कर्मचारियों को तरजीह देने का जल बोर्ड का फैसला बरकरार
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : मशीनों से सीवर की सफाई करने के मामले में दिल्ली जल बोर्ड के फैसले को बरकरार रखा है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : मशीनों से सीवर की सफाई करने के मामले में दिल्ली जल बोर्ड के फैसले पर हाई कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है। जल बोर्ड ने निर्णय लिया था कि जो कर्मचारी मैनहोल में उतरकर हाथों से सफाई करते थे, उन्हें और उनके परिजनों को ही मशीनों से सफाई करने के ठेकों में प्राथमिकता दी जाएगी।
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट व न्यायमूर्ति एके चावला की पीठ ने कहा कि जल बोर्ड का आदेश प्राथमिकता की परिभाषा के तहत किसी भी अर्थ में आरक्षण नहीं था। इस तरह की व्यवस्था का मतलब है कि समाज में जो सबसे निचले स्तर पर थे उनकी भूमिका सुनिश्चित की जाए। गौरतलब है कि जल बोर्ड द्वारा सीवर की सफाई के लिए मशीनों के संचालन को लेकर जारी निविदा की शर्तो के संबंध में हाई कोर्ट में एक कंपनी ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने सीवर साफ करने के लिए पूर्व में काम करने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने प्रत्येक बोली लगाने वाले को केवल एक वाहन देने की शर्त को भी चुनौती दी थी। जल बोर्ड ने तर्क दिया था कि जो लोग मैनहोल में उतरकर सफाई करते थे, वे इस व्यवस्था के समाप्त होने से बेरोजगार न हों। इसे ध्यान में रखते हुए 200 मशीनों को तैयार किया गया है। प्रत्येक मशीन चार से पांच लोगों के लिए आई है। इससे 1000 हजार लोगों के लिए रोजगार सुनिश्चित होगा। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता केवल अपने व्यापार को लेकर सोच रहा है।