क्रयोग से दिल बोले बूम बूम
-हार्ट फेल्योर में असरदार साबित हो रहा दवा के साथ योग का प्रयोग -एम्स में इस विधि से अब तक
By JagranEdited By: Updated: Tue, 29 May 2018 10:56 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
हौज रानी की रहने वाली सुनीता नामक महिला को दो साल पहले अचानक सांस लेने में परेशानी शुरू हुई। फिर भी कोई भी काम करने या सीढि़या चढ़ने पर उन्हें सांस फूलने लगती। धीरे-धीरे शरीर में सूजन शुरू हो गया और उनका चल पाना मुश्किल हो गया। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हार्ट फेल्योर की बीमारी है। इसलिए हृदय ने काम करना बहुत कम कर दिया है। एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें दवा के साथ योग के इस्तेमाल से इलाज शुरू किया। इसके बाद उसके हृदय की कार्यक्षमता में दोबारा सुधार हो गया। अब वह काफी हद तक ठीक हैं। एम्स के डॉक्टर उनकी तरह अब तक करीब 20 मरीजों को इस विधि से इलाज कर चुके हैं। संस्थान के डॉक्टरों ने इसे 'क्रयोग' (कार्डियक रिहैब योग) नाम दिया है।
एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संदीप सेठ ने कहा कि अभी और मरीजों पर क्रयोग के असर का आकलन करने के बाद सार्वजनिक रूप से उन योग के बारे बताया जाएगा। इस पर एक एप भी विकसित किया जाएगा। जिसे डाउनलोड कर लोग योग की उन क्रियाओं के बारे में जान सकेंगे। फिलहाल एम्स में मरीजों को इलाज के दौरान प्रशिक्षित योगाचार्य के निगरानी में ही मरीजों को उसका अभ्यास कराया जाता है।
दुनिया भर में करीब 2.6 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। इसमें से एक करोड़ मरीज भारत में हैं। इसलिए यह बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यहा इस बीमारी से पीड़ितों की मृत्युदर भी अधिक है। एक अध्ययन के मुताबिक बीमारी के पहले साल में ही 23 फीसद मरीजों की मौत हो जाती है। जबकि चिकित्सा विज्ञान में ऐसे इलाज मौजूद हैं जिससे मृत्युदर में कमी लाई जा सकती है। इसके अलावा जागरूकता से इस बीमारी की रोकथाम भी की जा सकती है। डॉ. संदीप सेठ ने कहा कि दवा, सहायक उपकरणों के प्रत्यारोपण व हृदय प्रत्यारोपण से इस बीमारी का इलाज संभव है। दिक्कत यह है कि 50 फीसद मरीजों को सही दवाएं लिखी नहीं जाती हैं। शेष 50 फीसद मरीजों को सही दवाएं लिखी भी जाती है तो उनमें काफी संख्या में ऐसे मरीज होते हैं जिनका शरीर उन दवाओं को सहन नहीं कर पाता है। इसलिए बहुत कम लोगों को सही इलाज मिल पाता है। जबकि 90 फीसद मरीजों का दवाओं से इलाज किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इन दिनों मरीजों को दवा के साथ योग भी कराया जा रहा है। इसे शुरू करने से पहले योगाचार्य से पूछा गया कि हृदय की बीमारियों को किस तरह के योग किए जा सकते हैं। इसके बाद उन क्रियाओं में थोड़ा बदलाव कर आसान किया गया। ताकि हार्ट फेल्योर के मरीज आसानी से कर सकें और उसे आसानी से अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकें। इसमें मेडिटेशन, प्राणायाम व सांस से संबंधित व्यायाम शामिल है। 25 फीसद से 33 फीसद काम करने लगा हृदय सुनीता ने बताया कि जब वह एम्स में इलाज के लिए पहुंची थी तब उसका हृदय 25 फीसद काम करता था। जबकि अब 33 फीसद काम करने लगा है और सांस फूलने की समस्या नहीं होती।
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