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बचपन में मम्मी के पर्स से 20 रुपये चुराती थी 'शादी में जरूर आना' की एक्ट्रेस, जानिये क्यों

कृति के मुताबिक. मुझे दिल्ली में हर जगह की पानी पूरी पसंद है खासकर इंडिया गेट की।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 07 May 2018 09:04 AM (IST)
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बचपन में मम्मी के पर्स से 20 रुपये चुराती थी 'शादी में जरूर आना' की एक्ट्रेस, जानिये क्यों

मुंबई (स्मिता श्रीवास्तव)। दिल्ली में जन्मीं कृति खरबंदा ने साउथ की फिल्मों से अपने करियर का आगाज किया

था। हिंदी सिनेमा में फिल्म 'राज रीबूट' से दस्तक दी। उसके बाद 'शादी में जरूर आना', 'गेस्ट इन लंदन', और 'वीरे की वेडिंग' में नजर आईं। दिल्ली से उनका खास नाता है। उनके कई रिश्तेदार और दोस्त यहां रहते हैं। इस शहर का नाम आते ही उनकी पुरानी यादें की चमक आंखों में दिखने लगती है। कहती हैं 'बचपन में मैं मम्मी के पर्स से बीस रुपये चुरा लेती थी।'

दरअसल, हर गली में झूले लगे होते थे। मुझे झूला झूलना बहुत पसंद था। रोजाना झूलना संभव नहीं था। एक बार मौसी ने मुझे अकेले झूला झूलते देख लिया। उन्होंने पूछा कि पैसे किसने दिए? मैंने कहा मम्मा ने। जब मम्मा ने पूछा तो मैंने कहा मौसी ने।

एक बार दोनों ने आपस में इस बारे में बात कर ली। बस फिर क्या था। अब मेरा बैंड बजना तय था। मम्मा ने कहा कि दोबारा पर्स को हाथ लगाया तो गर्म चिमटा लगा दूंगी। खैर, मेरी लिए सबसे प्यारी यादें इंडिया गेट की हैं। मेरे बचपन की ढेरों यादें वहां से जुड़ी हैं। वहां पर बबल को खूब उड़ाते थे। अपनी फिल्म 'वीरे की शादी' की शूटिंग के दौरान भी वहां जाना हुआ था। हालांकि यह बात अपने रिश्तेदारों से छुपा कर रखी।

दरअसल, मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहती थी। अचानक से किसी के आने की खुशी अलग ही होती है। मेरी सिर्फ एक कजिन को मेरे आने की खबर थी। मैंने उससे भी यह बात छुपाने को कहा था। मैंने कहा था शूटिंग के बाद अचानक से घर आ जाउंगी। मैं जब वहां पर पहुंची तो सब अचंभित। किसी को यकीन ही नहीं हुआ। यकायक देखकर खुशी भी बहुत हुई। उस दिन बातों-बातों में मैंने कहा कि मटरा कुलचा, आलू चाट खाने का मन है। मेरी मामी इडली बहुत अच्छी बनाती हैं। मेरी कजिन लजीज पास्ता बनाती है। इन चीजों की मैं दीवानी हूं। उसके अलावा मैगी मुझे पसंद है। मेरी खातिरदारी में सब कुछ बनाया गया। यही नहीं उस दिन हमने ठेले की पानी पूड़ी भी खाई थी। मुझे दिल्ली में हर जगह की पानी पूरी पसंद है खासकर इंडिया गेट की।

हमारे परिवार की एक परंपरा रही है। हम महीने में एक बार संडे को गेट टुगेदर जरूर करते हैं। सभी रिश्तेदार कोई खास डिश बनाकर लाते हैं। हम लोग बाहर से कुछ भी नहीं मंगाते हैं। वह हमारे लिए पिकनिक सरीखा दिन होता है। इस बात का ध्यान मेरे सभी कजिन भी रखते हैं। बस उन्हें इतना पता हो कि मैं दिल्ली में हूं। बहराल दिल्ली में दूषित पर्यावरण को लेकर खबरें इधर सुर्खियों में रहीं। ऐसी खबरें किसी भी शहर की हों मुझे उनसे कोफ्त होती है। आखिरकार यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हमें पता है कि हम ही उसे फैला रहे हैं। फिर भी जागरूक नहीं हो रहे हैं।

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