भूकंप के झटके ने बजाई खतरे की घंटी
रविवार दोपहर दिल्ली में महसूस किए गए भूकंप के झटकों से भले ही जानमाल की कोई हानि नहीं हुई हो लेकिन धरती के भीतर हुई इस हलचल ने एक बार फिर लोगों को डरा दिया है। स्थिति तब और भयावह हो जाती है जब हमें इस बात का पता चलता है कि भवन निर्माण के दौरान मानकों का पालन नहीं किया जाता है और न ही सरकारी एजेंसियों को इस बात की फिक्र है। भूकंप खतरे की ²ष्टि से दिल्ली जोन चार के अंतर्गत आता है। खतरे के लिहाज से हिमालय व तराई क्षेत्र के बाद यह दूसरा सर्वाधिक संवेदनशील जोन कहा जाता है। ऐसे में यहां खतरे को कम करने के उपायों पर अधिक जोर होने चाहिए।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर में रविवार को दोपहर बाद महसूस किए गए भूकंप के झटकों से भले ही जानमाल का कोई नुकसान न हुआ हो, लेकिन धरती के भीतर हुई इस हलचल ने लोगों को फिर डरा दिया है। स्थिति तब और भयावह हो जाती है जब हमें इस बात का पता चलता है कि भवन निर्माण के दौरान मानकों का पालन नहीं किया जाता। सरकारी एजेंसियों को इस बात की भी फिक्र नहीं है। भूकंप खतरे की दृष्टि से दिल्ली जोन चार के अंतर्गत आता है। खतरे के लिहाज से हिमालय व तराई क्षेत्र के बाद यह दूसरा सर्वाधिक संवेदनशील जोन कहा जाता है। ऐसे में यहां खतरे को कम करने के उपायों पर अधिक जोर होना चाहिए, लेकिन स्थिति इसके उलट है। खासकर, दक्षिणी पश्चिमी व पश्चिमी जिले में तो स्थिति और भी भयावह नजर आती है। ये दोनों जिले बहादुरगढ़ फाल्ट लाइन से काफी नजदीक हैं। दोनों जिलों की मिट्टी रेतीली भी है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि दोनों जिलों में ऊंची इमारतों व अनधिकृत कॉलोनियों की भरमार है। दोनों ही जगहों पर भूकंपरोधी इमारतों के लिए बनाए गए मानकों की निर्माण के दौरान अनदेखी की गई है। अधिकारियों का कहना है कि उपनगरी द्वारका की अधिकांश इमारतें जल्दबाजी में खड़ी की गई हैं। इनके निर्माण में जिस पानी का इस्तेमाल हुआ है वह खारा था। यह पानी अंदर ही अंदर इमारतों में घुन लगा रहा है। लोहे के सरिये गल रहे हैं। प्लास्टर झड़ रहे हैं। ऐसे में इमारतों की मजबूती पर ग्रहण लग रहा है, वहीं अनधिकृत कॉलोनियों की बात करें तो यहां भवन निर्माण का नक्शा सरकारी एजेंसियों से लोग पास नहीं कराते। निगम या अन्य सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई के डर से लोग जल्दबाजी में इमारतें खड़ी करते हैं। जल्दबाजी के दौरान कई बातों की अनदेखी होती है। खासकर, उन मकानों में जिनका निर्माण बिल्डर करते हैं। बिल्डर को मकान बेचने के चक्कर में उसकी बाहरी खूबसूरती पर तो ध्यान दिया जाता है, लेकिन इमारत की नींव व अन्य भीतरी जरूरतों की अनदेखी होती है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि समय-समय पर सरकारी एजेंसियों को इस बाबत निर्देश दिए जाते हैं कि वे भवन निर्माण या तैयार भवनों में जाकर उसका सेफ्टी ऑडिट करें, ताकि कमजोरियों को दूर किया जा सके। इन निर्देशों का पालन नहीं होता। अधिकारियों का कहना है कि प्राधिकरण इन एजेंसियों को निर्देश ही दे सकता है। कार्रवाई का अधिकार प्राधिकरण के पास नहंी होता। हालांकि समय-समय पर प्राधिकरण की ओर से निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों व मजदूरों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें उन तकनीक की जानकारी दी जाती है कि जिससे भवन भूकंपरोधी हो सके। अधिकांश लोग इन बातों की अनदेखी कर रहे हैं।