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पंजाब में सिखों से अल्पसंख्यक दर्जा छीनने की साजिश : जीके

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) का कहना है कि पंजाब मे

By JagranEdited By: Updated: Thu, 31 May 2018 10:25 PM (IST)
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पंजाब में सिखों से अल्पसंख्यक दर्जा छीनने की साजिश : जीके

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) का कहना है कि पंजाब में सिखों का अल्पसंख्यक दर्जा छीनने की कोशिश हो रही है। इसलिए इसके खिलाफ मुहिम शुरू की जाएगी। कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि प्रदेश की आबादी के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय तय करने की साजिश हो रही है। वह डीएसजीपीसी के कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जम्मू-कश्मीर, पंजाब, लक्षद्वीप, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश तथा मणिपुर में ¨हदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने की माग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में जाने की सलाह थी। 14 जून को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में गठित हुई कमेटी इस मामले की सुनवाई करेगी। डीएसजीपीसी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक मानने के साथ ही आयोग की वैचारिक जरूरत ही खत्म हो जाएगी। अल्पसंख्यक समुदाय की परिभाषा के अनुसार इसका दायरा कोई प्रदेश न होकर पूरा देश है। प्रदेश के आधार पर अल्पसंख्यक तय होने लगे तो कई समुदाय अपने आपको अल्पसंख्यक बताने का दावा करने लगेंगे। सिख नेताओं ने कहा कि संविधान में स्पष्ट लिखा है कि नागरिकों का वह हिस्सा जिसकी भाषा, लिपि तथा संस्कृति भिन्न है, वो अल्पसंख्यक समुदाय है। इसलिए 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया था। बाद में केंद्र में अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय बनाया गया, ताकि धर्म के आधार पर कम संख्या वाले समुदाय को संरक्षण दिया जा सके। उन्होंने कहा कि आयोग को पत्र लिखकर डीएसजीपीसी को सिखों का पक्ष रखने के लिए अनुमति देने की मांग की जाएगी।

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