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बुराड़ी फ़ांसीकांड: ललित था मनोरोगी, मोक्ष के लिए 11 वर्ष पूर्व भी की थी ऐसी क्रिया!

11 साल पूर्व हुई उस घटना को ललित के परिजन हमला बता रहे हैं, लेकिन तब भी यह साफ नहीं हो सका था कि उन पर किसने व क्यों हमला किया था।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 04 Jul 2018 06:21 PM (IST)
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बुराड़ी फ़ांसीकांड: ललित था मनोरोगी, मोक्ष के लिए 11 वर्ष पूर्व भी की थी ऐसी क्रिया!
नई दिल्ली (संजय सलिल/संतोष शर्मा)। ललित ने कहीं 11 साल पूर्व भी कथित मोक्ष प्राप्ति की कोशिश तो नहीं की थी। इसके लिए उन्होंने वही क्रिया तो नहीं की थी जो शनिवार की रात घर में की गई। इस बात की आशंका इसलिए है कि 11 साल पूर्व ललित अपनी दुकान में घायल मिले थे। आसपास के लोगों के मुताबिक उस समय भी उनके मुंह पर कपड़े आदि बंधे मिले और गले पर चोट के निशान थे। इस कारण उनकी आवाज भी चली गई थी। उस समय उनकी जान बच गई थी। बाद में यह कहा गया कि किसी ने उन्हें दुकान के अंदर बंद कर मुंह आदि बांध दिए थे और दुकान में रखी लकड़ियों में आग भी लगा दी थी।

11 साल पूर्व हुई उस घटना को ललित के परिजन हमला बता रहे हैं, लेकिन तब भी यह साफ नहीं हो सका था कि उन पर किसने व क्यों हमला किया था। बताया जा रहा है कि जिस वक्त दुकान से उन्हें घायल अवस्था में निकाला गया था, तब कोई हमलावर या अन्य कोई शख्स नहीं मिला था। लेकिन, रविवार की सुबह जिस तरह से भाटिया परिवार के ललित समेत अन्य दस लोगों के मुंह बंधे हुए छत की जाली से लटके हुए शव मिले हैं, इससे लोगों के जेहन में 11 साल पूर्व ललित के साथ हुई घटना घूमने लगी है। लोग आशंका जता रहे हैं कि उस समय भी ललित कहीं मोक्ष प्राप्ति की क्रिया तो नहीं कर रहे थे।

हत्या करने वाला मृतक के कानों में क्यों डालता रूई
पुलिस और पड़ोसियों को भाटिया परिवार की हत्या की बात हजम नहीं हो रही है। घर में लूटपाट के कोई सुराग नहीं मिले हैं। करीब 80 हजार रुपये और महिलाओं के पहने तमाम गहने सुरक्षित पाए गए हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हत्या जैसी वारदात को अंजाम देने का कोई मकसद होता है। इस स्थिति में मृतकों के हाथ-पैर बांधना तो एक सामान्य घटना है। लेकिन, उनके कानों में रूई डालने की बात बिल्कुल अलग है। वहीं हांडी रेस्टोरेंट के मैनेजर आदित्य ने बताया कि परिवार ने खाने में सिर्फ 20 रोटियां मंगवाई थी। उन्होंने बताया कि भाटिया परिवार अक्सर उनके यहां खाने का ऑर्डर दिया करता था।

मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थे ललित
पुलिस की जांच और मिले सुराग जहां सामूहिक आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे हैं। वहीं, ज्यादातर परिजन और पड़ोसी भी परिवार के सामूहिक आत्महत्या की बात को स्वीकार करने लगे हैं। हालांकि बहन सुजाता अब भी हत्या ही मान रही है। इस घटना में नारायण देवी के छोटे बेटे ललित की भूमिका मुख्य रूप में सामने आई है। छोटा भाई होने के बावजूद वह घर में मुखिया की भूमिका निभा रहे थे। पड़ोसियों के मुताबिक ललित का स्वभाव भले ही सौम्य था। लेकिन उनकी मानसिक दशा ठीक नहीं थी। कई मामले में उनकी सनक सामने आई थी।

पड़ोसियों के मुताबिक, तंत्र-मंत्र जैसा कोई मामला नहीं है
पड़ोसियों के मुताबिक इस घटना में किसी बाबा अथवा तांत्रिक का कोई हाथ नहीं है। हां घर में अक्सर पूजा अथवा हवन होते रहते थे। हालांकि इसकी जानकारी आसपास के लोगों को कम ही रहती थी। वे भगवान को मानते थे और दूसरे धार्मिक कार्यक्रम में शामिल भी होते थे। लेकिन आज तक कोई बड़ा धार्मिक आयोजन भाटिया परिवार ने नहीं किया था। पुलिस को अंदेशा है कि मानसिक हालत ठीक नहीं होने की स्थिति में ललित अंधविश्वास में पड़ मोक्ष की प्राप्ति की आड़ में पहले परिजनों का ब्रेन वाश किया। बाद में परिजनों से अपनी बातों को मनवाने लगे। जिसकी परिणति 11 लोगों की मौत के रूप में हुई।

ललित ने कारोबारी मित्रों को अगले दिन बुलाया था घर
ललित ने कारोबारी मित्रों को अगले दिन घर बुलाया था। उस दिन उन्होंने दो दर्जन से अधिक फोन किए थे। इनमें कीर्तिनगर के कंवर पाल ठेकेदार, पीतमपुरा के लकड़ी व्यवसायी सुनील और कुणाल से फोन पर बातचीत की थी। ललित ने शनिवार को तीन बार अपने भांजे मोनू से भी बात की थी। इसमें अपने व्यवसाय के साथ प्रियंका की शादी के बारे में चर्चा की थी। ये तथ्य पुलिस की जांच के दौरान मृतकों के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल्स को खंगालने के बाद सामने आए हैं। पुलिस को मकान के पूजा घर से ललित के दो मोबाइल फोन के अलावा भुवनेश, प्रतिभा, प्रियंका, मेनका आदि के एक-एक मोबाइल मिले थे। पुलिस ने उनके नंबरों का कॉल डिटेल्स निकाला है।

 

ललित की बहन प्रतिभा ने शनिवार रात करीब नौ बजे छत्तीसगढ़ में रहने वाले अपने भांजे से बात की थी। प्रतिभा को पता चला था कि भांजे मोनू के ससुर की मौत हुई है। इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी प्रियंका की शादी के बारे में भी चर्चा की। साथ ही परिवार सहित शादी में आने को भी कहा था। उसी दिन दोपहर में मेनका ने गोहाना निवासी कुणाल से लंबी बात की थी। कुणाल ने पुलिस को बताया कि मेनका उसे अपना भाई मानती थी। दरअसल, मेनका कुणाल के भाई करण को अपना धर्म भाई मानती थी। करण का 16 जुलाई को जन्मदिन था और मेनका इस मौके पर उसे सरप्राइज पार्टी देने की तैयारी में थी। इसकी चर्चा उसने फोन पर कुणाल से की थी।

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