अब दिल्ली का ¨सहासन भी मनमोहन सा मौन नहीं..
काव्य परंपरा की 91 वीं अविरल मासिक काव्य गोष्ठी ने अपने इतिहास में नया पृष्ठ जोड़ते हुए चार कवियों को कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया। आइपी एक्सटेांन के आइपैक्स भवन में आयोजित काव्य गोष्ठी सुप्रसिद्ध लेखक कलाकार,
By JagranEdited By: Updated: Mon, 02 Jul 2018 10:40 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: आइपी एक्सटेंशन के आइपैक्स भवन में काव्य परंपरा की 91 वीं मासिक काव्य गोष्ठी हुई। इसमें चार कवियों को आमंत्रित किया गया था। प्रसिद्ध लेखक कलाकार, चित्रपट निर्माता गुरुदत्त को समर्पित काव्य गोष्ठी में बुंलेदखंड के ललितपुर से आए कवि पंकज अंगार ने सर्जिकल स्ट्राइक पर कविता पढ़ी तो तालियों की गड़गड़ाहट से समारोह स्थल गूंज उठा।
उन्होंने कहा कि 'अब दिल्ली का ¨सहासन भी मनमोहन सा मौन नहीं, भारत के रणवीरों की तुम ताकत समझो गौण नहीं, राणा अपनी तलवारों पर धार लगाकर बैठे हैं, अर्जुन जी गांडीव धनुष पर तीर चढ़ा कर बैठे हैं, वीर शिवाजी रण चंडी को अर्घ्य चढ़ाने वाले हैं, अशफाकुउल्ला ने आंखों में रक्तिम सपने पाले हैं, सवा लाख की शक्ति समाई फिर से एक नगीने में, भगत ¨सह भी जाग उठा है छप्पन इंच के सीने में'। गोष्ठी संचालक प्रमोद अग्रवाल ने सर्वप्रथम युवा कवि झांसी से आए श्रृंगार रस के रचयिता अभिराज पंकज को कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि 'इबादत हम नहीं करते कि हम सजदा नहीं करते, तेरी इक दीद की खातिर बता हम क्या नहीं करते, तेरी तस्वीर जो आंखों में है वह भीग न जाए, यही बस सोचकर हम हिज्र में रोया नहीं करते'। इसके बाद हास्य कवि सुनहरी लाल 'तुरंत' ने अपनी विशिष्ट शैली में कविता पढ़ी। वहीं, रेल विभाग के उच्चाधिकारी एवं हास्य कवि महेंद्र गर्ग 'बेधड़क' ने भी अपनी कविताओं से समां बांधा। उन्होंने कहा कि 'बच्चे काबिल हों, पत्नी भली हो, चेहरे पर मुस्कुराहट हो, ¨जदादिली हो, आंखों में चमक हो, जेब में माल हो, फिर क्या जरूरत है कि सिर पर बाल हो'। उधर, सुषमा ¨सह ने दिवंगत गुरुदत्त के जीवन पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धांजलि दी। सभा की अध्यक्षता संस्था के प्रधान सुरेश ¨बदल ने किया। इस मौके पर एमपी गर्ग, वीके. शर्मा, विजय बहल, राजकुमार, योगेंद्र बंसल, मोहन चांदना आदि मौजूद रहे।
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