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सत्येंद्र जैन का पद पर बने रहना लोकतंत्र के खिलाफ: भाजपा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ सीबीआइ द्वारा मामला दर्ज

By JagranEdited By: Updated: Wed, 30 May 2018 08:07 PM (IST)
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सत्येंद्र जैन का पद पर बने रहना लोकतंत्र के खिलाफ: भाजपा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ सीबीआइ द्वारा मामला दर्ज करने के बाद भाजपा ने उनका इस्तीफा मांगा है। भाजपा का कहना है कि अब उनका मंत्रिमंडल में बने रहना लोकतांत्रिक परंपराओं के विरूद्ध है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उन्हें बचा रहे हैं, क्योंकि उन्हें खुद व अन्य आप नेताओं के कानूनी शिकंजे में फंसने का डर सता रहा है।

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री तीन वर्षो में अपने कई नेताओं व रिश्तेदारों के भ्रष्टाचार के मामले में चुप्पी साध चुके हैं। उन्हें बचाने की भी उन्होंने हरसंभव कोशिश की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जैन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते, क्योंकि वह आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के सारे राज जानते हैं। यदि उन्होंने अपना मुंह खोला तो आप के कई बड़े नेताओं पर कानूनी शिकंजा कस जाएगा। इसलिए मुख्यमंत्री व आप के अन्य नेता उनके बचाव में खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहते हुए तीन वर्षो में केजरीवाल ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमार स्वामी से भ्रष्टाचार को संरक्षण देना बखूबी सीख लिया है।

दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित अन्य आप नेता जिस तरह से जैन का बचाव कर रहे हैं उससे पता चलता है कि आप ने भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया है। उन्हें भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय प्रधानमंत्री को कोसने की आदत पड़ गई है।

भाजपा का कहना है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के साथ बिना शर्त समझौता कर लिया है। उन्हें अपने चारों तरफ अपने निकटतम साथियों का भ्रष्टाचार दिखाई नहीं दे रहा है। बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए आप नेताओं के रिश्तेदारों व आप कार्यकर्ताओं को भारी-भरकम वेतन पर लोक निर्माण विभाग की रचनात्मक टीम में शामिल कर लिया गया। इस टीम पर दो वर्षो में गलत तरीके से सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए। जबकि लोक निर्माण विभाग के पास पहले से ही योग अधिकारियों की टीम मौजूद थी।

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