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दिल्ली से सटे गुरुग्राम शहर में प्रदूषण की वजह से बढ़ रहे हैं सांस के रोगी

दमा रोग में रोगी को सांस लेने और सांस को बाहर छोड़ने में जोर लगाना पड़ता है।

By JP YadavEdited By: Updated: Tue, 01 May 2018 06:18 PM (IST)
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दिल्ली से सटे गुरुग्राम शहर में प्रदूषण की वजह से बढ़ रहे हैं सांस के रोगी

गुरुग्राम (जेएनएन)। साइबर सिटी में हर कोई कभी ना कभी अस्थमा लक्षण से ग्रस्त हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के मुताबिक वर्ष में सात हजार से ज्यादा लोग ऐसे होते हैं, जो जो सांस लेने में परेशानी होने पर जिला नागरिक अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे हैं। हर वर्ष 5 हजार से ज्यादा दमा के मरीजों को इलाज दिया जा रहा है।

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. नवीन कुमार का कहना है कि शहर में ज्यादा वायु प्रदूषण के कारण रोजाना बच्चों से लेकर युवा व बुजुर्ग इलाज कराने आएंगे। जिन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। बढ़ते प्रदूषण और खान-पान में मिलावट एवं शुद्धता में कमी की वजह से अस्थमा फैल रहा है। जब किसी व्यक्ति की सांस लेने नलियों में कोई रोग उत्पन्न हो जाता है तो उस व्यक्ति को सांस लेने मे परेशानी होने लगती है, जिसके कारण उसे खांसी होने लगती है। ये दमा होने की पहचान है। दमा होने पर सांस नली में सूजन होता है। सांस की नली में सूजन होने से मरीज कैसे बेचैनी बढ़ती है। ऐसी स्थिति में मरीज को फेफड़े में हवा कम जाती है सांस लेने में तकलीफ होती है।

वहीं, नारायण सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डॉ. स्वप्निल मेहता का कहना है कि 5 से 10 प्रतिशत लोगों को दमे से परेशानी होती है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है और कभी-कभी यह इतना गंभीर हो जाता है कि मरीज को भर्ती कराने की भी नौबत आ जाती है। आमतौर पर जब मिट्टी के छोटे कण और प्रदूषण सांस की नली को प्रभावित करते हैं तब आदमी को दमे से तकलीफ होती है। लापरवाही से यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है, यदि दमा का इलाज शुरुआत में ही कर दिया जाए तो इसका निदान बहुत हद तक संभव है।

दमा के लक्षण

दमा के लक्षण मरीज के हिसाब से अलग अलग होते हैं। दमा रोग में रोगी को सांस लेने और सांस को बाहर छोड़ने में जोर लगाना पड़ता है। मरीज के सांस लेने में सिटी जैसी आवाजें आएंगी।

दमा रोग होने का कारण

ज्यादातर लोगों में दमा एलर्जी, परफ्यूम जैसी खुशबू और कुछ अन्य प्रकार के पदार्थों से हो सकता हैं। जैसे धूल से होता है। कई बार मानसिक तनाव के साथ ज्यादा क्रोध या नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने से मनुष्य के शरीर की पाचन नलियों में जलन होती है।

फसल कटाई के दिनों दूर रहेें

1. जब भी फसल कटाई का समय होता है दमा मरीज को दूर रहना चाहिए। ऐसे में दमा मरीज को अटैक आ सकता है और उसकी परेशानी ज्यादा बढ़ जाएगी।

2. शहर में वायु प्रदूषण 300 पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर या इससे ज्यादा स्तर पर वायु प्रदूषण बना रहता है।

3. 2017 जनवरी माह में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में गुरुग्राम देश का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाला शहर बताया गया था।

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