लापरवाही और भ्रष्टाचार
मालवीय नगर मामले में सभी दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य रूप से कार्रवाई सुनिश्चित
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मालवीय नगर इलाके में विगत मंगलवार देर शाम लगी भीषण आग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का स्वत: संज्ञान लेना और पुलिस से पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगना स्वागतयोग्य है। आग की घटना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की भी मदद लेनी पड़ी। अदालत ने क्षेत्र में अवैध कब्जे की जानकारी भी तलब की है। यह यकीनन चिंताजनक है कि मालवीय नगर समेत दिल्ली के अनेक इलाकों में अवैध तरीके से औद्योगिक गतिविधियां चल रही हैं। इस मामले में भी यह सामने आया है कि जिस गोदाम में आग लगी, उसके लिए किसी भी विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया था। ऐसे में यह गोदाम संबंधित विभागों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक जीता जागता उदाहरण है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि राजधानी में ऐसे कई गोदामों व मकानों में औद्योगिक गतिविधियां चल रही हैं और जिन विभागों पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का दायित्व है, वे किसी न किसी वजह से आंखें मूंदे बैठे हैं।
आग की इस घटना के लिए गोदाम में औद्योगिक गतिविधियां चला रहा व्यक्ति जितना जिम्मेदार है, दिल्ली सरकार, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग की भी उतनी ही जिम्मेदारी बनती है। आखिर दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग, नगर निगम और पुलिस के अधिकारियों-कर्मचारियों की मौजूदगी के बावजूद यह अवैध गतिविधि कैसे जारी रही? गंभीर प्रश्न यह भी है कि शिकायतें मिलने के बावजूद ये विभाग क्यों आंखें मूंदे रहे? यदि यही स्थिति रही तो वो दिन दूर नहीं, जब दिल्ली के हर रिहायशी इलाके में अवैध रूप से औद्योगिक गतिविधियां चल रही होंगी और दिल्ली रहने लायक नहीं रह जाएगी।