दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध में नहीं आ रही कमी, जानें- क्या कहते हैं आंकड़े
एक गैर सरकारी सगंठन की मानें तो पुलिस के डर से अपराध पीड़िता महिलाएं शिकायत करने के लिए थाने जाने से कतराती हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली पुलिस राजधानी में भले ही महिला अपराध कम होने का दंभ भर रही हो, लेकिन स्थित इससे उलट है। ताजा आकड़े भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं। दरअसल कई मामले में समाज अथवा बदनामी के डर से पीड़िता पुलिस में शिकायत ही दर्ज नहीं करवाती। वहीं, एक गैर सरकारी सगंठन की मानें तो पुलिस के डर से अपराध पीड़िता महिलाएं शिकायत करने के लिए थाने जाने से कतराती हैं।
आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा
बाहरी दिल्ली में एक छात्रा द्वारा आत्महत्या की घटना में भी यह बात सामने आई है कि पड़ोस में रहने वाला युवक लगातार उसका पीछा करता रहा और उसे परेशान कर रहा था। जिसके कारण उसे आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा।
क्या कहते हैं आंकड़े
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं के प्रति दिल्ली में हुए अपराध में कमी होती नहीं दिख रही। इस वर्ष 15 मार्च तक दिल्ली में दुष्कर्म के 393 मुकदमे दर्ज किए गए। गत वर्ष इस अवधि में इसकी संख्या 379 थी। 2017 के दौरान दिल्ली में दुष्कर्म की 2148 घटनाएं हुई थी। महिलाओं से छेड़छाड़ के आंकड़ों में भी ज्यादा अंतर नहीं है। गत वर्ष मार्च महीने तक जहां छेड़छाड़ की 630 घटनाएं हुई थीं वहीं, इस वर्ष इस धारा के तहत 549 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
अपहरण के बढ़े मामले
महिलाओं के अपहरण का आंकड़ा भी बराबरी पर पहुंच चुका है। गत वर्ष ढाई महीने में 687 जबकि इस वर्ष 686 महिलाओं का अपहरण हुआ। दिल्ली में दहेज के लिए महिलाओं की हत्या की वारदात गत वर्ष के मुकाबले बढ़ी हैं। गत वर्ष 31 जबकि इस वर्ष पुलिस ने दहेज के लिए महिला की हत्या के 37 मुकदमें दर्ज किए हैं।
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