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बच्चियां कहती थीं, अंकल से लगता है डर

भूख से दम तोड़ने वाली बच्चियों की मौत के मामले में पुराने पड़ोसियों ने चौकाने वाला खुलासा किया है। 21 जुलाई को मंगल का दोस्त नारायण उसके परिवार को लेने के लिए जब उसके घर पहुंचा तो मंगल की बड़ी बेटियां मानसी और पारुल डर के मारे पड़ोसियों के घर में छिप गई थी। वह पड़ोसियों से रो रोकर एक ही बात कह रही थी कि वह अपने चाचा (अंकल) के साथ नहीं जाना चाहती, लेकिन अंकल जबरदस्ती उन्हें अपने घर ले जाने की जिद कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 27 Jul 2018 08:28 PM (IST)
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बच्चियां कहती थीं, अंकल से लगता है डर

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली

भूख से दम तोड़ने वाली बच्चियों की मौत के मामले में पुराने पड़ोसियों ने चौंकाने वाली बात बताई है। 21 जुलाई को मंगल का दोस्त नारायण उसके परिवार को लेने के लिए जब उसके घर पहुंचा तो मंगल की बेटियां मानसी और पारुल डर के मारे पड़ोसियों के घर में छिप गई थीं। वे पड़ोसियों से रो-रो कर एक ही बात कह रही थीं कि वे अंकल के साथ नहीं जाना चाहतीं, लेकिन वे उन्हें जबरन अपने घर ले जाने की जिद कर रहे हैं।

24 जुलाई को जब यहां के लोगों ने तीनों बच्चियों की मौत की खबर सुनी तो वह बात उनके जेहन में आई। पड़ोसियों में बच्चियों की मौत को लेकर काफी गुस्सा है। यहां की महिलाएं कह रही हैं कि नारायण अगर उन्हें मिला तो वे एक बार चप्पल से उसकी पिटाई करना चाहती हैं। जागरण संवाददाता ने शुक्रवार को साकेत ब्लॉक की गली नंबर-14 में उनके पड़ोसियों के घर जाकर मुलाकात की, जहां पर बच्चियां बिना किसी रोकटोक के आती-जाती थीं। 26 जुलाई को नारायण यादव ने जिलाधिकारी कार्यालय में मीडिया से कहा था कि मकान मालिक ने मंगल का सामान कमरे से निकालकर फेंक दिया था और बच्चे बारिश में भीग रहे थे।

ऊषा देवी ने बताया कि मानसी उन्हें अपनी बड़ी बहन मानती थी और सारी बातें उन्हें बताती थी। नारायण जब कभी मंगल के कमरे पर मिलने आता था तो मानसी और पारुल उनके घर आ जाती थीं। जब उन्होंने सुना कि मंगल कमरा खाली कर रहा है तो उन्होंने उससे कहा था कि बराबर वाले घर में कमरा खाली है। नारायण के साथ जाने से अच्छा है, वह कमरा किराये पर ले ले। उन्होंने कहा कि शनिवार को परिवार कुछ सामान लेकर नारायण के कमरे पर गया था। रविवार तक परिवार साकेत ब्लॉक में ही रहा था। इस बात को मकान मालिक की बेटी नेहा ने भी स्वीकार किया। पड़ोसी यह बात मानने को तैयार नहीं हैं कि बच्चियों की मौत भूख से हुई है, क्योंकि मानसी और पारुल स्वस्थ थीं। शनिवार को मानसी ने पड़ोसी के घर में मास और मछली खाई थी। नारायण को जब ये सारी बातें फोन पर संवाददाता ने बताई तो उसने पड़ोसियों के सभी आरोपों को गलत बताया।

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मेरे कमरे में मानसी और पारुल अधिकतर समय गुजारती थीं। मकान मालिक ने मंगल को निकाला नहीं था और न ही बच्चियां बारिश में भीगीं। मानसी शनिवार को मेरे पास आई थी और कह रही थी कि नारायण मेरेपिता मंगल से कह रहा था कि मेरे साथ चलो नहीं तो लोग तुम्हें मारेंगे, क्योंकि तुमने एक सप्ताह में दो रिक्शे चोरी करवा दिए हैं।

किरण देवी, पड़ोसन।

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