बदलते वक्त के साथ घट रहे पीतमपुरा में दिल्ली हाट के सैलानी
बदलते वक्त के साथ घट रहे दिल्ली हाट के सैलानी 5 पीकेटी- 2, 3 जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली: नेताजी सुभाष प्लेस स्थित दिल्ली हाट एक समय में राजधानी के लोगों का दिल हुआ करता था। इसकी चमक और लोकप्रियता सभी वर्गो के लोगों को बेहद आकर्षित करती थी। यह स्थान युवाओं के बीच अधिक पंसद किया जाता था मगर अब यहां पहले की तरह विभिन्न प्रकार कि दुकानें नहीं रही, न ही यहां लोगों कि भीड़ होती है। मगर इसके बावजूद यहां जो भी लोग आते हैं वह यहां की शांति और चंद दुकानों में बिक रहे सामान की खरीद से खुद को रोक नहीं पाते हैं। लोगों का मानना है कि सरकार इसकी तरफ ध्यान दे तो उत्तरी दिल्ली के लोगों के लिए यह वीकेंड मनाने के लिए एक बेहतर स्थान साबित हो सकता है। वर्ष 200
By JagranEdited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 07:48 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : नेताजी सुभाष प्लेस का दिल्ली हाट एक समय में राजधानी के लोगों का दिल हुआ करता था। इसकी चमक और लोकप्रियता सभी वर्गो के लोगों को आकर्षित करती थी। यह स्थान युवाओं के बीच अधिक पंसद किया जाता था मगर अब यहां पहले की तरह विभिन्न प्रकार की दुकानें नहीं रही, न ही यहां लोगों की भीड़ होती है। इसके बावजूद यहां जो भी लोग आते हैं वे यहां की शांति और चंद दुकानों में बिक रहे सामान की खरीद से खुद को रोक नहीं पाते हैं। लोगों का मानना है कि सरकार इसकी तरफ ध्यान दे तो उत्तरी दिल्ली के लोगों के लिए यह वीकेंड मनाने के लिए बेहतर स्थान साबित हो सकता है।
वर्ष 2008 में पीतमपुरा की इस दिल्ली हाट का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उस समय यहां 108 दुकानें हुआ करती थीं, जबकि अब मात्र आठ दुकानें खुलती हैं। उसमें भी ज्यादातर दुकानों के खुलने का कोई समय निर्धारित नहीं है, न ही ये दुकानें रोजाना खुलती हैं। पहले यहां विभिन्न प्रकार के मेले जैसे दिवाली मेला , आम मेला व उत्सव व जन्माष्टमी आदि कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन हुआ करता था ,जबकि कुछ वर्षो से कार्यक्रमों की संख्या कम होती चली गई। इस कारण यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी कम होती गई। दिल्ली हाट की लोकप्रियता कम होने की एक वजह एनएसपी में विभिन्न मॉल का खुल जाना भी है, जबकि दूसरी वजह अब पहले की तरह सरकार व निजी लोगों की ओर से यहां कार्यक्रमों का आयोजन न करवाना भी है।
कॉलेज के छात्रों ने बताया कि वे यहां अक्सर ही आया करते हैं, परंतु अब यहां पहले जैसी बात नहीं रही, न यहां अब प्रोग्राम होते हैं, न ही पहले की तरह यहां खाने के किस्म मिलते हैं। हमारी इच्छा है कि यहां कार्यक्रम हो और खाने की गुणवत्ता में सुधार हो।
------------------------दिल्ली हाट में शुरू से ही यहां पर मेरी दुकान मौजूद है, परंतु अब यहां दुकानों के बंद होने के साथ ही लोगों की संख्या में भी बहुत कमी आई है। मेरा दिन भर में 100 से 200 रुपये कमाना भी मुश्किल होता जा रहा है।
सुशीला, दुकानदार। -मेरी यहां फूड की दुकान है, लेकिन लोकप्रियता कम होने के कारण कमाई बहुत कम हो गई और यहां दुकानों का किराया भी पहले की तुलना में अधिक कर दिया गया है। इस कारण हमें नुकसान हो रहा है और यहीं कारण है कि यहां से ज्यादातर व्यापारी जा चुके हैं। चरन ¨सह, दुकानदार। - सात वर्ष से यहां दुकान है, पंरतु अब जैसी स्थिति दिल्ली हाट में कभी नहीं रही। यह धीरे-धीरे गुम होता जा रहा है। अब यहां केवल कॉलेज समय में ही छात्र नजर आते हैं या फिर यहां नुक्कड़ नाटक का अभ्यास करने आते हैं। ¨पकी, दुकानदार।
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