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दिल्ली में आज होगा बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 30 अफसरों के तबादलों की लिस्ट तैयार

दिल्ली सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है, जो उसके निर्देशों में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 08:57 AM (IST)
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दिल्ली में आज होगा बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 30 अफसरों के तबादलों की लिस्ट तैयार
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है, जो उसके निर्देशों में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। दिल्ली सरकार में काम कर रहे कई बड़े अधिकारियों के तबादले के आदेश गुरुवार तक जारी होने की संभावना है। उन्हें ऐसे विभागों में भेजा जा सकता है, जहां सीधे तौर पर सक्रिय भूमिका नहीं रहती है। इसमें उन अधिकारियों के नाम सबसे ऊपर हैं जो मुख्य सचिव के साथ मारपीट की घटना के बाद से अधिकारियों की ओर से विरोध में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपने हक में मानते हुए दिल्ली सरकार ने आइएएस और दानिक्स के 30 से 35 अधिकारियों की लिस्ट तैयार कर ली है। उनसे महत्वपूर्ण विभाग छीने जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार का दावा है कि अधिकारियों के तबादले का अधिकार उसके पास आ गया है, जबकि अभी तक ये तबादले उपराज्यपाल के निर्देश पर होते आ रहे हैं।

वहीं, दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा का कहना है कि अभी भी सेवाएं विभाग गृह मंत्रलय के पास है। जिस पर उपराज्यपाल ही तबादला व नियुक्तियों पर फैसला लेंगे। दिल्ली सरकार यदि इसमें कुछ कह रही है तो गलत है।

‘संविधान से परे नहीं जा सकते’

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी याद दिला दिया कि जनादेश का अर्थ यह नहीं कि वह अधिकार से बाहर जाकर या फिर संविधान से परे भी कुछ किया जा सकता है। काल्पनिक आदर्श के लिए कोई स्थान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया कि जनप्रतिनिधि पद ग्रहण करते वक्त संविधान की शपथ लेते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा होती है कि वह संविधान की मर्यादा और उसकी व्याख्या का ध्यान रखें।

वोटरों की अपेक्षाओं को नीतियों में बदलने, उसे कानून का स्वरूप देने का कर्तव्य है। लेकिन संविधान के बाहर जाकर नहीं। संविधान में किसी भी तरह के वैचारिक सिद्धांत या कल्पना के लिए स्थान नहीं है। वही किया जा सकता है जो संविधान के अनुसार व्यावहारिक हो। ध्यान रहे कि इसी क्रम में कोर्ट ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा से इन्कार कर दिया। पिछले दिनों में जिस तरह दिल्ली सरकार अनशन पर दिखी शायद उस पर भी कोर्ट ने असहमति जताई।

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