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लगातार सातवें साल द्वारका के जलाशयों को आबाद करने को उठे हाथ

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : मानसून के दस्तक देते ही एक बार फिर से द्वारका के दो जलाशयों से गाद

By JagranEdited By: Updated: Sat, 30 Jun 2018 09:58 PM (IST)
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लगातार सातवें साल द्वारका के जलाशयों को आबाद करने को उठे हाथ

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : मानसून के दस्तक देते ही एक बार फिर से द्वारका के दो जलाशयों से गाद निकालने, कूड़ा व मलबा हटाने का काम शुरू हो गया है। घासों को किनारे कर जलाशयों के किनारे को हरा-भरा रखने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कोई बड़ी फौज नहीं तैयार की गई है। इलाके के गिने-चुने कुछ लोग 15 दिन से डिस्ट्रिक्ट पार्क की सफाई में जुटे हैं। वे मानसून खत्म होने तक इसी तरह जुटे रहेंगे। इस तरह से आठ साल से इन जलाशयों को बचाने की लगातार कोशिश हो रही है। हर साल मानसून के दौरान इनका प्रयास होता है कि इन जलाशयों के आसपास गिरने वाले बारिश का एक बूंद जल बर्बाद न होकर जलाशय में जमा हो। पूरे साल इस तरह से देखरेख की जाती है कि जलाशय का जल बाहर न जाए। चूंकि, समय से पहले मानसून ने दस्तक दे दी है। प्रशासन से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है ऐसे में स्वयं ही सफाई शुरू कर दी।

द्वारका के सेक्टर 22 और 23 के जलाशयों को आबाद करने के लिए पर्यावरणविद दीवान ¨सह 2012 से ही कृतसंकल्प हैं। इसके लिए हर ऐसी एजेंसियों के दरवाजे खटखटाए, जिनसे इन जलाशयों के बचने की उम्मीद थी। हर विभाग के आला अधिकारियों से लेकर पार्षद व सांसद के चौखट पर गए। यहां तक कि द्वारका के इन जलाशयों को दुरुस्त करने के लिए सभी ने उम्मीद बंधाई थी। इसके बाद सभी ने एक-एक कर दौरा किया, लेकिन हर बार आखिर में इन लोगों को खुद सफाई करनी पड़ी। यहां तक कि पर्यावरण प्रेमियों की बात नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी सुनी और दिल्ली सरकार के बागवानी विभाग को हर साल इन जलाशयों को आबाद रखने में सहयोग करने का दिशानिर्देश दिया। एक साल पहले बागवानी विभाग ने थोड़ी रुचि ली थी, लेकिन बाद में इन्हीं लोगों को ही जलाशय को दुरुस्त करने के लिए आगे आना पड़ा। विडंबना है कि इस बार भी जलाशय की सफाई करने के लिए अधिकारी फंड देने की बात तो दूर, सफाई के लिए इजाजत देने को तैयार नहीं हुए। दैनिक जागरण से बातचीत में पर्यावरणविद दीवान ¨सह ने कहा भी कि अगर इस जलाशय की सफाई के लिए अनुमति लेने जाते तो अधिकारी मामले में अड़ंगा डाल देते। यहां तक कि कुछ लोग जो निजी तौर पर फंड देकर मदद करना चाहते थे। उन पैसों से मजदूर भी लगाए गए, लेकिन मजदूर भी सफाई करने को तैयार हुए। चूंकि, उनका फर्ज है जलाशय को आबाद रखना ऐसे में वे अपने तीन दोस्तों विजेंद्र, बब्लू, प्रवीण दत्त के साथ जोर शोर से सफाई करने में लगे हैं।

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