बुराड़ी आत्महत्या मामला: धार्मिक प्रवृत्ति का था पूरा परिवार, चौंकाने वाली बात आ रही सामने
प्रथम दृष्टया मामला हत्या का लग रहा है। इसलिए पुलिस ने इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
By Srishti VermaEdited By: Updated: Mon, 02 Jul 2018 03:41 PM (IST)
बाहरी दिल्ली (संजय सलिल)। आसपास के लोगों का कहना है कि परिवार के सभी सदस्य धार्मिक प्रवृत्ति के थे। पड़ोसी वीरेंद्र त्यागी कहते हैं कि भुवनेश को लोग गोपाल नाम से भी जानते थे। वह एक साल पूर्व तक कोई प्राइवेट नौकरी करते थे। लेकिन, एक साल से उन्होंने नौकरी छोड़ अपने घर में परचून, दूध आदि बेचने की दुकान खोल ली थी। भुवनेश आसपास के लोगों से ज्यादा घुले-मिले नहीं थे। पहले नौकरी के सिलसिले में ज्यादातर समय बाहर ही बीतता था। दुकान खोलने के बाद वह दुकान पर ही रहते थे। जबकि छोटा भाई ललित का पड़ोसियों व आसपास के लोगों से काफी मिलना जुलना होता था। पूरे परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था। उन्हें कभी किसी से बहस करते तक नहीं देखा गया।
यहां तक उनकी दुकान के आसपास किसी और की गाड़ियां भी खड़ी होती थीं तो गली से गुजरने वाले लोग इस आपत्ति करते थे तो भुवनेश खुद गाड़ी को वहां से हटा देते थे। भुवनेश की अच्छाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोगों ने उन्हें कई बार अपनी दुकान में गुटखा, सिगरेट आदि रखने को कहा था ताकि बिक्री बढ़ जाए। लेकिन, वह लोगों को यह कहते हुए उन्हें रखने से मना कर देते थे कि गुटखा सिगरेट बेचकर वह लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। वीरेंद्र बताते हैं कि शनिवार को भी ललित मिले थे। अच्छी बातचीत हुई थी। पड़ोस में रहने वाले जनार्दन सिन्हा बताते हैं कि ललित अक्सर उनके पास पैसे के ऑनलाइन ट्रांसफर के लिए आते रहते थे। वह बेहद धार्मिक स्वभाव के थे। दोनों भाइयों की इस प्रवृत्ति का असर उनके बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों पर पड़ा था।
तीन डीसीपी और आठ एसीपी की टीमें जांच में जुटीं
बुराड़ी कांड की जांच के लिए पुलिस की भारी भरकम टीम लगाई गई है। दरअसल पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। लिहाजा पुलिस सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर आगे बढ़ रही है। घटना की जांच में स्थानीय पुलिस के साथ ही स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीन डीसीपी और आठ एसीपी सहित 12 एसएचओ और 22 इंस्पेक्टर को जांच कार्य में लगाया गया है।
दरअसल प्रथम दृष्टया मामला हत्या का लग रहा है। इसलिए पुलिस ने इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस की दलील है कि बुजुर्ग महिला नारायण देवी का शव फर्श पर मिला है। हालांकि उसके गले में भी फंदा लगा हुआ है। माना जा रहा है कि उसकी हत्या गला घोंटकर की गई है। इस परिस्थिति में मारने वाले ने महिला को मार यदि आत्महत्या भी कर ली हो तो मामला हत्या का बनता है। उधर पुलिस अधिकारी संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत को अध्यात्म से जुड़ा मामला बता रहे हैं।
बावजूद इसके कई ऐसे सवाल हैं जो पुलिस को जांच के लिए मजबूर कर रहे हैं। जैसे यदि पूरे परिवार ने मोक्ष प्राप्ति के लिए यदि फांसी लगा ली तो घर का मुख्य दरवाजा क्यों खुला था? क्योंकि थोड़ी भी आवाज होने पर बाहर से कोई भी आकर उनका बचाव कर सकता था। वहीं, इतने बड़े कदम उठाने के बावजूद परिवार ने कोई सुसाइड नोट क्यों नहीं छोड़ा? क्या इस घटना में अन्य कोई पेंच है अथवा इसमें कोई और भी शामिल है। पुलिस की टीम इन सभी कोणों से मामले की जांच में जुटी हुई है।
20 दिन बाद घर में बजने वाली थी शहनाईपुलिस अभी स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कह पा रही है। घटना को क्यों और कैसे अंजाम दिया गया इसका कोई चश्मदीद अथवा पुख्ता सुबूत हाथ नहीं लगा है। यही भी बात सामने आई है कि परिवार में एक युवती का रिश्ता तय हो गया था। पड़ोसी राजेश तोमर ने बताया कि नारायण देवी की नातिन प्रियंका की 20 दिन बाद शादी होनी थी। पूरे परिवार में खुशी का माहौल था। सभी शादी की तैयारियों को लेकर बातें करते थें।
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