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दिल्ली के लोगों को बड़ी राहत, हरियाणा को 1133 क्यूसेक पानी आपूर्ति बहाल रखने का निर्देश

हरियाणा अतिरिक्त पानी आपूर्ति के लिए तैयार भी है पर उसने दिल्ली जल बोर्ड के समक्ष एनजीटी में दायर सभी मुकदमे वापस लेने की शर्त रखी है।

By Edited By: Updated: Fri, 01 Jun 2018 10:58 AM (IST)
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दिल्ली के लोगों को बड़ी राहत, हरियाणा को 1133 क्यूसेक पानी आपूर्ति बहाल रखने का निर्देश

नई दिल्ली (जेएनएन)। हरियाणा व दिल्ली के बीच पानी आपूर्ति को लेकर चल रहे विवाद पर अपर यमुना रिवर बोर्ड में दिल्ली जल बोर्ड को फिर झटका लगा है। अपर यमुना रिवर बोर्ड ने दिल्ली जल बोर्ड से कहा है कि वह 1133 क्यूसेक पानी पर अपनी दावेदारी छोड़ दे, लेकिन दिल्लीवासियों के लिए अच्छी बात यह रही कि हरियाणा को दिल्ली में 1133 क्यूसेक पानी आपूर्ति बहाल रखने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, इसमें दिल्ली की हिस्सेदारी के अतिरिक्त पानी भी शामिल है। हरियाणा अतिरिक्त पानी आपूर्ति के लिए तैयार भी है पर उसने दिल्ली जल बोर्ड के समक्ष एनजीटी में दायर सभी मुकदमे वापस लेने की शर्त रखी है।

अभी इस मामले पर जल बोर्ड आधिकारिक तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि, बताया जा रहा है कि जल बोर्ड को यह शर्त मंजूर नहीं है। इसलिए उसके अधिकारी आगे की रणनीति तैयार करने में लगे हुए हैं। फिलहाल, हरियाणा से पानी आपूर्ति सामान्य रहने की उम्मीद है। असल में दिल्ली व हरियाणा के बीच अब पूरी लड़ाई 1133 क्यूसेक पानी की हिस्सेदारी को लेकर है। जल बोर्ड कहता रहा है कि वह हरियाणा से 1133 क्यूसेक पानी का हकदार है।

वर्ष 1996 से हरियाणा इतना पानी आपूर्ति करता रहा है, जबकि हरियाणा का कहना है कि वह दिल्ली को उसकी हिस्सेदारी से ज्यादा पानी आपूर्ति कर रहा है। जल बोर्ड को आशंका यह है कि यदि वह अतिरिक्त पानी आपूर्ति की बात मान लेगा तो भविष्य में हरियाणा से कभी भी पानी आपूर्ति कम की जा सकती है। इस स्थिति में पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा जल बोर्ड को अतिरिक्त पानी का शुल्क भी भुगतान करना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि हरियाणा ने पानी आपूर्ति की समीक्षा करने की बात भी कही है। यदि हरियाणा ने आने वाले दिनों में पानी आपूर्ति कम की तो मध्य दिल्ली, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली व बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित होगी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने जल बोर्ड को अपर यमुना रिवर बोर्ड में मामले को हल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद जल बोर्ड ने यमुना रिवर बोर्ड में इस मामले को उठाया था।

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