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दुर्गम इलाकों में टीबी की रोकथाम के लिए ड्रोन का होगा इस्तेमाल, योजना तैयार

टीबी की जांच व इलाज में ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे मंत्रालय ने मान लिया है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 25 Mar 2018 03:07 PM (IST)
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दुर्गम इलाकों में टीबी की रोकथाम के लिए ड्रोन का होगा इस्तेमाल, योजना तैयार

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। खुफिया निगरानी से लेकर कई अन्य क्षेत्रों में ड्रोन महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। पूर्वोत्तर के रास्ते देशभर में फैल रहे मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर)- टीबी के संक्रमण के मद्देनजर एम्स के डॉक्टरों ने दुर्गम इलाकों में टीबी की रोकथाम व इलाज में ड्रोन के इस्तेमाल की योजना तैयार की है। जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति भी दे दी है। हालांकि इस योजना की राह में कुछ अड़चनें भी आ रही हैं। यदि योजना परवान चढ़ी तो एम्स के डॉक्टर ड्रोन की मदद से पूर्वोत्तर में टीबी पर अंकुश लगाएंगे। 

असम व अरुणाचल प्रदेश में संक्रमण अधिक

उल्लेखनीय है कि एम्स के डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई थी कि सेंट्रल एशियन स्ट्रेन (सीएएस) जीनोटाइप के माइक्रोबैक्टियल जीवाणु के चलते देश में अधिक लोग टीबी से पीड़ित होते हैं। ईस्ट अफ्रीकन इंडियन (ईएआइ) स्ट्रेन इस बीमारी के लिए दूसरा व बीजिंग स्ट्रेन तीसरा बड़ा कारण है। तब शोध में यह बात सामने आई थी कि देश में एमडीआर टीबी का सबसे बड़ा कारण बीजिंग स्ट्रेन का जीवाणु है। एमडीआर टीबी ऐसी परिस्थिति होती है जब मरीजों पर दवाएं असर नहीं करतीं। शोध में एमडीआर टीबी के 43.3 फीसद मामले के लिए बीजिंग स्ट्रेन को जिम्मेदार पाया गया था। असम व अरुणाचल प्रदेश में इसका संक्रमण अधिक है।

जीन-एक्सपर्ट जांच की मशीन उपलब्ध होगी

एम्स के माइक्रोबायोलॉजी और मोलेक्यूलर डिविजन के प्रमुख डॉ. सरमन सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर में कई दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र हैं, जहां पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए मरीजों को इलाज नहीं मिलने से संक्रमण फैलता है। उन इलाकों में टीबी की जांच व इलाज में ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे मंत्रालय ने मान लिया है। इस परियोजना में मोबाइल वैन इस्तेमाल करने का प्रस्ताव है, जिसमें जीन-एक्सपर्ट जांच की मशीन उपलब्ध होगी।

विशेषज्ञों से बातचीत की गई है

ड्रोन खास इलाकों में जाकर लोगों के बलगम का नमूना लेकर वापस आएगा। लोग अपना नमूना खुद पैक कर रख देंगे। वैन में उसकी जांच के बाद किसी को बीमारी का पता चलने पर साढ़े सात घंटे में ड्रोन मरीजों तक दवा पहुंचाएगा। यह परियोजना पहले हुए शोध का ही हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मेडागास्कर में टीबी की रोकथाम के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहां के विशेषज्ञों से बातचीत की गई है। वे मदद के लिए तैयार हैं। हालांकि इस परियोजना को डीआरडीओ, नागरिक उड्यन मंत्रलय व रक्षा मंत्रलय से स्वीकृति की दरकार है, लेकिन स्वीकृति मिलने में तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं।’

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