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खेड़ा में फाटक पर लग रहा घंटों जाम, ग्रामीण परेशान

शहरी इलाकों में व्याप्त सार्वजनिक परिवहन साधनों की व्यवस्था के परे ग्रामीण इलाकों में परिवहन साधन व्यवस्था चरमराई हुई है। जिससे ग्रामीणों को घर से निकलने के बाद काफी मुश्किलों से जुगत लगाकर अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचना पड़ रहा हैं। नरेला विधानसभा क्षेत्र स्थित खेड़ा कलां गांव के ग्रामीण भी इसी समस्या से ग्रस्त हैं। परिवहन साधनों की कमी ग्रामीणों के लिए एक गंभीर समस्या तो है ही, इसके साथ-साथ गांव के ही रेलवे फाटक पर रोजाना लगने वाले जाम से भी लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:46 PM (IST)
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खेड़ा में फाटक पर लग रहा घंटों जाम, ग्रामीण परेशान
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : शहरी इलाकों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में परिवहन व्यवस्था चरमराई हुई है। इससे ग्रामीणों को घर से निकलने के बाद काफी मुश्किलों से जुगत लगाकर गंतव्य स्थान तक पहुंचना पड़ रहा हैं। नरेला विधानसभा क्षेत्र के खेड़ा कलां गांव के ग्रामीण भी इसी समस्या से ग्रस्त हैं। परिवहन साधनों की कमी ग्रामीणों के लिए गंभीर समस्या तो है ही, इसके साथ ही गांव के ही रेलवे फाटक पर रोजाना लगने वाले जाम से भी लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

गांव के खेड़ा कलां रोड पर रोजाना बड़ी संख्या में वाहन गुजरते हैं। इस सड़क के सहारे लोग राष्ट्रीय राजमार्ग एक से भी जुड़ सकते हैं, वहीं इसी का प्रयोग कर राहगीर खेड़ा खुर्द व होलंबी कलां से होते हुए बवाना व नरेला भी जा सकते हैं। इतनी जगहों पर जाने के लिए इस सड़क के अलावा दूसरा कोई सीधा विकल्प न होने के कारण राहगीर इसी सड़क का प्रयोग करते हैं, लेकिन रेलवे फाटक होने के कारण घंटों जाम में फंसा रहना पड़ता है। ग्रामीणों के मुताबिक फाटक पर जाम की दिक्कतें छह साल में ज्यादा बढ़ी है। पहले आबादी कम थी तो वाहन कम थे। धीरे-धीरे आबादी बढ़ी तो वाहन में बढ़ोतरी हुई, लेकिन रेलवे या सरकार की ओर से इस जाम की बढ़ती समस्या को देखते हुए न यहां अंडरपास और न ही फ्लाई ओवर ब्रिज की कोई योजना बनाई गई। नतीजतन, आने वाले समय में यह समस्या और अधिक जटिल हो सकती है।

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बड़े और भारी वाहनों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। इससे फाटक बंद हो या खुला, दोनों समय ही जाम जैसी परिस्थिति बनी रहती है। खेड़ा कलां रोड को 80 फुटा रोड बोला जाता है, लेकिन बिजली कंपनी की ओर से रोड के किनारे पर ट्रांसफार्मर लगा देने के बाद उसकी चौड़ाई भी कम हो गई है।

- मुकेश, निवासी, खेड़ा कलां गांव।

वर्ष 1982 में एक घटना में एक ट्रक रेल की चपेट में आया था। उसके बाद राजीव गांधी ने यहां का दौरा भी किया था और आश्वासन भी दिया था कि यहां अंडरपास और फ्लाई ओवर ब्रिज बनाए जाएंगे, लेकिन इन दोनों में से यहां कुछ नहीं बना और हम ग्रामीण उसी अवस्था में हैं।

- धर्मेद्र जांगड़ा, निवासी खेड़ा कलां गांव।

यहां डीटीसी की रूट संख्या-128, 137 और 179 की सेवा काफी कम है और ऊपर से नरेला से खेड़ा कलां तक की ग्रामीण सेवा वाली गाड़ियां भी होलंबी कलां गांव से ही वापस चली जाती हैं। जब दिल्ली देहात का यह हाल है तो दूसरे राज्यों में तो परिवहन सुविधा और लचर होगी।

- रामनिवास, निवासी खेड़ा कलां गांव।

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