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मौत की वजह कहीं मोक्ष प्राप्ति की ख्वाहिश तो नहीं?

संतोष शर्मा, नई दिल्ली बुराड़ी के संत नगर में संदिग्ध परिस्थिति में एक परिवार के 11 लोगों की मौत क

By JagranEdited By: Updated: Sun, 01 Jul 2018 09:01 PM (IST)
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मौत की वजह कहीं मोक्ष प्राप्ति की ख्वाहिश तो नहीं?

संतोष शर्मा, नई दिल्ली

बुराड़ी के संत नगर में संदिग्ध परिस्थिति में एक परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में भले ही पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। लेकिन, इस भाटिया परिवार के घर से मिले सुबूत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि मृतकों का अध्यात्म की ओर ज्यादा झुकाव था। यही नहीं परिवार तांत्रिक विद्या पर भी विश्वास करता था, इसलिए माना जा रहा है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए अंधविश्वास में सभी ने स्वेच्छा से मौत को गले लगा लिया। पुलिस अधिकारी भी इस घटना को अध्यात्म से जोड़कर देख रहे हैं।

हालांकि पुलिस की जांच अभी जारी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आनी बाकी है। इसके बाद ही मौत की वजह स्पष्ट हो पाएगी। दरअसल मरने वाले सभी लोगों में नारायण देवी के छोटे बेटे ललित और पुत्रवधू टीना के हाथ खुले मिले हैं। पुलिस को आशंका है कि ललित और टीना को छोड़कर सभी ने पहले कोई नशीला पदार्थ खाया होगा। उनके अचेत होने के बाद ललित और टीना ने सभी के मुंह पर पहले कपड़े व टेप लपेटे और बाद में उन्हें फंदे से लटका दिया। अंत में पति और पत्नी ने भी फांसी लगा ली। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक घर से कुछ धार्मिक किताबें और हाथ से लिखी अध्यात्मिक बातें मिली हैं। जो इनके अंधविश्वास में जान देने की बात की ओर इशारा कर रहे हैं।

भाटिया परिवार के पड़ोसी भी परिवार के धार्मिक रुझान से परिचित हैं। परिवार के सभी सदस्य नियमित पूजा-पाठ करते थे। वहीं, समय-समय पर भंडारे का आयोजन भी किया जाता था। नारायण देवी के छोटे बेटे ललित ने गत पांच वर्ष से मौन व्रत धारण कर रखा था। उनकी घर के भूतल पर ही लड़की व प्लाई की दुकान थी। जबकि बगल में बड़े भाई भुवनेश परचून की दुकान चलाते थे। इन दोनों दुकानों के बीच एक प्लाई का बोर्ड लगा था। उसपर अक्सर प्रियंका अन्यथा परिवार का कोई अन्य सदस्य रोजाना कोई-कोई न कोई आध्यामिक विचार अथवा श्लोक इत्यादि लिखता था। उनकी दुकान पर आने वाले लोग सहित इस गली से गुजरने वाले उसे बड़े ध्यान से पढ़ते थे।

मालूम हो कि भाटिया परिवार में तीन बेटे व दो बेटियों में अब सबसे बड़े बेटे दिनेश और बेटी सुजाता भाटिया जीवित हैं। दिनेश परिवार के साथ राजस्थान के कोटा में रहते हैं। जबकि सुजाता अपने परिवार के साथ पानीपत रहती हैं।

शनिवार रात 11.30 बजे तक घूमता दिखा था परिवार

शनिवार की रात भाटिया परिवार रात 11.30 बजे तक जगा हुआ था। लोगों ने कुछ सदस्यों को तो गली में घूमता भी देखा था। भुवनेश की दुकान भी रात 11.30 तक खुली हुई थी। वे ग्राहकों को पहले की तरह सामान बेच रहे थे। लिहाजा लोगों को किसी अनहोनी होने की आशंका का आभास तक नहीं हुआ। पुलिस को आशंका है कि खाना खाने के बाद देर रात दो से तीन बजे के बीच सारी घटनाएं घटीं।

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