बीमार और बुजुर्गों की मदद के लिए छात्रों ने बढ़ाया कदम, खास बिस्तर हर मुश्किल कर देगा आसान
बुजुर्गों की पीड़ा को समझते हुए इंजीनियरिंग के छात्रों ने अपनी कोशिशों से एक ऐसे बिस्तर का निर्माण किया है, जो ऑटोमैटिक और एप द्वारा संचालित होगा।
By Edited By: Updated: Sun, 03 Jun 2018 02:03 PM (IST)
नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। अक्सर बुजुर्ग और बीमारियों से ग्रस्त लोगों को लगातार बिस्तर पर रहना पड़ता है। इस दौरान उनकी परेशानियां भी अनगिनत होती हैं। कुछ मरीज इससे अधिक परेशान होते हैं। इस दौरान नित्यक्रिया से लेकर कई काम को करने के लिए दूसरों के सहारे ही उनके दिन गुजरते हैं। ऐसे रोगियों और बुजुर्गों की पीड़ा को समझते हुए इंजीनियरिंग के छात्रों ने अपनी कोशिशों से एक ऐसे बिस्तर का निर्माण किया है, जो ऑटोमैटिक और एप द्वारा संचालित होगा।
इसके निर्माण में इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नॉलजी के चार छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें अनन्य भाटिया, प्रिंस सचदेवा, कंशिक राणा, करण तंडो शामिल हैं। छात्रों का दावा है कि एबीसीडी-399 नामक एप घर में रहने वाले बुजुर्गों और ओल्ड एज होम में रहने वाले वृद्धों की मदद करेगा।घर के बुजुर्गों की परेशानी को समझा
अपने घर के बुजुर्गों की परेशानी को समझते हुए इन छात्रों ने इस तकनीक से लैस बेड बनाने पर विचार किया। उन्होंने इसे बनाने की ठानी। छात्र कंशिक राणा ने बताया कि यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से एक बटन दबाकर डायपर को बदला जा सकता है। इसके साथ ही डायपर को बदलने के दौरान मरीज को दर्द न हो और एक फिक्स पोजिशन में ही अटेंडेंट का काम आसान हो जाए, इसका ध्यान रखा गया है।
मिल सकेगी पूरी जानकारी
एप से जुड़े इस बेड की बनावट इतनी बेहतर है कि डायपर को कितनी बार चेंज किया गया इसकी गिनती भी संभव है। इसके अलावा यह कम या ज्यादा डायपर बदले जाने की औसत जानकारी भी देगा। इसके अलावा एसओएस नाम के बटन से परिजन या अटेंडेंट को यह जानकारी मिलेगी कि सबकुछ ठीक है या नहीं।
इनवेस्टर की तलाशछात्रों के अनुसार इसे बनाने में मात्र 2500 रुपये की लागत आई है जिससे इसका प्रोटोटाइप तैयार है जो पूरी तरह से काम करता है, लेकिन इसे बेहतर रूपरेखा और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए बजट की आवश्यकता होगी। इसलिए अब इसके विस्तार के लिए यह छात्र इनवेस्टर की तलाश कर रहे हैं, ताकि इसे जनसाधारण तक पहुंचाने में मदद मिले।
मददगार है यह एप
छात्रों ने बताया कि 60 से अधिक आयु में होने वाली बिस्तर की परेशानियों से कई बार शरीर में मल-मूत्र त्यागने में नियंत्रण समाप्त हो जाता है। इसे फिकल एंड यूरिनरी इनकॉन्सेंस कहते हैं। बुढ़ापे में यह आम हो जाता है। इसके कारण न सिर्फ मरीजों को बल्कि उनके परिजनों को भी दिक्कत होती है। इसके अलावा इस तरह की समस्याओं से त्वचा से जुड़ी कई अन्य परेशानियां भी पैदा हो जाती हैं। ऐसे में इस एप की मदद से इससे राहत पाई जा सकती है।यह भी पढ़ें: चिड़ियाघर में झोपड़ियां दिलाएंगी पर्यटकों को गर्मी से राहत, गांव में होने का होगा अहसास
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