एनएचएआइ से कब सीख लेगी दिल्ली सरकार
वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली दिल्ली सरकार आखिर एनएचएआइ से कब सीख लेगी। इस प्राधिकरण ने जहां रिकॉर्ड समय
By JagranEdited By: Updated: Sun, 27 May 2018 08:55 PM (IST)
वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली
दिल्ली सरकार आखिर एनएचएआइ से कब सीख लेगी। इस प्राधिकरण ने जहां रिकॉर्ड समय में 10 किलोमीटर का नेशनल हाईवे (मेरठ एक्सप्रेस-वे) विकसित कर दिया। वहीं दिल्ली सरकार की योजनाओं पर वर्षो से काम चल रहा है। ये योजनाएं भी पूरी नहीं हो रही हैं। ये योजनाएं जनता को समर्पित होतीं तो जनता और देश दोनों को लाभ मिलता। बता दें कि दिल्ली में यातायात व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कई योजनाएं हैं जिन्हें अभी तक पूरा हो जाना चाहिए था। अगर ये पूरी हो जातीं तो लोगों को जाम की समस्या से कम जूझना पड़ता। मगर ये योजनाएं अभी अधूरी हैं। कौन कौन सी योजनाएं चल रही हैं समय से पीछे
बारापुला फेज-दो
बारापुला फेज-दो एलिवेटेड कॉरिडोर को दिसंबर 2016 में ही पूरा हो जाना था। मगर इस पर अभी तक काम चल रहा है। यह कार्य 30 जून तक पूरा होने की उम्मीद है। यदि यह कार्य समय पर पूरा हो गया होता तो देश और जनता को बहुत लाभ मिल चुका होता। इसके तहत जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से एम्स तक सिग्नल फ्री कॉरिडोर बनाया जा रहा है। बारापुला फेज-तीन बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कॉरिडोर को दिसंबर 2017 तक हर हाल में पूरा होना था। मगर इस योजना पर अभी तक 50 फीसद के करीब ही काम हो सका है। इसके तहत सराय काले खां से मयूर विहार फेज एक तक सिग्नल फ्री कॉरिडोर बनाया जा रहा है। सिग्नेचर ब्रिज
यमुना पर अपनी तरह के बन रहे सिग्नेचर ब्रिज का काम 2013 तक पूरा हो जाना था। दिल्ली की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस योजना को 2013 तक हर हाल में पूरा करने की डेडलाइन दी थी। मगर अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है। इस योजना का अभी ढांचागत विकास 95 फीसद ही पूरा हो सका है। पैसा न मिलने से इस समय काम लगभग ठप है। राव तुलाराम फ्लाईओवर बाहरी रिंग रोड पर राव तुलाराम क्रॉसिंग पर बन रहे जिस फ्लाईओवर का काम 2016 में पूरा हो जाना था। इस पर अभी तक मात्र 37 फीसद ही काम हो सका है। लगभग पौने तीन किलोमीटर लंबा बनने वाला यह फ्लाईओवर इंदिरा गांधी हवाई अड्डा जाने वाले यात्रियों को उनकी फ्लाइट छूटने से बचाएगा। क्या कहते हैं विशेषज्ञ लोक निर्माण विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता सर्वज्ञ श्रीवास्तव कहते हैं कि लोक निर्माण विभाग में प्रतिभा की कोई कमी नहीें है और न ही काम करने की क्षमता ही अधिकारियों में कम है। मगर यहां समस्या यह है कि लोक निर्माण विभाग को किसी भी योजना के लिए काम शुरू करने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है। यदि किसी एजेंसी की लाइन भी बीच में आ रही है तो उसे हटाने के लिए पैसा देने के बाद भी संबंधित विभाग के सामने पीडब्ल्यूडी को गिड़गिड़ाना होता है। जबकि एनएचएआइ के पास बहुत पावर है। उन्हें किसी के सामने गिड़गिड़ाना नहीं पड़ता है। उनके काम नही रुकते हैं। कोई अपनी लाइन नहीं हटाता है तो वे उसे स्वयं हटा देते हैं और अपना काम करते हैं। जबकि पीडब्ल्यूडी ऐसा नहीं कर सकता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।