फैक्ट्री लाइसेंस पर उद्यमियों ने दिल्ली सरकार को घेरा
फोटो: 4 डेल 406 व 407 -उद्योग मंत्री पर लगाया गुमराह करने का आरोप, एमसीडी से पारित प्रस्ताव वष
By JagranEdited By: Updated: Wed, 04 Jul 2018 08:48 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
उद्यमियों ने फैक्ट्री लाइसेंस मामले में दिल्ली सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। उद्यमियों के मुताबिक फैक्ट्री लाइसेंस खत्म करने को लेकर नगर निगमों का प्रस्ताव वर्ष 2015 से ही दिल्ली सरकार के पास लंबित है। ऐसे में उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन का 24 घंटे में फैक्ट्री लाइसेंस खत्म करने वाला बयान न सिर्फ भ्रामक है, बल्कि जिम्मेदारियों से मुंह चुराने वाला है। बता दें कि वर्ष 1957 से लागू नगर निगम फैक्ट्री लाइसेंस कानून के तहत उद्यमियों को नगर निगम से फैक्ट्री लाइसेंस लेना अनिवार्य है। जबकि औद्योगिक क्षेत्रों के रखरखाव का जिम्मा दिल्ली राज्य औद्योगिक और आधारभूत विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) के पास आ जाने और औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, पानी व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं दूसरे विभाग के पास होने की दलील देते हुए उद्यमी इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इसकी एक वजह फैक्ट्री लाइसेंस को लेकर नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार भी है।
विधानसभा व निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने पर उद्यमियों को फैक्ट्री लाइसेंस से मुक्ति दिलाने का वादा किया था, लेकिन तीन साल तक इसपर सुध नहीं ली गई। जबकि उद्यमियों का दावा है कि उनके प्रयासों से तीनों निगमों ने फैक्ट्री लाइसेंस को खत्म करने का प्रस्ताव पारित कर आगे की कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार को वर्ष 2015 में ही भेज दिया था, लेकिन राज्य सरकार इसे स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को नहीं भेज रही है।
मंगलवार को उद्यमियों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि अगर निगम फैक्ट्री लाइसेंस को खत्म करने का प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजती है तो सरकार इसे तुरंत खत्म कर देगी। ---------
लघु उद्योग भारती के प्रयासों से वर्ष 2015 में ही तीनों नगर निगमों ने फैक्ट्री लाइसेंस खत्म करने का प्रस्ताव पारित कर उसे दिल्ली सरकार को भेज दिया है। खुद लघु उद्योग भारती ने भी यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार को सौंपा था। ऐसे में सत्येंद्र जैन का बयान उद्यमियों को गुमराह करने वाला है। संपत तोष्नीवाल, राष्ट्रीय सचिव, लघु उद्योग मंत्री -------- दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के हजारों उद्यमियों के लिए परेशानी का सबब बने इस लाइसेंस को तत्काल खत्म करने के लिए कदम उठाना चाहिए और नगर निगम के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेज देना चाहिए। हालांकि, सरकार की मंशा पर शक है। मुकेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष, एसपी मुखर्जी (बवाना) इंडस्ट्रीयल वेलफेयर एसोसिएशन
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