मालदा, कलकतिया, बंबइया व दशहरी का स्वाद, खास हैं मिथिला के आम
मैथिल पत्रकार समूह के अध्यक्ष संतोष ठाकुर ने बताया कि मिथिला में सौ से ज्यादा आम की किस्में हैं, जो विशेष खुशबू व मिठास के लिए जाने जाते हैं।
By Amit MishraEdited By: Updated: Tue, 03 Jul 2018 10:39 PM (IST)
नई दिल्ली [जेएनएन]। मिथिला के संस्कृति चिन्हों में पाग, पान, मछली और मखाना के साथ ही आम भी शामिल है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित द्वितीय मिथिला आम महोत्सव के जरिये दिल्ली वाले भी इससे रूबरू हुए। महोत्सव में जर्दा, मालदा, कलकतिया, बंबइया व दशहरी आमों के स्वाद ने लोगों पर जैसे जादू कर दिया। इस मौके पर पूर्व क्रिकेटर व सांसद कीर्ति आजाद, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव प्रणव झा, दिल्ली मैथिली-भोजपुरी अकादमी के उपाध्यक्ष नीरज पाठक व प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के महासचिव विनय कुमार की खास उपस्थिति रही।
मिथिला के आम महोत्सव का आयोजन मैथिल पत्रकार समूह द्वारा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सहयोग से किया गया था। मैथिल पत्रकार समूह के अध्यक्ष संतोष ठाकुर ने बताया कि मिथिला में सौ से ज्यादा आम की किस्में हैं, जो विशेष खुशबू व मिठास के लिए जाने जाते हैं। इस महोत्सव का आयोजन इसलिए किया गया है ताकि उनके स्वाद से मिथिला के बाहर के लोग भी परिचित हों।
आम खाना भी एक उत्सव
इस मौके पर कीर्ति आजाद ने कहा कि मिथिला की कई खास चीजें हैं जो अभी तक लोगों के सामने नहीं आ सकी हैं। उसमें मखाना, मछली और आम भी हैं। उन्होंने बताया कि कागजी मालदा का छिलका काफी पतला होता है। वहीं, बाग बहार आम मिठास के मामले में काफी धनी है। प्रणव झा ने कहा कि मिथिला में आम खाना भी एक उत्सव की तरह है। आम खाने की प्रतिस्पर्धा होती है, जिसमें एक-एक आदमी 100 आम तक खा जाता है।
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