पेड़ों को सहारा दे नवजीवन का कर रहे संचार
दक्षिणी दिल्ली में पेड़ों को बचाने के लिए कई संगठन के लोग सामने आए हैं। उनकी मेहनत रंग लाई है और अब पेड़ों के स्थानांतरण की बात हो रही है। इसी तरह द्वारका में कार्यरत ग्रीन सर्कल संस्था भी पेड़ों को सहारा देने के कार्य में पिछले काफी समय से जुटी हुई है। उपनगरी में चारों ओर हरियाली लगाई गई। अब पेड़ बड़े हो गए हैं लेकिन पेड़ के चारो ओर कंक्रीट होने के कारण ये मजबूत नहीं है। ऐसे में आंधी व बारिश झेलने में वे सफल नहीं हो पा रहे हैं। इन पेड़ों को बचाने के लिए ग्रीन सर्कल संस्था आगे आई है।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 04 Jul 2018 08:31 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली :
दक्षिणी दिल्ली में पेड़ों को बचाने के लिए कई संगठनों के लोग सामने आए हैं। उनकी मेहनत रंग लाई है और अब पेड़ों के स्थानांतरण की बात हो रही है। इसी तरह द्वारका में कार्यरत ग्रीन सर्कल संस्था भी पेड़ों को सहारा देने के कार्य में लंबे समय से जुटी है। उपनगरी में चारों ओर हरियाली विकसित की गई। अब पेड़ बड़े हो गए हैं, लेकिन पेड़ के चारों ओर कंक्रीट होने के कारण ये मजबूत नहीं हैं। ऐसे में आंधी व बारिश झेलने में वे सफल नहीं हो पा रहे हैं। इन पेड़ों को बचाने के लिए ग्रीन सर्कल संस्था आगे आई है। संस्था से जुड़े अनिल कुमार पाराशर ने बताया कि हमें जहां भी पेड़ के गिरने या फिर झुकने की जानकारी मिलती है, हम वहां जाते हैं और पेड़ को सहारा देने का कार्य करते हैं। अब तक करीब पांच पेड़ों को हमने सहारा दिया है। खुशी की बात यह है कि अब ये पेड़ ठीक हैं और नई-नई पत्तियां आ रही हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्य द्वारका सेक्टर-11 के गुरुद्वारा के पास, सेक्टर छह स्थित एक पार्क में पेड़ को सहारा देकर ठीक किया गया। इसी तरह तीन अन्य जगहों पर भी इस तरह के कार्य किए गए हैं। उपनगरी में गिर रहे पेड़
उपनगरी में हरियाली की कमी नहीं है, लेकिन इसके रखरखाव व दूरदर्शिता के अभाव के कारण ये पेड़ हल्की बारिश व आंधी को झेलने में सक्षम नहीं हैं। पिछले दिनों द्वारका के सेक्टर 7 व 11 में बारिश के बाद पेड़ गिर गए। सेक्टर सात में तो पूरा फुटपाथ ही इस कारण अवरुद्ध हो गया, वहीं सेक्टर-11 में भी सड़क के बीचोबीच पेड़ गिर गया। लोगों का कहना है कि पेड़ के आसपास सीमेंट का काम किया गया है। ऐसे में पेड़ के जड़ को मजबूती नहीं मिल पाती है और पेड़ गिर रहे हैं। इसके अलावा दीमक भी पेड़ को कमजोर बना रहे हैं। अगर संबंधित एजेंसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो इन पेड़ों का जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं है।
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