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मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधनों पर 9 जून तक दें आपत्तियां

-सुप्रीम कोर्ट से फटकार के बाद डीडीए ने निकाली सार्वजनिक सूचना -15 दिन तक आपत्तियां लेने के बाद क

By JagranEdited By: Updated: Mon, 28 May 2018 11:32 PM (IST)
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मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधनों पर 9 जून तक दें आपत्तियां

-सुप्रीम कोर्ट से फटकार के बाद डीडीए ने निकाली सार्वजनिक सूचना

-15 दिन तक आपत्तियां लेने के बाद की जाएगी जन सुनवाई

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

सुप्रीम कोर्ट की नरमी के बाद मास्टर प्लान - 2021 में संशोधन पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने फिर से प्रक्रिया शुरू कर दी है। दिल्ली वासियों को 15 दिन का समय देते हुए नौ जून तक अपनी आपत्तियां एवं सुझाव जमा कराने को कहा गया है। इस संबंध में सार्वजनिक सूचना भी जारी कर दी गई है।

हालांकि डीडीए यह प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं करना चाह रहा था। सुप्रीम कोर्ट में डीडीए की ओर से तर्क रखा भी गया कि जितनी आपत्तियां आनी थीं, आ चुकी हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया, उल्टा डीडीए को फटकार लगाई सो अलग। लिहाजा, अंतत: डीडीए ने सार्वजनिक सूचना निकाल कर मास्टर प्लान के प्रस्तावित संशोधनों पर फिर से आपत्तियां-सुझाव आमंत्रित कर लिए हैं। दिल्ली वासियों को इसके लिए 26 मई से नौ जून तक का समय दिया गया है। आपत्तियां एवं सुझाव आयुक्त एवं सचिव डीडीए के नाम लिखित में भी जमा कराई जा सकती हैं और ई मेल पर भी भेजी जा सकती हैं।

अधिकारियों के मुताबिक 15 दिनों में आई आपत्तियों और सुझावों की संख्या देखते हुए ही जन सुनवाई के दिन तय किए जाएंगे। इसके बाद जन सुनवाई बोर्ड सभी आपत्तियों और सुझावों पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। रिपोर्ट को बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड की स्वीकृति के बाद अधिसूचना के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय को भेजी जाएगी। लेकिन इस अधिसूचना से पूर्व संशोधनों की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट की सहमति भी ली जाएगी। डीडीए को उम्मीद है कि इस बार सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित संशोधन मंजूर हो जाएंगे। हालांकि इसमें कम से कम डेढ़ से दो माह का समय लगेगा।

मालूम हो कि दिल्ली के करीब सात लाख कारोबारियों को सीलिंग से राहत दिलाने के लिए पिछली बार डीडीए ने मास्टर प्लान में किए जा रहे संशोधनों पर आपत्तियों एवं सुझावों के लिए जन साधारण को केवल तीन दिन ही दिए थे। इस दौरान डीडीए के पास करीब 825 आपत्तियां एवं सुझाव आए थे। इसलिए कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर खासा सख्त रूप अपनाया। यह भी कहा कि कानून तोड़ने वालों को संरक्षण देने के लिए कानून का पालन करने वालों को हर कदम पर अनदेखा किया जा रहा है। बॉक्स-1 : यह हैं तीन प्रस्ताव :-

-एफएआर 180 से बढ़ाकर 350 करना

-कन्वर्जन शुल्क 10 गुना से घटा कर महज दो गुना करना।

-12 मीटर चौड़ी सडकों पर भी कृषि गोदामों को नियमित करना।

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