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दिल्ली में दिखा किसान आंदोलन का असर, सब्जियां हुईं महंगी, जानें- क्या है दूसरे राज्यों का हाल

राजधानी दिल्ली के आजादपुर मंडी में जहां टमाटर की आवक में कमी आई है वहीं दूसरे राज्यों में दूध व सब्जियों को बाजारों तक नहीं पहुंचने दिया गया।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 03 Jun 2018 10:17 AM (IST)
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दिल्ली में दिखा किसान आंदोलन का असर, सब्जियां हुईं महंगी, जानें- क्या है दूसरे राज्यों का हाल
नई दिल्ली [जेएनएन]। सरकारी नीतियों के खिलाफ किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले शुरू हुए 'गांव बंद' आंदोलन का असर शनिवार को दूसरे दिन विभिन्न राज्यों में दिखना शुरू हो गया है। राजधानी दिल्ली के आजादपुर मंडी में जहां टमाटर की आवक में कमी आई है वहीं दूसरे राज्यों में दूध व सब्जियों को बाजारों तक नहीं पहुंचने दिया गया।

राजस्थान के 13 जिलों में फैला आंदोलन

राजस्थान में किसान आंदोलन दूसरे दिन करीब 13 जिलों में फैल गया। मंडियों में सब्जियों के नहीं आने और दूध की आपूर्ति बाधित होने से हालात बिगड़ने लगे हैं। सर्वाधिक प्रभाव पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर संभाग में है। बीकानेर संभाग के चारों जिले बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू में किसान ज्यादा मुखर हैं। इसके अलावा जयपुर, शाहपुरा, चैमूं, सीकर में असर दिख रहा है। जयपुर के शाहपुरा में गांव बंद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। रामपुरा जहोता इलाके से जयपुर में होने वाले दूध की सप्लाई रोक दी गई है। डेयरी में जाने वाले वाहनों को रोककर सड़कों पर दूध बहाया गया।

पंजाब में दोगुने रेट पर बिकीं सब्जियां, दूध भी महंगा

पंजाब में किसान संगठनों की हड़ताल के दूसरे दिन सब्जियों और दूध की किल्लत पेश आने लगी। सभी बड़े शहरों जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला व बठिंडा समेत सभी जिलों में सब्जियों व दूध के दाम में भारी उछाल आ गया है। शनिवार को सब्जियां दो से तीन गुना कीमत पर बिकी।

उत्तराखंड में सड़कों पर हजारों लीटर दूध बहाया

उत्तराखंड के बाजपुर में आंदोलन उग्र हो गया है। जगह-जगह दूध ले जा रहे वाहनों को रोककर सड़कों पर ही हजारों लीटर दूध बहा दिया गया। कुमाऊं के पर्वतीय जिलों के लिए भेजी जा रही सब्जियां भी जबरन वाहनों से उतार कर सड़क पर फेंक दी गई।

मप्र में गांधीगीरी का रास्ता अपनाया

शनिवार को मध्य प्रदेश में शांति रही। सब्जियों और दूध की किल्लत की खबर नहीं है। मंडियों में आवक जरूर कम हुई है। किसानों ने पिछले साल की तरह दूध और सब्जियों को सड़कों पर फेंकने की जगह गांधीगीरी का रास्ता अपनाया है। कई जगह किसानों ने अस्पतालों में मरीजों को दूध बांटा। कुछ जगह दूध सड़कों पर फेंकने की घटना भी हुई। मालवा-निमाड़ में आंदोलन ज्यादा प्रभावी है। राजधानी भोपाल में हालात सामान्य हैं। प्रदेश में नौ एफआइआर दर्ज की गई, जिनमें 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

ये हैं प्रमुख मांगें

-कृषि कर्ज माफ हों, ताकि खुदकशी रुके।

-सभी फसलों का सही मूल्य मिले

-न्यूनतम आय गारंटी योजना लागू हो

-स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो

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