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सीबीआइ जांच शुरू होने पर 16 विशेषज्ञ छोड़ गए थे नौकरी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : जिस क्रिएटिव डिजाइनर टीम के गठन के मामले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूड

By JagranEdited By: Updated: Wed, 30 May 2018 08:16 PM (IST)
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सीबीआइ जांच शुरू होने पर 16 विशेषज्ञ छोड़ गए थे नौकरी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : जिस क्रिएटिव डिजाइनर टीम के गठन के मामले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री सत्येंद्र जैन के यहां बुधवार को सीबीआइ छापा पड़ा है। इस टीम के गठन की सीबीआइ जांच शुरू होने की सिफारिश पर ही सभी 16 विशेषज्ञ अपनी सेवाओं से इस्तीफा दे गए थे। उन्हें पता चल गया था कि उनकी नियुक्ति गलत तरीके से हुई है और उन पर भी गाज गिर सकती है।

2015 में आप के सत्ता में आने पर लोक निर्माण विभाग के 12 आर्किटेक्ट को हटा दिया गया था। लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा था कि इन सभी आर्किटेक्ट की उन्हें जरूरत नहीं है। इसलिए वह इन्हें लोक निर्माण विभाग से वापस भेज रहे हैं। इन आर्किटेक्ट के केंद्रीय लोक निर्माण में जाने पर मंत्री जैन ने महंगा वेतन देकर क्रिएटिव डिजाइनर टीम का गठन किया था। जिसमें 16 विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि विभिन्न परियोजनाओं की प्लानिंग को शीघ्रता से पूरा करने के लिए निर्माण क्षेत्र के इन विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है। इन विशेषज्ञों में पर्यावरण योजनाकार, लैंडस्केप योजनाकर,

आर्किटेक्ट, शहरी योजनाकार, उत्पादन एवं औद्योगिक डिजाइनर व सॉफ्टवेयर इंजीनियर आदि शामिल थे।

इनकी नियुक्ति पर भाजपा ने सवाल उठाए थे। जिस पर दिल्ली सरकार ने सफाई दी थी कि ढांचागत विकास से जुड़ी विभिन्न योजनाओं को शुरू कराने के लिए सरकार को निजी तौर पर प्रैक्टिस कर रहे विशेषज्ञों की शरण लेनी होती है। यह एक ऐसा कार्य है जिसकी आंतरिक क्षमता आवश्यक है। इस प्रकार के कार्य के लिए विभाग परामर्शदाताओं पर निर्भर हैं। इसलिए इस टीम का गठन किया गया है। इस टीम पर 65 लाख रुपये खर्च कर दिए गए थे। दिल्ली सरकार के साथ चल रही अधिकारों की लड़ाई में अगस्त 2016 में अपने हक में आए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस मामले को भी जांच के लिए शुंगलू कमेटी को सौंप दिया था। कमेटी ने जांच में प्राथमिक स्तर पर ही गड़बड़ी पाई थी। जिसमें एक गड़बड़ी यह भी थी कि इस मामले में उपराज्यपाल से अनुमति नहीं ली गई थी। जिस पर उपराज्यपाल ने इस मामले को जांच के लिए सीबीआइ को सौंप दिया था। जब विशेषज्ञों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने नौकरी छोड़ना मुनासिब समझा।

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