लोकपाल नहीं बना है। इस संस्था से सरकार डरती है इसलिए नहीं बनाती है। साथ ही हरियाणा के पूर्व लोकायुक्त प्रीतम पाल भी अन्ना के समर्थन में रामलीला मैदान पहुंचे।

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अन्ना की मांगें

कृषि उपज का लागत मूल्य 50 फीसद बढ़ाकर किसानों को सही दाम दिया जाए और देशभर के किसानों के ऋण माफ किए जाएं।

सिर्फ खेती पर निर्भर 60 से अधिक उम्र के किसानों को पांच हजार रुपये पेंशन मिले।

कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक स्थान और संपूर्ण स्वायत्तता दी जाए।

किसानों की फसल का सामूहिक (मंडल) नहीं बल्कि व्यक्तिगत बीमा किया जाए।

लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 63 और 44 में किए गए संशोधन रद किए जाएं।

लोकपाल लोकायुक्त कानून पर तुरंत अमल हो और लोकपाल की नियुक्ति की जाए।

केंद्र के लोकपाल के तहत हर राज्य में सक्षम लोकायुक्त कानून लागू हो।

बैलेट पेपर पर उम्मीदवार की रंगीन तस्वीर को चुनाव चिह्न बनाया जाए।

वोटों की गिनती के लिए टोटलाइजर मशीन का प्रयोग किया जाए।

चुनाव में दिए गए आश्वासन पर चुनकर आने के बाद वादे पूरे नहीं किए जाने पर जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार जनता को होना चाहिए। 

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