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सुसाइड नोट में लिखा- दिल्ली के लोग ही मुझे जीने नहीं दे रहे... मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना

इधर जाओ तो लड़के, उधर जाओ तो लड़के। सब मेरी जिंदगी खराब कर रहे थे, ताकि मैं कुछ न कर सकूं।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 26 Mar 2018 08:44 AM (IST)
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सुसाइड नोट में लिखा- दिल्ली के लोग ही मुझे जीने नहीं दे रहे... मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना

नई दिल्ली (जेएनएन)। बाहरी दिल्ली के अलीपुर में छेड़छाड़ से परेशान होकर जान देने वाली 12वीं की छात्रा पुलिस अफसर बनना चाहती थी, लेकिन रोजाना की हरकतों से वह इस कदर टूट गई कि जिंदगी ही खत्म करने का फैसला कर लिया। हर सुबह जो आंखें एक सपना देखते हुए खुलती थीं, उनमें डर, दर्द, गुस्सा और बेबसी ने घर बना लिया था।

मकान मालिक ने जब छात्रा को ही दोषी मानते हुए उसके परिवार को घर खाली करने को कह दिया तो उसके सामने कोई रास्ता नहीं बचा। उसने अपना दर्द सुसाइड नोट में बयां किया है। अपने मां-बाप को उसने लिखा है, ‘मैं जा रही हूं, दिल्ली के लोग ही मुझे जीने नहीं दे रहे हैं।’

किशोरी के बड़े भाई ने बताया, ‘मेरी बहन पुलिस अफसर बनना चाहती थी। वह इसके लिए संजीदा थी और रोज सुबह दौड़ने जाती थी। पड़ोस में रहने वाला मयंक (20) इस दौरान उसका पीछा करता था। स्कूल आते-जाते भी तंग करता था।

पिता ने बताया कि बेटी पढ़ने में तेज थी और हमेशा खुश रहती थी, लेकिन उसका ख्वाब अधूरा रह गया। पहले तो मयंक ने पुलिस में नौकरी दिलवाने के नाम पर उसे झांसे में लेना चाहा, लेकिन सफल नहीं हुआ तो तंग करने लगा। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देता था। किशोरी की मां ने पुलिस से गुहार लगाई है कि मयंक के कारण उनकी बेटी ने फांसी लगाई है। लिहाजा पुलिस उसे सख्त सजा दिलाए।

शब्द दर शब्द बयां कर रहा दर्द की इंतेहा- 

मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना। मैंने कोई गलती नहीं की है, पर अब मुङो नहीं रहना है.. मैं नहीं जी सकती ऐसे ..। इधर जाओ तो लड़के, उधर जाओ तो लड़के। सब मेरी जिंदगी खराब कर रहे थे, ताकि मैं कुछ न कर सकूं। अब मुङो नहीं जीना। पापा, मेरी वजह से आपको यह कमरा खाली करना था न, पर मैं ही नहीं रहूंगी तो आपको ऐसा नहीं करना पड़ेगा। फिर कह रही हूं कि मैंने कोई गलती नहीं की है। दिल्ली के लोग ही मुङो जीने नहीं दे रहे थे। कोई गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना। आइ लव यू मॉम एंड डैड ..।

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